एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना

एक वर्ष 2019 में बाइबल

दिन 33 का 365

घनिष्ठ मित्रता

मैं अब तक जितने लोगों से मिला हूँ उनमें वह सबसे बुद्धिमान था. वह एक विद्वान और बुद्धिजीवी व्यक्ति था. उसका  दिमाग बहुत अच्छा था. हम स्कूल और यूनिवर्सिटी में एक साथ थे. यीशु मसीह से पहली बार मुलाकात (पहले वर्ष के छात्र के रूप में) होने के तीन महीनों के बाद, उसे भी यीशु का अनुभव प्राप्त हुआ था. उसने तुरंत बहुत सी सैद्धांतिक किताबें पढ़नी शुरु कर दी थीं. 

मुझे याद है  उसके मसीही बनने के तुरंत बाद ही मैंने उससे पूछा था कि वह किस बारे में पढ़ रहा है. उसने जवाब दिया कि वह परमेश्वर की ‘श्रेष्ठता और दृढ़ता’ के बारे में पढ़ रहा है.

 ‘श्रेष्ठता’ और ‘दृढ़ता’ परमेश्वर के साथ हमारे संबंध के लगभग विरोधाभासी प्रकृति का वर्णन करता है. परमेश्वर की श्रेष्ठता का मतलब है कि परमेश्वर हमसे दूर रहते हैं और वह भौतिक सृष्टि की सीमाओं से परे हैं. वह ऊपर और परे हैं, श्रेष्ठ और उत्कृष्ट हैं तथा हमसे भी उत्तम हैं.

   दूसरी तरफ, परमेश्वर की दृढ़ता का अर्थ है कि इनकी घनिष्ठ मित्रता का अनुभव करना असंभव है. हमारे आज के पुराने नियम के लेखांश में, अयूब ‘परमेश्वर की घनिष्ठ मित्रता’ के बारे में बताते हैं (अयूब 29:4).

जब आप परमेश्वर की श्रेष्ठता को समझेंगे उसके बाद ही आप देख पाएंगे कि उनकी दृढ़ता कितनी अद्भुत है और परमेश्वर की घनिष्ठ मित्रता का अनुभव करना कितनी सौभाग्य की बात है.  

भजन संहिता 18:7-15

1. श्रेष्ठ परमेश्वर की आराधना कीजिये और उनकी अद्भुत उपस्थिति से प्यार कीजिये   

 दाऊद परमेश्वर की अद्भुत उपस्थिति का वर्णन करते हैं: ‘उनकी उपस्थिति की झलक से उसकी काली घटाएं फट गई; ओले और अंगारे।  तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई, ओले और अंगारे’ (वव.12-13).

 इस भजन में हम सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर की शक्ति और क्रोध दोनों देखते हैं: ‘तब पृथ्वी हिल गई, और कांप उठी और पहाड़ों की नेवे कंपित होकर हिल गई क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था’ (व.7). परमेश्वर का क्रोध (जो कि कभी भी दुर्भावनापूर्ण नहीं है) पाप के विरूद्ध उनका व्यक्तिगत क्रोध है.

 यदि हम मानव तस्करी, बच्चों के शोषण, संस्थागत यातना, या अन्य भयंकर अन्याय को बिना क्रोध किये देखते हैं, तो हम प्यार करने में असफल हैं. बुराई के विरूद्ध क्रोध करना भलाई का अत्यावशक घटक है. इस भजन में हम देखते हैं कि परमेश्वर का क्रोध उनके प्रेम से पूर्णतया विपरीत है.

  फिर भी, इस भजन में दाऊद परमेश्वर के साथ घनिष्ठ मित्रता का वर्णन करते हैं. यह ‘हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूँ’ (व.1) से आरंभ होता है. दाऊद ने इसे हल्के में नहीं लिया. वह सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर के साथ अपनी घनिष्ठ मित्रता के सौभाग्य को जान गए.   

प्रभु, मैं आपको धन्यवाद करता हूँ कि मैं इस सृष्टि के रचियता के साथ घनिष्ठ मित्रता कर सकता हूँ. मैं आप से प्रेम करता हूँ, हे प्रभु, मेरा बल.  

मत्ती 21:33-22:14

2. परमेश्वर के निमंत्रण को स्वीकारें और उनके साथ घनिष्ठ मित्रता का आनंद उठाएं

 यूके में पिछली दो राजसी विवाह हुए थे जो कि राजकुमार विलियम और कॅथरिम मिडलटन के बीच – और अब ड्यूक और कैम्ब्रिज के डॅचेस के बीच हुए थे. कल्पना कीजिये जब आप डाक खोलें और उसमें आपको उनके विवाह का आमंत्रण मिले तो कैसा  लगेगा? यीशु कहते हैं हम सबको सदा काल के सबसे बड़े राजसी विवाह का आमंत्रण दिया गया है.    

 यीशु परमेश्वर के राज्य का वर्णन दाख की बारी और एक विवाह के भोज रूप में करते हैं. ये दोनों तस्वीरें परमेश्वर की उदारता और हमारे प्रति उनके अद्भुत प्रेम को बयान करती है.

