एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना
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बस विश्राम करो और परमेश्वर को परमेश्वर रहने दो
जॉयस मेयर ट्वीट करती हैं कि,‘बस विश्राम करें और परमेश्वर को परमेश्वर बने रहने दें.’ यह जानकर बड़ी शांति मिलती है कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब प्रेमी परमेश्वर के नियंत्रण में है.
बिशप सॅन्डी मिलर दु:ख के समय या जब चीजें बुरी तरह से बिगड़ जाती हैं तब वह अक्सर कहते हैं कि,‘प्रभु राज करते हैं.’
पूरी बाइबल में कई जगह,परमेश्वर का उल्लेख सर्वश्रेष्ठ प्रभु के रूप में किया गया है. जॉयस मेयर और सॅन्डी मिलर ये दोनों सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर में संपूर्ण विश्वास को अलग अलग तरीके से व्यक्त करते हैं.
परमेश्वर सर्वश्रेष्ठ हैं और उनका संपूर्ण नियंत्रण है, तो क्या इसका मतलब यह है कि आप अपने कर्तव्यों की जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं? क्या इसका यह मतलब है कि आपके पास ‘स्वतंत्र इच्छा’ नहीं है? जब हम अपने नये नियम के पद्यांश में देखते हैं,तो बाइबल हमें – परमेश्वर की परम प्रधानता के साथ-साथ मनुष्य की जिम्मेदारी और स्वतंत्र इच्छा भी सिखाती है.
भजन संहिता 9:7-12
सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर में निस्संदेह रूप से विश्वास
सारी सृष्टि परमेश्वर के नियंत्रण में है: ‘प्रभु राज करता है’ (व.7). परमेश्वर ‘आप ही जगत का न्याय धर्म से करेगा,’ (व.8). ‘वह देश देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा’ (व.8). यह ज्ञान हमें बेहद सांत्वना देता है. शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे कि परमेश्वर कभी-कभी हमारे जीवन में भयानक चीजें क्यों होने देते हैं.
उनकी सर्वश्रेष्ठता में भरोसा रखिये और उन पर विश्वास बनाए रखिये कि वह आपको कभी नहीं त्यागेंगे: ‘और तेरे नाम के जानने वाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया’ (व.10).
इस दौरान तीन बातों को करते रहिये:
स्तुती कीजिये
- ‘यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ! ’ (व.11अ).
प्रचार कीजिये
- ‘जाति जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो! ’ (व.11ब).
प्रार्थना कीजिये
· ‘यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊंचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊंचा गढ़ ठहरेगा’ (व.9). ‘ वह दीन लोगों की दोहाई को कभी नहीं भूलता’ (व.12ब).
प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आप मेरी दोहाई को कभी नहीं भूलते और मैं निस्संदेह आप पर विश्वास कर सकता हूँ. आपको धन्यवाद कि मैं आराम से रह सकता हूँ और आपको परमेश्वर बना रहने दूँ.
मत्ती 11:16-30
यीशु के साथ चलने के आमंत्रण को स्वीकारें
यीशु की शिक्षा चित्ताकर्षक है. आज के पद्यांश के पहले भाग में वह कह रहे हैं, ‘तुम जीत सकते हो’. एक तरफ,यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला आत्मसंयमी था और उस में दुष्टात्मा होने का दोष लगाया. दूसरी तरफ,यीशु हर तरह के लोगों के साथ दावत पर गए और उन लोगों को अपना मित्र बनाया जिन्हें घृणित वर्ग के रूप में माना जाता था. उन्हें पेटू,पियक्कड़ और महसूल लेने वालों का दोस्त और पापियों का मित्र ठहराया गया (व.18).
आप जो भी करें उसका गलत अर्थ निकाला जाएगा. फिर भी यीशु आगे कहते हैं,‘पर ज्ञान अपने कामों में सच्चा ठहराया गया है’ (व.19). मैं इसका मतलब यह समझता हूँ कि हम सिर्फ सही चीज करें और यह चिंता न करें कि दूसरे क्या सोचते हैं. ‘जनमत का महत्व ज्यादा नहीं है, हैं ना? अच्छी खीर का सबूत इसे खाने में है ’ (व.19),
तब वह उन नगरों को उलाहना देने लगा, जिन में उस ने बहुत सामर्थ के काम किए थे; क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया था और ना ही विश्वास किया था. वह कहते हैं कि उनके पाप सूर और सैदा के पाप से भी घिनौने हैं (व.24). अविश्वास का पाप शायद सबसे गंभीर पाप है.
यीशु आगे इस तरह से शिक्षा देते हैं कि यह स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने नियति (यह कि परमेश्वर ने पहले से ही तय किया है कि क्या होने वाला है) और स्वतंत्र इच्छा,दोनों पर विश्वास किया है. वह दोनों को साथ-साथ सिखा रहे हैं. यह एक विरोधाभास है. विपरीत दिखाई देने वाली दोनों चीजें एक ही समय पर सच होती हैं.
