पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)नमूना

पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)

दिन 5 का 7

 पतरस और यीशु, हाथ-मे-हाथ पानी पर चले गये। आंधी-तूफ़ान चल रही थी और लहरें नाव से टकराती थीं उस समय जब वे नाव में चढ़ गए। पतरस ने प्रभु यीशु पर विश्वास रखने से डर पर जीत पाई। शायद उनके विश्वास ने शेष शिष्यों को प्रेरित किया होगा। अचानक शिष्यों के विश्वास ने उनके डर को हराया और अराधना उठी। विश्वास का फल अराधना थी। अराधना का फल प्रकाशन था: “आप सच-मुच परमेश्वर का पुत्र है।”

विश्वास फल को पैदा करता है। डर फल को मार डालता है। यीशु ने इस बात को बीज बोने वाले नीतिकथा में इसको समझाया था। “कँटीली झाड़ियों में गिरने वाले बीज का मतलब है कि कोई व्यक्ति शब्द सुनता है, लेकिन इस जीवन की चिंताओं ... शब्द को दबाकर, निष्फल कर देता है।” (मत्ती13:22) चिंताएं और डर कांटे की तरह हैं जो घेर लेता है और नष्ट करता है। ये कांटें केवल विश्वास से मरते हैं। हालांकि डर तो आ जाए, विश्वास प्रबल होगा।

फिलीपींस देश में एक सत्संग स्थापना टीम डर से उसका गला-घोटा हो सकटी थी। उन्होंने उनके शुभ-सन्देश वाली बाइबिल कहानियों के लिए एक गरीब, अपराध से जकड़े हुए समुदाय को चुना था। यह वह जगह थी जहां कई न-पहुंचे आदिवासी लोग आकर बस गये थे जब वे आसपास के पहाड़ों से आए थे। टीम को खतरे पता था पर उनका विश्वास था कि परमेश्वर उन लोगों में और उनके समुदाय में परिवर्तन लाना चाहता था।

एक भयानक सुबह एक युवा विवाहित दंपति टीम की मीटिंग के लिए असामान्य रूप से देर थी। दो सहकर्मियों को उन्हें मीटिंग की याद दिलाने के लिए उनके घर भेजा गया था। कुछ तो सही नहीं था - प्रवेश द्वार पर खून लगा हुआ था। दरवाजा खोलने पर, उन्होंने देखा कि बेरहमी से दम्पति की हत्या की गई थी। झटका, घिनौनापन, दुख, शोक, दर्द और हार केवल उन सभी का एक अंश था जो उन सभीने सारे तूफ़ान के दौरान उसका सामना किया था।

पतरस की तरह, उन्होंने यीशु से पुकारा। देर नहीं हुई, कि वायवाम के लोग और विश्व के सारे सत्संगों ने भी पुकारा। इस सत्संग स्थापना टीम ने डर को लकवा मारने नहीं दिया। यीशु के हाथ थामे हुए, टीम ने कुछ समय अपने उपचार के लिए गुजारा। आखिरकार, टीम के दो सदस्य समुदाय में वापस जाने के लिए और बाइबिल कहानियों को फिर से शुरू करने के लिए सहमत हुए।

जब वे दोनों रास्ते पर चल रहे थे, एक दूसरे से कहने लगा, “मुझे डर है।” उसके दोस्त ने उत्तर दिया, “मुझे भी।” फिर भी वे आगे चलते गए।

मेलकॉर, एक युवा आदिवासी आदमी एक दूरी से आश्चर्य के साथ देख रहा था। अब तक, वह सन्देश का विरोध कर रहा था “क्या साहस क्या विश्वास।” उसने विचार किया। उनके उदाहरण ने उसके दिल में प्रवेश कर प्रभाव डाला। और वह भी यीशु के पास पहुंचा। अगले सालों, उस न-पहुंचे जनजाति के बीच मेलकॉर एक शानदार फलदार, पथ-प्रदर्शक शिष्य को तैयार करने वाला बन गया। एक बार जब मुझे उसे चावल-सीढ़ीदार पहाड़ों में मिला, मेलकॉर ने खुशी से मुझे बताया उस दिन के बारे में जब उसने नदी में 50 परिवार को बपतिस्मा दिया था।

अलौकिक फल पैदा करने की कुंजी है चिंता और डर पर काबू पाना यहाँ तक “ बीज जो बोया गया था उस के फसल का, एक सौ, साठ या तीस गुणा।” (मत्ती 13:23)

विचार करने के सवाल

1. “सांसारिक चिंताएं” होती हैं। आप की क्या चिंताएं हैं?

2. मत्ती 6:25-34 में, यीशु आज्ञा देते हैं, “चिंता न करना...चिंता न करना...चिंता न करना...” इस आज्ञा का पालन करने के लिए आप क्या करते हैं?

शिष्य को बनाने वाले की प्रार्थना:

प्रभु मुझे एहसास है कि डर आएगा पर विश्वास उस पर प्रबल होगा। जब भी चिंताएं उठें, कि मैं आप की ओर देखने और याद दिलाने में मेरी मदद कर दीजिये। चिंता से अराधना की ओर मुझे फिरने होने दीजिये। सच में आप परमेश्वर का पुत्र हैं। मैं आप के साथ आप की विजय में चलता हूँ। जिन लोगों के बीच में आपने मुझे बुलाया है एक सौ, साठ, तीस, गुणा की बढ़ोतरी के लिए मैं आप पर विश्वास करता हूँ। अमीन। 

पवित्र शास्त्र

दिन 4दिन 6

इस योजना के बारें में

पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)

यह 7 दिन का मार्गदर्शक योजना हमें विश्वास के बारे में सिखाती है कि, हम कैसे विश्वास में आगे बढ़ सकते हैं, परमेश्वर के राज्य की सेवकाई के लिए। क्या आप चाहते है कि आप के अन्दर जन समूह आंदोलन को देखने का विश्वास हो? तो ज़रूर इस पुस्तक को आज ही पढ़े और अपने विश्वास को आगे बढ़ाए।

More

हम इस योजना को प्रदान करने के लिए YWAM फ्रंटियर मिशनों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.dmmsfrontiermissions.com/contact-dmmsfrontiermissions/