 लेकिन परमेश्वर का प्रेम भावुकतापूर्ण नहीं है. एक बार फिर, हम परमेश्वर के प्रेम और दया का विपरीत पहलू देखते हैं, जो कि उन लोगों का न्याय करना है जो उनके प्रेम को ठुकरा कर दुष्टता कर रहे हैं (21:35 से आगे).  ‘पर जब किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थरवाह किया ’ (व.35) और अंत में विद्रोह के कार्य में जब उन्होंने उनके पुत्र को दाखबारी से निकालकर मार डाला (व.39), तो अब उन पर दंड आएगा (व.41).  

यीशु खुद की मृत्यु के बारे में पहले से बता रहे हैं. वही ‘पुत्र’ और ‘वारिस’ हैं (वव.37-38) जिन्हें परमेश्वर ने भेजा है. फिर भी, उन लोगों ने उन्हें मार डाला (व.39). यीशु ने कहा कि मैं वही पत्थर हूँ जिसे राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया (व.42). यीशु का इंकार करने की वजह से उनका न्याय होगा (वे लोग यीशु को गिरफ्तार करने का कारण ढूँढ़ रहे थे व.46).

 उसी तरह विवाह के भोज में आने के लिए और परमेश्वर अपने साथ घनिष्ठ मित्रता करने के लिए खुला आमंत्रण दे रहे हैं. उनके राजसी विवाह में उपस्थित रहने का आमंत्रण पाना बड़े सौभाग्य की बात है. यह एक मूल्यवान (व.4) और खुला आमंत्रण है (वव.9-10).  इसमें सभी लोग आमंत्रित हैं. इस आमंत्रण को बारबार दोहराया गया है (वव.1-4).

 मैंने इसे दिलचस्प पाया है कि यीशु परमेश्वर के राज्य की तुलना एक भोज से करते हैं. ज्यादातर लोग परमेश्वर के बारे में जो सोचते हैं, यह उसके ठीक विपरीत है. वे इसे गंभीर और उदासपूर्ण, अरूचिकर और उबाऊ समझते हैं. लेकिन यीशु कहते हैं कि परमेश्वर का राज्य एक उत्सव है. यह एक उत्सव है जहाँ बहुत सारी हँसी, आनंद और दावतें हैं.

 फिर भी ‘वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को’ (22:5). यीशु के साथ संबंध बनाने की अपेक्षा उन्होंने अपने काम धंधे और धन संपत्ति को ज्यादा प्राथमिकता दी. कुछ लोग अत्यधिक कठोर और शत्रुतापूर्ण थे – ‘औरों ने जो बच गए थे उसके दासों को पकड़कर उन का अनादर किया और मार डाला’ (व.6). यीशु कहते हैं, ‘फिर राजा ने क्रोध किया’ (व.7).

 परमेश्वर का निमंत्रण ऐसा नहीं है जिसे आप गंभीरता से न लेते हुए इसे हल्के में लें. यह एक आश्चर्यजनक और अद्भुत आमंत्रण है. यह बड़े सौभाग्य की बात है कि प्रतापी परमेश्वर अपने साथ घनिष्ठ मित्रता करने के लिए आपको बुला रहे हैं. आपके पास विवाह में जाने के लिए उचित कपड़े होने चाहिये (वव.11-13). आप अपनी शर्तों पर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते – बल्कि सिर्फ यीशु की शर्तों पर. धन्यवाद रूप से, उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान और पवित्र आत्मा के वरदान के द्वारा, यीशु ने आपको आवश्यक पोशाक दी है. 

 प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपके प्रेम में, आपने मेरे लिए एक भोज का आयोजन किया है. आज आपके साथ घनिष्ठ मित्रता का आनंद लेने के लिए मैं आपके आमंत्रण को स्वीकारता हूँ और आपके पास आता हूँ.

अय्यूब 25:1-29:25

3. परमेश्वर की श्रेष्ठता और उनकी दृढ़ता को समझें

 आप जिन परेशानियों और समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसके प्रति क्या आपने कभी पूर्णतया पराजित महसूस किया है? क्या आपको संदेह है कि परमेश्वर सामर्थी हैं या नहीं अथवा क्या वे आपकी सहायता करना चाहते हैं या नहीं?  

अयूब परमेश्वर की श्रेष्ठता को समझ गया था. वह कहता है, ‘मैं तुम्हें ईश्वर के काम के विषय में शिक्षा दूंगा’ (27:11अ). वह बताता है कि अपने आसपास स्वाभाविक दुनिया में परमेश्वर की सामर्थ जो देखते हैं ‘वह उनके कार्य की ऊपरी सतह है’ (व. 12). 

  परमेश्वर आपकी सहायता करने में सामर्थी हैं.

  परमेश्वर आपकी मदद करने में केवल सामर्थी ही नहीं है, बल्कि ऐसा करने के लिए वह आपसे प्रेम भी करते हैं. अयूब परमेश्वर की दृढ़ता के बारे में सबकुछ जानते थे. उन्हें ‘परमेश्वर की घनिष्ठ मित्रता का अनुभव था’ (29:4) जहाँ सच्ची बुद्धि पाई जाती है.