यह 50% ‘विरोधाभास’ और 50% ‘स्वतंत्र इच्छा’ यीशु कहते हैं हम 100% पूर्वनिर्धारित हैं और हमें 100% स्वतंत्र इच्छा मिली है. यह असंभव लग सकता है,लेकिन परमेश्वर ऊँचा उठाने में (आगे बढ़ाने में) सक्षम हैं पर फिर भी मनुष्य की स्वतंत्रता को बिगड़ने नहीं देंगे. आखिरकार हम देखते हैं कि यह एक अवतरण है: यीशु 100% परमेश्वर हैं और 100% मनुष्य हैं;वह पूर्ण रूप से परमेश्वर हैं और पूर्ण रूप से मनुष्य हैं.
नियति
‘मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे ’ (व.27).
परमेश्वर खुद को किसी पर प्रगट करना चाहते हैं और किसी पर नहीं ऐसा क्यों है. अवश्य ही यह बुद्धि और शिक्षा पर आधारित नहीं है. कभी-कभी महान ज्ञानी इसे नहीं देख सकते: ‘तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा है’ (व.25). और फिर भी कभी कभी कम ज्ञानी या कम शिक्षित या छोटे बालक इसे देख पाते हैं: (‘और बालकों पर प्रगट किया है’, व.25),यानि जिन्हें यीशु की गहरी समझ रहती है. ‘तू ने व्यवहार कुशल और ज्ञानियों को छिपा रखा है,परंतु उन्हें स्पष्ट रूप से साधारण लोगों पर प्रगट किया है’ (व.25, एमएसजी).
स्वतंत्र इच्छा
यीशु कहते हैं, ‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। ’ (व.28). यीशु के पास आने का आमंत्रण हर किसी को दिया गया है. कोई भी छूटा नहीं है. हम सबको बुलाया गया है. हम सबके पास विकल्प है कि हम यीशु का आमंत्रण स्वीकार करें या अस्वीकार करें.
इस विरोधाभास को समझना मुझे मुश्किल लगता है. फिर भी, मुझे निम्नलिखित उदाहरण सहायक साबित हुए हैं. एक कमरे की कल्पना करें जिसका दरवाजा मेहराबदार है. मेहराब के बाहरी हिस्से पर ये शब्द लिखे गए हैं ‘सभी मेरे पास आओ.....’ (व.28). दूसरे शब्दों में इस कमरे में हर एक जन आमंत्रित है. जब आप कमरे में प्रवेश करते हैं, तो उसी मेहराब पर लिखा हुआ है, ‘कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे’ (व.27ब).
दूसरे शब्दों में, स्वतंत्र इच्छा हर किसी के लिए सिद्धांत है. कोई भी ऐसा नहीं कह सकता कि, ‘मैं मसीही नहीं बनूँगा क्योंकि मुझे चुना गया है.’ यह आमंत्रण सभी को है. दूसरी तरफ, विरोधाभास एक सिद्धांत है उन लोगों के लिए आश्वासन का जो मसीही हैं. जब आप निमंत्रण को स्वीकार कर लेंगे, तो आप जान लेंगे कि परमेश्वर ने आपको चुना है और इसलिए वह आपको जाने नहीं देंगे.
वचन 28 में यीशु के शब्द मुझे पसंद हैं. तनावपूर्ण दुनिया में बहुत से लोग ‘थके हुए हैं और बोझ से दबे हैं’,यीशु आपको विश्राम देने का वादा करते हैं. वह आपके बोझ को लेकर उन्हें अपने हल्के बोझ से बदलने का प्रस्ताव रखते हैं.
जुआ (कुछ ऐसी चीज जिसे यीशु ने सुतार की दुकान में बनाई होगी) जो कि एक लकड़ी का ढांचा था जिसके दोनों सिरे पर दो जानवर (सामान्यत: बैल) गर्दन से जुड़े रहते थे,ताकि वे हल को या गाड़ी को एक साथ खींच सकें. जुए का काम बोझ को आसानी से उठाने का था. मुझे यीशु के साथ कदम मिलाकर चलने, अपना बोझ बांटने,परीक्षाओं को सहने योग्य बनाने और अपेक्षाकृत युद्ध का ‘आसानी’ से सामना करने और ‘हल्का’ बनाने की यह कल्पना पसंद है.
