उदारता में महारतीनमूना
परमेश्वर हमें इसलिए आशीष देते हैं क्योंकि वह भले परमेश्वर हैं। वह हम से प्रेम करते हैं और वह चाहतें हैं कि हम समृद्ध हों। लेकिन हमें बहुतायत से आशीषित करने के पीछे एक कारण है।
उसका एक उद्देश्य हैः वह हमें आशीषित करे और हम दूसरों को आशीषित कर सकें।
जब हम उदार होते हैं, तब परमेश्वर प्रायः हमें अधिक देते हैं ताकि हम भी दूसरों को और ज्यादा दे सकें।
आइये हम 2 कुरिन्थियों के एक अनुच्छेद को देखें जहां पर पौलुस बोने और काटने के बारे में लिखता है। यह अनुच्छेद हमारे जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह को ‘बहुतायत’ से उण्डेलने की योग्यता का वर्णन करता है। क्यों प्रभु ऐसा करते है बताने के लिए पौलुस खेती करने के दृष्टिकोण का इस्तेमाल करता हैः
जैसा लिखा है, “उसने बिखेरा, उसने कंगालो को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा।” अतः जो बोनेवाले को बीज और भोजन के लिए रोटी देता है, वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्त करेगा; और तुमळारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा। तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किये जाओ। (2 कुरिन्थियों 9:9-11)
परमेश्वर बोने वाले को बीज देते हैं- यह किसान का स्रोत है। कृषि के इस तरीके को आत्मिकता के साथ जोड़ने के द्वारा, यह दर्शाया गया है कि वह सारा धन परमेश्वर हमें प्रदान करते हैं। जो कुछ किसान को प्राप्त होता है वह उस पर मेहनत करके उससे ही रोटी बनाता है। उसे अपनी और अपने परिवार की देखभाल करनी होती है। लेकिन उसके पास एक ”बीज का भण्डारगृह या गोदाम“ होता है और उसे इस बात का निर्णय लेना होता है कि वह उसका क्या करे। क्या वह उसके सारे बीज को रखने के लिए और ज़्यादा बिटौरों को बनाये? या वह उस बीज को ज़मीन पर लगा देता है ताकि उसे कई गुना और फसल प्राप्त हो सके?
पौलुस बीज संग्रह करने के भण्डार के बढ़ाये जाने के विषय में बात करता है जिससे फसल की वृद्धि होगी। और उदारता के सन्दर्भ में अगर देखें तो, यह वृद्धि “धार्मिकता की फसल है।”
क्या आप यहां पर सिद्धान्त को देख पा रहे हें। परमेश्वर हमारे जीवन को आत्मिक तौर पर, संबंधों के क्षेत्र में, और भौतिक तौर पर आशीष देना चाहते हैं - या जैसा पौलुस ने कहा ”सब प्रकार के लिए“ क्यों? ताकि हम ”हर उपलक्ष्य में“ उदार हो सकें।
वह हम पर अपनी आशीषों को इसलिए उण्डेलता है ताकि हमारी सारी जरूरतें पूरी हो सकें, लेकिन साथ ही साथ हम दूसरों के जीवन में निवेश भी कर सकें। इस तरह से भण्डार गृह की संख्या बढ़ती है और हमारी ”धार्मिकता की फसल में“ वृद्धि होती है। विश्वास के हर कदम को बड़ा प्रतिफल मिलता है। जिसके परिणामस्वरूप परमेश्वर को धन्यवाद दिया जाता है।
यही उदारता के क्षेत्र में परमेश्वर की श्रेष्ठता है। जब हम अपने पास उपलब्ध स्रोतों से दूसरों की आपूर्ति करते हैं तो परमेश्वर हमें आशीष देकर हमारे मन को लालच करने से बचाते हैं।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
उदारता में महारती, नामक पुस्तक में से ली गयी अध्ययन करने की पांच दिनों की योजना में, चिप इंग्राम बताते हैं किस प्रकार से हम वह महारती या निपुण लोग बन सकते हैं जिसके लिए हमें रचा गया था- अर्थात वे लोग जो उदारता में निपुण होने के लाभ को समझते हैं।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज ऑन लिविंग को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/