2 इतिहास 1

1
बुद्धि के लिये सुलैमान की प्रार्थना
(1 राजा 3:1–15)
1दाऊद का पुत्र सुलैमान राज्य में स्थिर हो गया, और उसका परमेश्‍वर यहोवा उसके संग रहा और उसको बहुत ही बढ़ाया।
2सुलैमान ने सारे इस्राएल से, अर्थात् सहस्रपतियों, शतपतियों, न्यायियों, और इस्राएल के सब प्रधानों से जो पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष थे, बातें कीं। 3तब सुलैमान पूरी मण्डली समेत गिबोन के ऊँचे स्थान पर गया, क्योंकि परमेश्‍वर का मिलापवाला तम्बू, जिसे यहोवा के दास मूसा ने जंगल में बनाया था, वह वहीं पर था। 4परन्तु परमेश्‍वर के सन्दूक को दाऊद किर्यत्यारीम से उस स्थान पर ले आया था जिसे उसने उसके लिये तैयार किया था, उसने तो उसके लिये यरूशलेम में एक तम्बू खड़ा कराया था।#2 शमू 6:1–17; 1 इति 13:5–14; 15:25—16:1 5पर पीतल की जो वेदी ऊरी के पुत्र बसलेल#निर्ग 38:1–7 ने, जो हूर का पोता था बनाई थी, वह गिबोन में#1:5 मूल में, वहाँ यहोवा के निवास के सामने थी। इसलिये सुलैमान मण्डली समेत उसके पास गया। 6सुलैमान ने वहीं उस पीतल की वेदी के पास जाकर, जो यहोवा के सामने मिलापवाले तम्बू के पास थी, उस पर एक हज़ार होमबलि चढ़ाए।
7उसी रात को परमेश्‍वर ने सुलैमान को दर्शन देकर उससे कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह माँग।” 8सुलैमान ने परमेश्‍वर से कहा, “तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है। 9अब हे यहोवा परमेश्‍वर! जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूल के किनकों के समान#उत्प 13:16; 28:14 बहुत है। 10अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे कि मैं इस प्रजा के सामने अन्दर–बाहर आना–जाना कर सकूँ, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?” 11परमेश्‍वर ने सुलैमान से कहा, “तेरी जो ऐसी ही इच्छा हुई, अर्थात् तू ने न तो धन सम्पत्ति माँगी है, न ऐश्‍वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु माँगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर माँगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्‍त किया है, न्याय कर सके, 12इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। मैं तुझे इतनी धन सम्पत्ति और ऐश्‍वर्य भी दूँगा, जितना न तो तुझ से पहले किसी राजा को मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।” 13तब सुलैमान गिबोन के ऊँचे स्थान से, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के सामने से यरूशलेम को आया और वहाँ इस्राएल पर राज्य करने लगा।
राजा सुलैमान की सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य
(1 राजा 10:26–29)
14फिर सुलैमान ने रथ और सवार इकट्ठे कर लिये; और उसके चौदह सौ रथ और बारह हज़ार सवार थे,#1 राजा 4:26 और उनको उसने रथों के नगरों में, और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा। 15राजा ने ऐसा किया कि यरूशलेम में सोने–चाँदी का मूल्य बहुतायत के कारण पत्थरों का सा, और देवदारों का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा बना दिया। 16जो घोड़े सुलैमान रखता था वे मिस्र से आते थे, और राजा के व्यापारी उन्हें झुण्ड के झुण्ड ठहराए हुए दाम पर लिया करते थे।#व्य 17:16 17एक रथ छ: सौ शेकेल#1:17 अर्थात्, लगभग 7 किलोग्राम चाँदी पर, और एक घोड़ा डेढ़ सौ शेकेल#1:17 अर्थात्, लगभग 1.7 किलोग्राम पर मिस्र से आता था; और इसी दाम पर वे हित्तियों के सब राजाओं और अराम के राजाओं के लिये उन्हीं के द्वारा लाया करते थे।

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