 ‘परमेश्वर का भय मानना यही बुद्धि और अंतर्दृष्टि है, और बुराई से दूर रहना यही समझ है’ (28:28, एमएसजी). परमेश्वर का भय मानना यानि परमेश्वर का आदर करना है. अब हम जान गए हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर की बुद्धि हैं. उनके साथ घनिष्ठ मित्रता में आप सच्ची बुद्धि प्राप्त करते हैं.

 अयूब बुद्धि की अपरिमित कीमत का वर्णन करते हैं: ‘परन्तु बुद्धि कहां मिल सकती है?...... चोखे सोने से वह मोल लिया नहीं जाता। और न उसके दाम के लिये चान्दी तौली जाती है...... परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है...... प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है: और बुराई से दूर रहना यही समझ है’ (28:12,15-28).

यह किस प्रकार के जीवन में ले जाता है? यह बुराई से दूर रहने के जीवन में (व.28) और गरीबों की सेवा करने के जीवन में ले जाएगा (29:12). अयूब सच्चे धार्मिक जीवन का वर्णन ‘दीन जन... अनाथों,,,,, नाश होने वाले लोगों..... विधवाओं.... अंधों.... लंगड़ों..... जरूरतमंदों......और अंजान लोगों’ की सेवा करने के रूप में करते हैं.

 जब आप परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध में आते हैं, तो उनकी चिंता आपकी चिंता बन जाती है. अयूब की तरह, आप भी गरीबों, अनाथों, बेघर लोगों और विधवाओं की मदद करना चाहेंगे. आप अन्याय से पीड़ित लोगों को बचाना चाहेंगे. आप अपने देश में अंधों, लंगड़ों, जरूरतमंदों और शरणागतों को ढूँढेंगे.

 वास्तव में अयूब ने परमेश्वर के साथ अपनी घनिष्ठ मित्रता को गंवाया नहीं था. बल्कि, उस समय वह बता रहा था कि वह इसका एहसास नहीं कर पा रहा है. वह अत्यधिक कष्ट में से गुजर रहा था. उसे ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर उससे मीलों दूर हैं. इस समय आप भी ऐसा महसूस कर रहे होंगे. यदि ऐसा है, तो आप अयूब की कहानी से उत्साहित हो जाइये.

 जब हम अयूब की पुस्तक के अंत में आते हैं, तो हम जान जाते हैं कि परमेश्वर ने उसे कभी नहीं छोड़ा था. परमेश्वर उसे इतना आशीष देने वाले थे जितना कि उसने कभी मांगा नहीं था या कल्पना भी नहीं की थी. परमेश्वर उसे अपने साथ घनिष्ठ मित्रता के एहसास को बहाल करने वाले थे. 

यीशु के द्वारा, अब हम सब सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर के साथ घनिष्ठ मित्रता का अनुभव कर सकते हैं और अपने जीवन में उनकी असीमित आशीषों को जान सकते हैं.

  प्रभु, अयूब के उदाहरण के लिए आपको धन्यवाद. कष्ट के समय में, मैं अपने जीवन में आपकी घनिष्ठ मित्रता और आशीषों के वायदे को पकड़े रहूँगा. जब मैं आपके करीब आता हूँ, तब अन्याय और दीन जनों के प्रति आपकी चिंता मेरी चिंता बन जाती है.  

Pippa Adds

हम सब अपने दोस्तों को उनकी जरूरत के समय में सांत्वना देने जाते हैं पर अयूब के दोस्त कम से कम उसके पास गए तो सही. कभी-कभी, उनके कष्ट के समझने या उनकी मदद करने की कोशिश में हम वह सब बोल जाते हैं जो उस समय जरा भी लाभकारी नहीं होते! जब वे कष्ट में होते हैं तो यह जानना बहुत मुश्किल हो जाता है कि उनकी मदद कैसे की जाए. कुछ लोग बिल्कुल सही समझ पाते हैं, लेकिन अक्सर सबसे अच्छी बात सुनना और प्रार्थना करना है. 

References

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है। 

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

 जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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एक वर्ष 2019 में बाइबल

दुनिया भर में 20 लाख से अधिक अनुमानित प्रयोक्ताओं के साथ, Bible in One Year, एक प्रमुख दैनिक बाइबल पठन की योजना है। प्रत्येक दिन आपको, एक प्साल्म या नीतिवचन पाठ, एक न्यूटेस्टामेंट पाठ और एक ओल्ड टेस्टामेंट पाठ प्राप्त होगा। फिर निकी और पिप्पा गंबेल, अंतर्दृष्टिपूर्ण कमेंटरी प्रदान करते हैं, जो कि बाइबल के साथ-साथ पाठों के बारे में ताज़ा समझ प्रदान करने के लिएपढ़े या सुने जाने के लिए है। निकी लंदन में HTB चर्च के पादरी और Alpha के अग्रदूत हैं।

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