एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना
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यीशु के साथ समय
फरवरी 1974 में मेरी यीशु के साथ मुलाकात हुई। मैं उन लोगों का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने शुरुवात से मुझे 'शांत समय’ की महत्ता को सिखाया।
पुराना प्रचलित शब्द 'शांत समय’ (इसका अर्थ है बाईबल पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए अलग निकाला गया समय) इसका उद्गम शायद से नये नियम के लेखांश में यीशु के वचनों में से हुआ हैं, 'मेरे साथ एक शांत जगह में चलो’ (मरकुस 6:31)। जब मैं अठारह वर्ष का था तब से ही मैंने प्रतिदिन सुबह दिन की शुरुवात इसी तरह से की है। मैं एक शांत जगह में यीशु के साथ अकेले समय बिताने की कोशिश करता हूँ। कभी-कभी यह बहुत थोड़े समय के लिए होता है, और कभी यह बहुत देर तक चलता है। लेकिन जैसे कि मुझे दिन की शुरुवात नाश्ते के बिना करना पसंद नहीं हैं, वैसे ही मैं आत्मिक भोजन के बिना दिन की शुरुवात करने की कल्पना नहीं कर सकता हूँ।
लगभग हमेशा, मैं बाईबल पढ़ने से शुरुवात करता हूँ, क्योंकि मैं विश्वास करता हूँ कि यह ज्यादा जरुरी है कि यीशु मुझसे बात करें, इसकी तुलना में कि मैं उनसे बात करॅं। मेरे प्रतिदिन के विचार अब इन नोट्स के मुख्य आधार हैं, जिन्हें हम अपने बाइबल इन वन यर में भेजते हैं.
भजन संहिता 25:1-7
परमेश्वर की ओर देखने का समय
क्या आप कभी अपनी परिस्थितियों के द्वारा भयभीत महसूस करते हैं? क्या आप कभी डरते हैं कि शायद आप हार जाएँगे और निराश हो जाएँगे या लज्जित होंगे?
दाऊद को स्पष्ट रूप से ऐसा डर था और वे हमें एक उदाहरण देते हैं कि कैसे एक शांत समय की शुरुवात करनी चाहिए। वे कहते है, 'हे परमेश्वर, आपके पास मैं अपने जीवन को लाता हूँ’ (व. 1, ए.एम.पी.)। आगे आने वाली चुनौतियों के बावजूद वह परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वे आगे कहते हैं, ‘हे मेरे परमेश्वर, मैं आप पर भरोसा करता हूँ, आप पर निर्भर रहता हूँ और मेरा विश्वास आप पर है। मुझे लज्जित न होने दें या (आप में मेरी आशा को) निराश न होने दें; मेरे शत्रुओं को मुझ पर जय न पाने दें’ (व. 2, ए.एम.पी.)।
वे कहते हैं, ‘परमेश्वर, मैं आपकी ओर देख रहा हूँ’ (व. 1 एम.एस.जी.)। निश्चित ही उन पर प्रहार हो रहे थें, किंतु उन्होंने विश्वास किया कि परमेश्वर कभी भी उन्हें लज्जित नहीं होने देंगे (व. 3)। उनकी आशा हमेशा से परमेश्वर पर थी (व. 5)।
आगे आने वाली चीजों के लिए तैयारी में हर दिन परमेश्वर की ओर देखने के लिए समय निकालिये। परमेश्वर की दया, क्षमा, सहायता, मार्गदर्शन और छुटकारे को माँगिये।
परमेश्वर, आज जिस किसी चीज से मैं जुड़ा हूँ उसमें मैं आपके मार्गदर्शन को माँगता हूँ 'मेरे हाथो को थामकर मुझे चलाईयें; मुझे सच्चाई के मार्ग में ले जाईये...मेरे लिए केवल सर्वश्रेष्ठ की योजना कीजिए, परमेश्वर! (वव. 5,7, एम.एस.जी.)।’
मरकुस 6:30-56
यीशु के साथ अकेले में समय बिताना
यीशु ने उनके चेलो को उनके साथ अकेले में समय बिताने की महत्ता को सिखाया। उन्होंने उनसे कहा, 'मेरे साथ एक शांत जगह में चलो’ (व. 31ब) और वे अपने आप 'एक एकांत जगह में गए’ (व. 32)
यीशु के जीवन में बहुत से महान कार्य हो रहे थे, अवश्य ही उनके लिए थोड़ा समय निकालकर थोड़ा आराम करना बहुत ही मुश्किल रहा होगा (व. 31)। परमेश्वर अद्भुत तरीके से उनका इस्तेमाल कर रहे थे – 5,000 लोगों को भोजन खिलाते हुए और पानी पर चलते हुए! उन्होंने सभी लोगों की बहुत सी जरुरतों को देखा ('उन्हें लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो’, व. 34)।
