परमेश्वर ने प्रगट किया- नये नियम की एक यात्रानमूना

परमेश्वर ने प्रगट किया- नये नियम की एक यात्रा

दिन 1 का 6

नये नियम का सार

बेबिलोन की बन्धुवाई को6शताब्दी और दूसरे भविष्यद्वक्ताओं की समानता में किसी अगुवे को खड़े हुए लगभग4शताब्दियां बीत चुकी हैं। एक बार फिर से मानवजाति,बल्कि इस्राएल राष्ट्र के लोग एक ऐसे जाल में फंस गये थे जहां से बाहर निकलना उनके लिए नामुमकिन है। उनकी आशा केवल यीशु अर्थात एक उद्धारकता,अर्थात मानवीय देह में परमेश्वर से है। जो सिद्ध आदर्श;सिद्ध शिक्षक;और सिद्ध अगुवा है।

नया नियम किस तरह से पुराने नियम के विपरीत है?वह निम्न बातों में समान हैः

  • समान विशेषताओं के साथ परमेश्वर
  • समान वचन
  • हमारे साथ समान सम्बन्ध
  • मनुष्य की समान दुष्टता
  • परमेश्वर के लोगों का समान व्यवहार

यीशु के प्रकाशन के साथ केवल हमारे दृष्टिकोण और समझ ही बढ़ौत्तरी हुई है। पुराने नियम में:

  • अधूरा ज्ञान रखने वाले लोग सिद्ध संदेश का संचार करते हैं।
  • अधूरी जानकारी प्राप्त लोग सिद्ध व्यवस्था का अभ्यास कर रहे हैं।

यीशु ने कभी नहीं कहा कि व्यवस्था प्रांसंगिक नहीं है;उसने केवल व्यवस्था के अनुसार जीवन यापन करने से मना किया- अर्थात ऐसे जीवन से जो विश्वास पर नहीं बल्कि कामों पर आधारित हो।

यीशु व्यवस्था का प्रचार करते,उसेप्रदर्शित करतेऔरउसेपूराकरतेहैं।(इब्रानियों1:1-4)

नये नियम में निम्न बातों का सारांश हैः

  • सुसमाचार- यीशु का जीवन और उसकी शिक्षाएं
  • प्रेरितों के काम
  • पौलुस की पत्रियां
  • अन्य पत्र
  • प्रकाशितवाक्य-एक भव्य राजसी समापन।

नया नियम निम्न बातों के बारे में बताता हैः

  • अनावरण करना (2कुरिन्थियों3:18):यीशु,अर्थात परमेश्वर के पुत्र,उसे स्वभाव व उसकी योजनाओं द्वारा।
  • पिताः यीशु द्वारा परमेश्वर को हमारे पिता के रूप में परिचित कराने के बाद,नये नियम में परमेश्वर को पिता कहकर अधिक सम्बोधित किया गया है - लूका15:17, 1यूहन्ना3:1इत्यादि।
  • एकमात्र उद्धारकर्ता: प्रेरितों4:12। इसके अलावा फिलिप्प्यिों3:20,1तीमुथियुस1:15
  • निम्न बातों में सिद्ध अगुवा और एक आदर्श

o मसीह के वचनों में- मत्ती16:24,मत्ती20:25-28,यूहन्ना13:13-16

o पौलुस के वचनों में –1कुरिन्थियों11:1,इफिसियों5:1-2,कुलिस्सियों3:13

o पतरस के वचनों में-1पतरस2:20-22

o यूहन्ना के वचनों में -1यूहन्ना2:6, 1यूहन्ना3:15-16

  • आत्मा में: हमारे जीवन में वास्तविक उपस्थिति- रोमियों8:9, 1पतरस1:11,गलातियों4:6,रोमियों8:2
  • वचन मेंः मसीह,अर्थात वचन जिसने देहधारण किया- भजन संहिता33:4,मत्ती4:4,यूहन्ना1:1
  • भविष्य मेंः भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में मत्ती24और प्रकाशितवाक्य इत्यादि में बताया गया है। इसा्रएक का तितर बितर होना और सैंकड़ों वर्षों के संघर्ष बाद1948में पुनः एक राष्ट्र के रूप में खड़े हो जाना प्रमाणित करता है कि यह कार्य“किसी मानवीय ताकत से नहीं”हुआ है।

आज के दिन में,संसार भर में इस्राएल ही ऐसा देश है जहां पर यहोवा परमेश्वर की उपासना की जाती है। वे इस नये युग में मसीह के दूसरे आगमन में एक साथ जुड़ रहे हैं। क्या हमने परमेश्वर के राज्य से जड़ें पकड़ ली हैं?

पवित्र शास्त्र

दिन 2

इस योजना के बारें में

परमेश्वर ने प्रगट किया- नये नियम की एक यात्रा

जिस प्रकार से अंधकार में ज्योति का प्रकाश, ठीक उसी प्रकार से नया नियम इस पापमय संसार में आशा प्रदान करता है।अपने बलिदान रूपी मृत्यु के माध्यम से, हर एक विश्वास और चुनाव करने वाले जन को - मसीह पापों से छुटकारा और अपना राज्य प्रदान करते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/