जकर्याह 2

2
तीसरा दर्शन : साहुल का
1मैंने अपनी आंखें ऊपर कीं तो यह देखा: एक आदमी के हाथ में नापने की डोरी है।#यहेज 40:3; प्रक 11:1 2मैंने उससे पूछा, ‘आप कहां जा रहे हैं।’ उसने मुझे बताया, ‘यरूशलेम को नापने के लिए, यह देखने के लिए कि उसकी चौड़ाई कितनी है, उसकी लम्‍बाई कितनी है।’
3जो दूत मुझसे बातें कर रहा था, वह आगे बढ़ा। उससे भेंट करने के लिए एक और दूत आगे आया।
4दूत ने उससे कहा, ‘दौड़, और उस जवान से यह कह: “यरूशलेम नगर की आबादी इतनी बढ़ जाएगी, उसमें इतने मनुष्‍य और पशु बसेंगे कि वह गाँवों के सदृश बिना दीवारों का नगर बन जाएगा! 5प्रभु यह कहता है : मैं ही उसके चारों ओर अग्‍नि की दीवार बनूंगा, मैं ही उसके भीतर महिमा होऊंगा।” ’
बन्‍दियों को बुलाना
6भाग जाओ, भाग जाओ! प्रभु यों कहता है : ‘बेबीलोन देश#2:6 मूल में “उत्तरी दिशा का देश” से भाग जाओ। मैं-प्रभु ने ही तुम्‍हें आकाश के चारों पवनों के सदृश चारों ओर फैलाया था।’ प्रभु की यह वाणी है। 7भागो, ओ बेबीलोनियों के साथ रहने वालो, सियोन की ओर भागो। 8जब स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे अपनी महिमा के लिए तुम्‍हें लूटने वाले राष्‍ट्रों के पास भेजा था, तब प्रभु ने यों कहा था: ‘जो तुम्‍हें स्‍पर्श करता है, वह मेरी आंख की पुतली को स्‍पर्श करता है। 9मैं उन पर अपना हाथ उठाऊंगा, और उनके गुलाम स्‍वयं उन्‍हें लूट लेंगे।’ तब तुम्‍हें ज्ञात होगा कि स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे भेजा है।
10ओ सियोन पर्वत के निवासियो, गाओ और आनन्‍द मनाओ। प्रभु यों कहता है: ‘मैं आ रहा हूँ। मैं तुम्‍हारे मध्‍य में रहूंगा। 11उस दिन अनेक राष्‍ट्र मुझ-प्रभु से मिल जाएंगे, और वे मेरे निज लोग बन जाएंगे। मैं तुम्‍हारे मध्‍य में रहूंगा।’
तब तुम्‍हें ज्ञात होगा कि स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे तुम्‍हारे पास भेजा है।#यश 45:22 12प्रभु पवित्र भूमि में यहूदा प्रदेश को अपनी मीरास बनाकर पुन: उस पर अधिकार करेगा। वह अपने निवास-स्‍थान के लिए यरूशलेम नगर को पुन: चुनेगा।
13ओ सब प्राणियो, प्रभु के सम्‍मुख मौन रहो। प्रभु उत्तेजित हो कर अपने पवित्र निवास-स्‍थान से बाहर निकल रहा है।#यहेज 43:1-5; हब 2:20

वर्तमान में चयनित:

जकर्याह 2: HINCLBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in