यीशु दासत्व संचालक नहीं हैं. जब आप अपने जीवन के लिए उनकी कार्य सूची का पालन करेंगे तब आप उनका बोझ उठाएंगे लेकिन यह ‘कठिन, सख्त, धारवाला या जबरदस्त नहीं है बल्कि यह आरामदायक, अनुकूल और आनंद देने वाला है’ (व. 30,एएमपी). जब आप वह करते हैं जो यीशु ने आपको करने के लिए कहा है,तो वह आपको इसे करने के लिए बल और बुद्धि भी देते हैं और आप उनके साथ उनके बोझ को आसानी से उठा पाते हैं. अवश्य ही इसमें अनेक चुनौतियाँ और परेशानियाँ आएंगी लेकिन इसमें आसानी और हल्कापन भी रहेगा.
यीशु आप से कहते हैं: ‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।’ (वव. 28-29). बस विश्राम करें और परमेश्वर को परमेश्वर बने रहने दें.
प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपने मुझसे वादा किया है कि आप मेरे प्राण को विश्राम देंगे, धन्यवाद कि आज मैं आपके पास आता हूँ. मैं अपना बोझ आपको देता हूँ.........
उत्पत्ति 29:1-30:43
परमेश्वर को अपने उद्देश्य को पूरा करते हुए देख़ें
हमारी कमजोरियों, अति संवेदनशीलता और पाप के बावजूद परमेश्वर अपने उद्देश्यों को पूरा करते हैं. याकूब एक धोखेबाज था. हम जो बोते हैं, वही काटते हैं. उसने धोखा बोया था और उसने लाबान से धोखा ही पाया (29:25ब). फिर उसने धोखेबाजी का चक्र चालू रखा (30:37-43). यह धोखेबाजी और अविश्वासयोग्यता और बेईमानी की असाधारण कहानी है.
फिर भी किसी तरह से, इन सबके बावजूद, परमेश्वर ने लोगों में, इस्राएल में, अपने पुत्र यीशु के जन्म में और परमेश्वर के लोगों के भविष्य में अपने उद्देश्यों को पूरा किया है.
याकूब के बच्चों के जन्म में बहुत से पाप और परेशानियाँ शामिल थीं (29:31-30:21). फिर भी परमेश्वर इस्राएल के बारह गोत्रों में अपने सभी उद्देश्यों को पूरा कर रहे थे. अंत में राहेल की प्रार्थना का उत्तर यूसुफ के जन्म से दिया गया। (30:22).
जैसे परमेश्वर का नियंत्रण उनके जीवनों पर था उसी तरह से आप भी भरोसा कर सकते हैं कि उनका संपूर्ण नियंत्रण आपके जीवन पर भी रहे और यह कि ‘जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं और उनके उद्देश्यों के अनुसार बुलाए गए हैं, उनके लिए सारी बातें मिलकर भलाई को ही उत्पन्न करती है’ (रोमियों 8:28). तो बस विश्राम कीजिये और परमेश्वर को परमेश्वर बने रहने दीजिये.
प्रभु, मैं आपको धन्यवाद करता हूँ कि आप कमजोर, अति संवेदनशील और पापी लोगों का भी उपयोग करते हैं. धन्यवाद कि आप मेरा उपयोग कर सकते हैं. आपको धन्यवाद, हालाँकि जैसा मैं हूँ वैसा ही आप मुझ से प्रेम करते हैं, आप मुझ से बेहद प्रेम करते हैं कि जैसा मैं हूँ मुझे वैसा ही बना रहने दें. मेरी मदद कीजिये कि मैं दूसरा सबसे अच्छा बनने के लिए समझौता न करूँ.
अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद उठाने के साथ-साथ आपकी सर्वश्रेष्ठता पर विश्वास करने में मेरी मदद कीजिये.
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
उत्पत्ति 29-30
मैं उत्पत्ति के इन अध्यायों का आनंद ले रहा हूँ. यह कहानी टेलीविजन पर सोप ओपेरा देखने से कहीं ज्यादा अच्छी है. इसके आगे वे क्या करेंगे?
यह दिलचस्ल्प बात है कि सारा, रिबका और राहेल को बच्चे होने में मुश्किलें आईं (यह एक नई समस्या है). फिर भी हरएक बच्चा जो अंतत: पैदा हुआ था वह इस्राएल के लोगों के लिए परमेश्वर की योजना में बेहद महत्वपूर्ण था. क्या परमेश्वर सही समय का इंतजार कर रहे थे या वह माता-पिता को किसी तरह से तैयार कर रहे थे? याकूब के अधिकतर बच्चे भाइयों में झगड़े और ईर्ष्या के परिणाम स्वरूप पैदा हुए थे. तो भी परमेश्वर ने हार नहीं मानी और अपनी योजनाओं को पूरा किया.
References
नोट्स:
@Joyce Meyer, ‘जस्ट रिलैक्स एंड लेट द गॉड बी गॉड’ https://twitter.com/joycemeyer/status/286320915329994752 [Last accessed December 2015]
जॉयस मेयर, एवरी डे बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013) पन्ना 1507
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

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