केवल यीशुनमूना

केवल यीशु

दिन 6 का 9

केवल यीशु- बुराई पर विजय पाने वाला 

हम इस धरती के वासी होने के  कारण अपने जीवन में लगातार बुराई का सामना करते हैं। हमारे सामने हमेशा  इस प्रकार का लालच या प्रलोभन आता है कि हम, लोगों को हटाकर, लोगों का नाजाइज़ इस्तेमाल करके या लालच करके जल्दी से सन्तुष्टि प्राप्त कर लें। यदि हम यीशु के जीवन को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि वह शत प्रतिशत  परमेश्वर होने के साथ साथ शत प्रतिशत मनुष्य भी था फिर भी वह प्रलोभन और परीक्षाओं पर जयवन्त हुआ, उसने बुराई का सामना किया और उसे पूरी तरह अपने वश में कर लिया। इसलिए हमारे पास बुराई में फंसने और उसके अधीन होने का कोई बहाना नहीं है, क्योंकि प्रभु ने हमें चुनाव करने की आजादी प्रदान की है। हम चाहे तो बुराई पर विजय पाने का चुनाव कर सकते हैं या उसके अभिभूत होने का। 

आज के सन्देश  में हम, मरूस्थल में शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा को देखते हैं । यीशु जिस समय मरूस्थल की भीषण गर्मी में उपवास और प्रार्थना कर रहे थे, शैतान आकर उसे बहकाने लगा। जिस समय पर परीक्षा लेने वाला आकर उसकी शारीरिक भूख को मिटाने के लिए सुझाव दे रहा था उस समय पर यीशु थका हुआ और शक्तिहीन था। उसने यीशु से पत्थर को रोटी में बदलने के लिए कहा जिसका उत्तर यीशु ने वस्थाविवरण के एक वचन के द्वारा दियाः “मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं; वरन परमेश्वर के मुंह से निकले हुए हर एक वचन से जीवित रहता है। ” नदि के बारे में एक बात यह है कि वह किसी पानी के स्रोत से कहीं अधिक अपने चारों ओर पायी जाने वाली चीजों से जुड़ी रहती है जिसका अर्थ यह है कि जब हम परमेश्वर के वचन से जुड़ने या उसका अध्ययन करने का निर्णय करते हैं तो हमारा परमेश्वर के साथ घनिष्ठ रिश्ता अपने आप बन जाता है। यदि हमारे परमेश्वर का वचन हमारे हृदय और हमारे मुंह में नहीं है तो हम कभी शत्रु का सामना करने के लिए अपने पास गोला-बारूद होने की अपेक्षा नहीं कर सकते ।यीशु शत्रु का सही तरीके से सामना करना इसलिए जानते थे क्योंकि उन्हें परमेश्वर का वचन अच्छे से पता था। दूसरा काम शैतान ने यह किया कि उसने अपने लाभ के लिए परमेश्वर के  वचन को घुमा दिया। उसने भजन संहिता 91 के वचनों को लिया और यीशु से कंगूरे पर से कूद जाने के लिए कहा, क्योंकि परमेश्वर के वचन में लिखा है कि “ वह उसके विषय में स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा कि वे उसकी रक्षा करें ।”  लेकिन यीशु ने उसे दो टूक जवाब देते हुए शैतान से कहा कि वचन में लिखा है कि  “ तू परमेश्वर की परीक्षा न ले।”  कई बार जब चीजें हमारी मर्जी या हमारी योजना के अनुसार नहीं होतीं या कुछ अनापेक्षित हो जाता है तो हमारे भीतर परमेश्वर के विरूद्ध प्रश्न उठने लगते हैं। कई बार हम उन बातों से लड़ सकते हैं जिन्हें समझना हमारे लिए मुश्किल  होता है, लेकिन कभी कभी हमारे जीवन में ऐसे समय भी आते हैं जब कुछ समझ में नहीं आने पर भी  कि क्यों  या कैसे यह सब हो रहा है,  हमें अपने मन में परमेश्वर पर विश्वास और भरोसा करते रहना चाहिए। 

तीसरी काम जो शैतान ने किया वह था कि उसने यीशु को संसार का राज्य और उसका वैभव दिखाकर कहा कि यदि वह उसे गिरकर दण्डवत करे तो वह यह वैभव उसको दे देगा ।यीशु ने शैतान को डांटा और व्यवस्थाविवरण के एक वचन का हवाला दिया जिसमें लिखा है “तू केवल अपने प्रभु परमेश्वर को ही दण्डवत कर।” इसका बहुत बड़ा मायना है कि हम किसकी उपासना या दण्डवत करते हैं जिस की हम उपासना या जिसकी हम पूजा करते हैं वह हमारी सम्पत्ती, हमारी जीविका, हमारा परिवार या हमारी सेवकाई भी हो सकती है। और जो कुछ हमारे जीवन में परमेश्वर का स्थान लेता है वह एक मूर्ति है और कोई भी मूर्ति हमें परमेश्वर से दूर ले जाती है।यीशु मसीह के समान ही प्रलोभनों और परीक्षाओं  पर विजय प्राप्त करने के लिए, हमें यह चुनाव करना चाहिए कि हम आज किसको दंडवत करते हैं  और हमारे जीवन के बाकि दिनों में किसकी आराधना और सेवा करेगें। 

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप हमारी बुराई पर विजय पाने में ही नहीं वरन बुराई को भलाई से जीतने में सहायता करें । हमें केवल आपकी आराधना करने, आपके वचनों को भली प्रकार से जानने और सारी बातों में आप पर विश्वास करने में मदद करें ।यीशु के नाम में, आमीन। 

पवित्र शास्त्र

दिन 5दिन 7

इस योजना के बारें में

केवल यीशु

इस दुविधाजनक समय में मसीह को और गहराई से जानने और इस अनिश्चित समय में भय से बढ़कर भरोसा करने का चुनाव करें। हम विश्वास करते हैं जब आप इस योजनाबद्ध अध्ययन का अनुपालन करेगें तो आप भविष्य में एक नये आत्म विश्वास के साथ प्रवेष करेगें, फिर चाहे रोज़मर्रा की परिस्थितियां जैसी भी हों।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए We Are Zion को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://www.wearezion.in