वे यीशु के लिए आतुर थे और उनकी ओर दौड़ रहे थे (वव 33,55)। फिर भी, यीशु ने उन्हें वापस भेजना जरुरी समझा। उन्हें थोड़ा एकांत की आवश्यकता थी। वे प्रार्थना करने के लिए पह़ाड पर चढ़ गए (व. 45–46)। उन्होंने परमेश्वर के साथ एकांत समय को प्राथमिकता दी।
प्रार्थना और कार्य साथ-साथ होते हैं। संबंध में से गतिविधी बाहर आती है। यीशु को 'उन पर दया आयी’ (व. 34)। 'तरस’ के लिए ग्रीक भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल किया गया है। 'उनका हृदय पिघल गया’ (व. 34 एम.एस.जी)।
यीशु नियमित रूप से चेलों को उनकी सेवकाई में विकसित करते थे और उत्साहित करते थे। उन्होंने केवल अकेले ही लोगो को चमत्कारी रूप से भोजन नहीं खिलाया। उन्होंने उनसे कहा, ‘तुम उन्हें कुछ खाने के लिए दो’ (व. 37)।
कभी – कभी मैं इस सेवकाई के द्वारा भयभीत महसूस करता हूँ जो परमेश्वर ने मुझे दी है। अक्सर, मैं महसूस करता हूँ कि मेरे पास उन लोगों को देने के लिए बहुत थोड़ा है जिनकी मैं सेवा करने के लिए बुलाया गया हूँ। मुझे इस लेखांश से बहुत शांति मिलती है। थोड़े के साथ यीशु बहुत कुछ कर सके। यदि आप यीशु को वह थोड़ा देंगे जो आपके पास है, तो वह इसे बढ़ा सकते हैं और सभी लोगों की जरुरतों को पूरा करेंगे।
यीशु सक्षम, संगठित और प्रायोगिक थे। उन्होंने 'उनसे लोगो को हरी घास पर समूह में बैठाने के लिए कहा। इसलिए वे सौ और पचास के समूह में नीचे बैठ गए’ (वव. 39–40)।
जब चेले 5,000 लोगों को भोजन खिला चुके थे, तब यीशु ने उन्हें आगे भेज दिया। उन्होने अपने चेलो को नाव में बैठकर उनसे आगे जाने के लिए कहा, जबकि वे स्वयं प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर चले गए।
यहाँ तक कि जब हम वह कर रहे होते है जो यीशु ने हमसे करने को कहा है, तो कभी कभी यह बहुत ही मुश्किल और कठिन काम होता है। ऐसा समय भी होता है जब मैं 'व्यथित (परेशान और डर और भय से भरा हुआ)’ महसूस करता हूँ (व. 50 ए.एम.पी.)। चेले 'पतवार के साथ बहुत परिश्रम कर रहे थे, क्योंकि हवा उनके विरूद्ध बह रही थी’ (व. 48)। जब यीशु आकर उनके मिले, उनसे कहा, 'ढ़ाढ़स बाँधो! यह मैं हूँ। डरो मत’। (व. 50)।
जैसे ही यीशु उनके साथ नाव पर गए, ‘हवा थम गई’ (व. 51)। हम उस बदलाव के एक चित्र को देखते हैं जो यीशु हमारे जीवनों में करते हैं। यह एक कड़ा संघर्ष है जब तक कि हम अपने साथ यीशु की उपस्थिति के प्रति सचेत नही होते हैं।
केवल वे जो यीशु को जानते हैं (व. 54) इस संबंध का आनंद ले सकते हैं। जो उन्हें जानते थे उनकी ओर दौड़े (व. 55) और 'जितनों ने उन्हें छुआ वे चंगे हो गए’ (व. 56)।
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि जीवन के तूफान में आप मुझसे कहते हैं, ‘ढ़ाढ़स बॉंधो! यह मैं हूँ। डरो मत’ (व. 50)।
निर्गमन 31:1-33:6
परमेश्वर से सहायता ग्रहण करने का समय
यीशु चाहते थे कि उनके चेले एकांत में चले जाएँ ताकि थोड़ा आराम कर सकें (मरकुस 6:31)। इस लेखांश में हम आराम और ताजगी के महत्व को देखते हैं (निर्गमन 31:13–17)। हमें अपनी समय सारिणी को देखने की आवश्यकता है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम इन समयों को प्राथमिकता में रखे।
यीशु के साथ अकेले में समय बिताना है उनकी बातें सुनना। मुख्य तरीका जिससे हम यीशु को हमसे बात करते हुए सुनते है वह है बाईबल के द्वारा। अक्सर जब हम यीशु के साथ अकेले में समय नहीं बिता पाते हैं, तब ही हम आसानी से परीक्षा में पड़ते हैं।
निर्गमन 32 में, हम देखते हैं कि भूतकाल में परमेश्वर ने चाहें हमारे लिए कितना कुछ क्यों न किया हो, हम बहुत ही जल्दी इसे भूल जाते हैं और उन पर संदेह करते हैं, और इसके परिणामस्वरूप, पाप में चले जाते हैं: 'और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैंने उनको दी थी उसको उन्होंने छोड़ दिया’ (32:8)।
