जकर्याह भूमिका

भूमिका
जकर्याह की पुस्तक में दो स्पष्‍ट भाग हैं : (1) अध्याय 1–8 भविष्यद्वक्‍ता जकर्याह की भविष्यद्वाणियाँ, जो ई० पू० 520 से 518 के मध्य भिन्न–भिन्न समयों में की गई थीं। ये मुख्यत: दर्शनों के रूप में हैं, तथा यरूशलेम के पुनर्स्थापन, मन्दिर के पुन: निर्माण, परमेश्‍वर की प्रजा के शुद्धिकरण, और मसीह के युग का आगमन से सम्बन्धित हैं। (2) अध्याय 9–14 आनेवाले मसीह और अन्तिम न्याय से सम्बन्धित संदेशों का एक संग्रह।
रूप–रेखा :
चेतावनी और आशा के संदेश 1:1—8:23
इस्राएल के पड़ोसियों का न्याय 9:1–8
भावी समृद्धि और शान्ति 9:9—14:21

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जकर्याह भूमिका: HINOVBSI

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