मजबूत बने रहें -Majaboot Bane Rahen ( Stay Strong)नमूना
दिन 5 - लगातार मजबूत बने रहें
कुलुसियों 2:7 तुम्हारी जड़ें उसी में हों और तुम्हारा निर्माण उसी पर हो तथा तुम अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो जैसा कि तुम्हें सिखाया गया है। परमेश्वर के प्रति अत्यधिक आभारी बनो।
पौलुस कुलुसे वासियों को उत्साहित करते हैं, लगातार अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो। ये बन्दा क्या कह रहा है? वह उन्हें मजबूत होने के लिए कह रहा है। यह एक सवाल उठाता है; उन्हें ऐसा क्यूँ करना है, उन्हें खुद को किस बात में मजबूत करना है और उन्हें खुद को कैसे मजबूत करना है?
आएं हम इनमे से हर एक भाग पर चिंतन करें।
क्यों
यह आयत 7 के बाद वाली आयतों से स्पष्ट हो जाता है। हम कुछ देर में उसपर आएँगे।
मैं कई चीज़ों के बारे में सोच सकती हूँ जिनमे मैं मजबूत हो सकती हूँ - कई चीज़ें मेरी सोच, मेरे नज़रिए को ढाल सकती हैं और मैं इनमे मजबूत बन सकती हूँ। ठोस धारणाएं होना एक बहुत अच्छा गुण है। अगर मेरे पास ठोस धारणाएं नहीं है, तो “खोखली और व्यर्थ शिक्षाएं मुझपर हावी हो सकती हैं, जो मानवी परम्पराओं और संसार की आदि-शिक्षा पर आधारित तो है पर मसीह पर नहीं।” कुल 2:8
इसीलिए, ये धारणाएं क्या हैं? इन्हें किन बातों ने ढाला है - इन धारणाओं के उसूल-प्रणाली और मूल संस्कार क्या हैं?
आज लोगों की कई बातों को लेकर ठोस धारणाएँ हैं जैसे पशु अधिकार, वन संरक्षण इत्यादि। इनमे से कुछ चीज़ें अपने आप में गलत भी नहीं हैं पर अगर जीवन के, मेरे वातावरण के विषय में मेरी एक स्वस्थ व्यापक समझ नहीं है तो मेरी धारणाएं तिरछी और थोड़ी गलत हो सकती हैं।
कुलुसे वासी इन खतरों से अनजान नहीं थे जैसे की हम आयत 8 के बाद आने वाली चेतावनियों से जान सकते हैं। पौलुस उन्हें चेतावनी दे रहा है की उन्हें हर उटपटांग सिद्धांत या तर्क या नए विचार के झांसे में नहीं आना है, जो प्रचलित हैं। लोग उन्हें सिखाई गई शिक्षा को नए तत्वज्ञान, उस समय के धार्मिक रिवाजों, व्यवस्था और अनुग्रह के एक मिश्रण के साथ मिला रहे थे। वह एक कबाड़ा दिखाई देने लगा था। राज्य की संस्कृति हमारे आसपास के राज्यों की संस्कृति के विरुद्ध है। हमें ना सिर्फ बनाए रखना पर अपने आसपास की संस्कृति को व्यवस्थित करना है। पौलुस उन्हें सुसमाचार में मिलावट के प्रति चेतावनी दे रहा था और कह रहा था की जो शिक्षा उन्हें प्रेरितों और अन्य भरोसेमंद अगुवों से मिली है उसीमे बने रहना है।
क्या हम आज भी इसी का सामना कर रहे हैं? जिसे बाइबिल में गलत और पापमय समझा जाता है उसे अब कमजोर किया और चुनौती दी जा रही है।
“उन लोगों का बुरा हो जो कहा करते कि अच्छी बातें बुरी हैं, और बुरी बातें अच्छी हैं। वे लोग सोचा करते हैं कि प्रकाश अन्धेरा है, और अन्धेरा प्रकाश हैं।” यशायाह 5:20
लगातार नए नियम बनाए जा रहे हैं गलत को सही और सही को गलत बताने के लिए। पाप को, पाप कहना अब सच में “एक पाप” हो गया है। कितने दुख की बात है! मानवतावाद ने हमेशा परमेश्वर और उसके आदर्शों की जगह लेने की कोशिश की है, हमारे जीवनों का मापदंड बनने के लिए।
मुझे अच्छा लगता है जिस तरह पौलुस पहले सिद्धांत बताते हैं और फिर उसे लागू करने के बारे में समझाते हैं। यह जरूरी है नहीं तो हम सिद्धांत को पौलुस की राय यह समझकर रद्द कर देंगे की उसे मानने या न मानने का चुनाव हमारा है।
हाल ही में किसी ने मेरे सिद्धांतों और उनके प्रयोग को चुनौती दी यह कहते हुए की वे मेरी पीढ़ी के लिए ठीक होंगे पर उसके लिए बेकार है! इस विचार से सावधान रहें कि इस पीढ़ी के मुद्दे अलग है। हमने कुछ मुद्दों का सामना पीढ़ियों से और हजारों सालों से किया है। शायद उसका स्वरूप बदल सकता है। उदाहरण के लिए, हजारों साल पहले छत पर टहलता हुआ एक बेकार जन व्यभिचार के जाल में फंस जाता था। आज एक बेकार जन गंदी फिल्मों के लिए इंटरनेट पर चला जाता है और बेईमानी के उसी जाल में फंस जाता है। एक और उदाहरण है किसी विपरीत लिंग के सहकर्मी के साथ चाय की दुकान पर समय बिताना जिससे जज्बाती बंधन जुड़ सकता है और फिर और भी बहुत कुछ। इसका अनुवाद जीवन के किसी भी क्षेत्र में करें। समस्या अलग तरह से दिखाई देगी, पर उसकी जड़े वही है और स्वस्थ रहने के सिद्धांत अचल और अनंत है।
इसीलिए, पौलुस सिद्धांत बताते हुए कह रहे हैं विश्वास में मजबूत रहना है। इससे मुझे समझ आता है कि ऐसी चीजें हो सकती हैं जिनमें मैं बढ़ती जाऊं और जो मुझे विश्वास से दूर ले जा सकती हैं। दूसरी चीजों में मजबूती ना ढूंढे जैसे कि काम-काज, पैसा, रिश्ते।
मनन करें और खुद से पूछें |
क्या मेरे कोई ऐसे मजबूत नजरिए, धारणाएं हैं जिनका आधार शास्त्र में नहीं है?
क्या मैं अपने आप को यह कहते हुए पाता हूं कि यह सिद्धांत इस पीढ़ी में कामयाब नहीं होगा? यह एक संकेत है कि आपको और करीबी से परमेश्वर का वचन पढ़ने के द्वारा अपनी सोच को नया करने की जरूरत है।
आज परमेश्वर किस सोच या बर्ताव-प्रणाली पर उंगली रख रहा है? इसे लिख लें, इस पर कदम उठाएं और एक भरोसेमंद मित्र खोजें जिसे आप अपनी प्रगति का लेखा दे सकें।
वचन उल्लेख
कुल 2:6-7
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
अच्छी शुरुआत से सिर्फ आधा काम होता है। मैं अंत तक कैसे मजबूत रहूँ? नवाज़ डिक्रूज़ ( Navaz DCruz) द्वारा लिखा और गुरमीत धनोवा द्वारा अनुवाद किया यह आलेख आपको यीशु में हमारे विश्वास को बढ़ाने के विषय में पौलुस द्वारा कुलुसियों में दिए कुछ मुख्य साधनों में से ले जाएगा।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/