तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया, “देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूँ? मैं अपनी अंगुली दाँत तले दबाता हूँ। एक बार तो मैं कह चुका, परन्तु और कुछ न कहूँगा : हाँ दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूँगा।” तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यह उत्तर दिया, “पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता। क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा? क्या तेरा बाहुबल परमेश्वर के तुल्य है? क्या तू उसकी–सी बोली से गरज सकता है? “अब अपने को महिमा और प्रताप से सँवार और ऐश्वर्य और तेज के वस्त्र पहिन ले। अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे, और एक एक घमण्डी को देखते ही उसे नीचा कर। हर एक घमण्डी को देखकर झुका दे, और दुष्ट लोगों को जहाँ खड़े हों वहाँ से गिरा दे। उनको एक संग मिट्टी में मिला दे, और उस गुप्त स्थान में उनके मुँह बाँध दे। तब मैं भी तेरे विषय में मान लूँगा, कि तेरा ही दाहिना हाथ तेरा उद्धार कर सकता है। “उस जलगज को देख, जिसको मैं ने तेरे साथ बनाया है, वह बैल के समान घास खाता है। देख उसकी कटि में बल है, और उसके पेट के पट्ठों में उसकी सामर्थ्य रहती है। वह अपनी पूँछ को देवदार के समान हिलाता है; उसकी जाँघों की नसें एक दूसरे से मिली हुई हैं। उसकी हड्डियाँ मानो पीतल की नलियाँ हैं, उसकी पसलियाँ मानो लोहे के बेंड़े हैं। “वह परमेश्वर का मुख्य कार्य है; जो उसका सिरजनहार हो उसके निकट तलवार लेकर आए! निश्चय पहाड़ों पर उसका चारा मिलता है, जहाँ और सब वनपशु कलोल करते हैं। वह कमल के पौधों के नीचे रहता, और नरकटों की आड़ में और कीच पर लेटा करता है। कमल के पौधे उस पर छाया करते हैं, वह नाले के बेंत के वृक्षों से घिरा रहता है। चाहे नदी की बाढ़ भी हो तौभी वह न घबराएगा, चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुँह तक आए परन्तु वह निर्भय रहेगा। जब वह चौकस हो तब क्या कोई उसको पकड़ सकेगा, या फन्दे लगाकर उसको नाथ सकेगा?
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सभी संस्करण की तुलना करें: अय्यूब 40:3-24
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