मलाकी भूमिका

भूमिका
मलाकी की पुस्तक ई० पू० पाँचवीं शताब्दी में यरूशलेम में मन्दिर के पुन: निर्माण के बाद के किसी समय में लिखी गई थी। भविष्यद्वक्‍ता की मुख्य दिलचस्पी याजकों और जन–साधारण का ध्यान इस बात की ओर खींचना था कि वे परमेश्‍वर के साथ बाँधी गई अपनी वाचा के प्रति विश्‍वासयोग्य बनें। यह स्पष्‍ट है कि परमेश्‍वर की प्रजा के जीवन और आराधना में लापरवाही और विकृति आ गई थी। याजक और जन–साधारण दोनों ही परमेश्‍वर को यथोचित दान न दे कर, और उसकी शिक्षाओं के अनुकूल जीवन न जी कर उसे धोखा दे रहे थे। परन्तु प्रभु अपने लोगों का न्याय करने और उन्हें पवित्र करने के लिए आएगा, पर इससे पहले वह अपना मार्ग तैयार करने और अपनी वाचा का प्रचार करने के लिए अपना संदेशवाहक भेजेगा।
रूप–रेखा :
इस्राएल के पाप 1:1—2:16
परमेश्‍वर का न्याय और उसकी दया 2:17—4:6

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मलाकी भूमिका: HINOVBSI

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