उनकी मूर्तिपूजा का शुरुवाती कारण धीरज की कमी थी। उन्होंने परमेश्वर के समय का इंतजार नहीं किया। यह तथ्य कि परमेश्वर समय लेता है जिसे हम एक लंबे समय के रूप में देखते हैं, तब इसका अर्थ यह नहीं कि वह काम नहीं कर रहे हैं।
जब लोगों ने सोने के बछड़े को एक मूर्ति के रूप में बनाया, तब यह मूसा की प्रार्थना थी जिसने संपूर्ण विपत्ति को रोका (व. 11–14)। प्रार्थना की सामर्थ के द्वारा इतिहास की दिशा को बदलना संभव है।
हारुन मूर्तिपूजा के लिए उत्तरदायी ठहरेः 'इन लोगों ने तेरे साथ क्या किया कि तू ने उनको इतने बड़े पाप में फँसाया?’ (व 21)। असल में, हारुन ने प्रचलित मत को माना। यह लोगों का विचार था, जिस पर उसने काम किया था। फिर भी परमेश्वर की नजरों में वह अब भी लीडर था। उन्हें पाप में ले जाने के लिए अपने आपको मनाने के बजाय, हारुन को उनके विरूद्ध खड़ा रहना चाहिए था।
हारुन ने उत्तर दिया, 'तू तो इन लोगों को जानता ही है कि ये बुराई में मन लगाए रहते हैं... उन्होंने मुझे सोना दिया और मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा!’ (व. 22–24)। निश्चित ही यह बेतुकी बात है लेकिन अपने आपको निर्दोष साबित करने के लिए सच्चाई को छिपाना बहुत ही आसान बात है।
आज के लेखांश को इसके नये नियम के प्रदर्शन प्रकाश में और ज्यादा पूरी तरह से समझा जा सकता है। संत पौलुस लिखते हैं, ‘ये बातें हमारे लिये दृष्टान्त ठहरी, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्तुओं का लालच न करें।’ (1कुरिंथियो 10:6)। वे कहते हैं कि यह लेखांश हमें चार चीजों के बारे में चेतावनी देता हैः
असंयम (1कुरिंथियो 10:7; निर्गमन 32:6)
व्यभिचार (1कुरिंथियो 10:8, एम.एस.जी.)
स्वयं की पूजा (व.9)।
संत पौलुस आगे कहते है, 'परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्टान्त की रीति पर भी: और वे हमारी चेतावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं ‘ (व.11)। यहाँ पर दंड की तीक्ष्णता एक चिह्न है कि यें पाप कितने गंभीर और विनाशकारी हैं। उन्हें फलने देने में परमेश्वर की अनिच्छा को वे हमें दिखाते हैं।
फिर भी पौलुस इसे वहीं पर छोड़ नहीं देते हैं, वह हमें बताते हैं कि कैसे प्रलोभनों से निपटना है'? तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है; और परमेश्वर सच्चा है; वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको’ (व. 13, एम.एस.जी.)।
ये अंतिम वचन हमें परीक्षा में हमारी सहायता करने के लिए हमारे प्रति परमेश्वर के अद्भुत अनुग्रह की याद दिलाते हैं। किंतु जब हम इन क्षेत्रों में यदि नीचे गिर भी जाते हैं तब भी यीशु हमें क्षमा कर सकते हैं।
Pippa Adds
परमेश्वर, आपकी उपस्थिति में समय बिताने की जो अद्भुत सुविधा हमारे पास है उसके लिए आपका धन्यवाद। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आपकी आवाज को सुन सकता हूँ और उसे सुन सकता हूँ जो आप वचनों के द्वारा मुझसे कहते हैं। परीक्षा में न पड़ने के लिए सावधानी बरतने में मेरी सहायता कीजिए। हर दिन मुझे अपने साथ नजदीकी संबंध में चलाते रहिए।
पीपा विज्ञापन
निर्गमन 31:1–33:6
कितनी जल्दी लोंग बुराई में फँस जाते हैं जब उन्हें उनकी ही युक्तियों पर छोड़ दिया जाता है। हारुन को बेहतर पता होना चाहिए था – वह बहुत से महान चमत्कारो का भाग बन सकते थे। यहाँ तक कि वह भी भीड़ के द्वारा भटक गए थे। केवल मूसा पूरी तरह से वफादार बने रहे। लीडरशिप अकेले हो सकती है। मूसा एक सच्चे लीडर थे।
References
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में
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