जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Mananनमूना
दिन 12 - प्यार करने की आज्ञा
आइए हम आज यूहन्ना 15:10 देखें “यदि तुम मेरे आदेशों का पालन करोगे तो तुम मेरे प्रेम में बने रहोगे। वैसे ही जैसे मैं अपने परम पिता के आदेशों को पालते हुए उसके प्रेम में बना रहता हूँ।”
हम उसमें कैसे बने रहते हैं? हम सर्वप्रथम यह जानते हुए बने रहते हैं कि उसने हमें एक प्यार और संपूर्ण स्वीकृति के संबंध में बुलाया है।
यीशु आयत 10 में आगे कहता है कि यदि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें तो हम उस में बने रहेंगे। बढ़िया! वह आज्ञा कौन सी है?
यहां यीशु अपने लिए पिता के प्रेम के बारे में बताता है और हमारे लिए उसके अपने प्रेम के बारे में। यीशु कहता है की आज्ञाकारिता प्रेम का एक संकेत है। अगले 5 दिनों में हम प्यार के पांच विभिन्न पहलुओं के बारे में देखेंगे।
फरीसी आज्ञाकारी थे। क्या वह प्रेम का संकेत था? यीशु समझाता है वह आज्ञा क्या है आयत 12 और 13 में।
यह प्रतीत होने वाला बदलाव क्यों? केंद्र बदलता है यीशु के साथ हमारे संबंध से एक दूसरे के साथ हमारे संबंध की ओर?
वह जानता था कि अगर वह सिर्फ हमें उससे प्यार करने के लिए कहता तो आसान होता। उसने हमें एक दूसरे से प्यार करने के लिए कहा! वह जानता था कि यह माजरा कुछ और होगा!! उसके प्रति हमारे प्यार की परीक्षा उसकी आज्ञा के प्रति हमारे पालन में है; एक दूसरे से प्यार करो।
आनंद और फलवंतता का गुप्त स्रोत यह नहीं कि मैं परमेश्वर के लिए पर यह है कि मैं दूसरों के लिए क्या करता हूं। यीशु ने कहा, जो भी तुम अपने छोटे से छोटे भाई के लिए करते हो तुम मेरे लिए करते हो।
आप परमेश्वर के साथ संगति में बहुत अच्छे हो सकते हैं पर लोगों के साथ जुड़े हुए नहीं। लेकिन, यीशु हमें वही करने की चुनौती देता है। यह एक आज्ञा है। यह कोई सुझाव नहीं है।
यदि आपको अपने भाइयों और बहनों के साथ संगति करने, दोस्ती बनाने, जरूरत के समय एक दूसरे की मदद करने, एक दूसरे के लिए प्रार्थना करने से दूर रहने की आदत है; तो आप उस महान आज्ञा का उल्लंघन कर रहे हैं।
हमें अपनी समझ, बर्ताव और जीवनशैली को परमेश्वर के वचन के साथ जोड़ना है नाकि अपनी सुविधा के लिए वचन को तोड़ना-मरोड़ना है।
यीशु कहता है हम नहीं कह सकते कि परमेश्वर से प्यार करते हैं अगर हम अपने भाई से नफरत करते हैं। अच्छा आप कहेंगे मैं अपने भाई से नफरत नहीं करता। क्या आप अपने भाई से मसीह की तरह प्यार करते हैं?
परमेश्वर प्रेम है। परमेश्वर संबंध रखने वाला परमेश्वर। परमेश्वर के प्रेम का जिक्र बाइबिल में 310 बार है और नए नियम में 179 बार। उसने हमें अपने स्वरूप में बनाया। तो अगर यीशु कहता है जो कुछ मैं चाहता हूं वह प्रेम है, तो प्रेम ही है जो कुछ मैं चाहता हूं। यह बहुत सरल है पर सच में, जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो यह कितना सरल है। हमें भाता है नियमों, विधियों, धार्मिक कार्यों के पीछे छिपना बजाए संबंधों में निवेश करना, जोकि प्रेम के बराबर है।
क्या मैं, कलीसिया में आना, परमेश्वर की आराधना करना, अपना दशमांश देना और घर चले जाना बस इतना ही नहीं कर सकता हूं?
नहीं, मेरे दोस्त। मानवतावाद ने परमेश्वर के तथ्य को अलग करने की कोशिश की और प्रेम विकृत हो गया। जब आप सिर्फ ‘परमेश्वर को प्रेम कर’ मानते हैं बिना मानवीय तथ्य के तो आपके पास रह जाते है अतिवाद, उग्र धार्मिक समूह। दोनों ही अबाइबलीय और खतरनाक हैं। प्रेम मसीही आस्था के कोने का पत्थर है। परमेश्वर से प्रेम कर और एक दूसरे से प्रेम कर। आपको दोनों की जरूरत है। सब कुछ इन दो बातों पर टिका हुआ है।
मनन करें और खुद से पूछें| क्या मैं दूसरों को बिना शर्त वाला प्यार करने में संघर्ष करता हूं?
क्या मैंने सच में मेरे लिए परमेश्वर के अशर्त प्यार का अनुभव किया है? क्या मैं जानता हूं कि मेरे कुछ भी करने से वह मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करेगा और मेरे कुछ भी करने से वह मुझसे कम प्यार नहीं करेगा? इस सच को अपनी हड्डियों में बस जाने दे!
वचन उल्लेख
यूहन्ना 15:9-10
यूहन्ना 3:16
1 यूहन्ना 1:9
1 यूहन्ना 3:11-16
इस योजना के बारें में
कुछ समय से परमेश्वर मुझे दोबारा यूहन्ना 15 के पास ले आ रहा है। इन हालातों में यह मेरे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए ज्योति बन गया है। मैं आपको आमंत्रित करती हूं इन वचनों के कुछ मुख्य विषयों पर मनन करने; जानने, बढ़ने, और प्रेम करने के लिए। English Title: Know, Grow, Show - Reflections on John 15 by Navaz DCruz
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/