'एकता' - विवाह के लिए आध्यात्मिक युद्ध का हथियारनमूना
परिचय:
“परमेश्वर ने एक साथ जोड़ा है” (मत्ती 19:6) और “दोनों एक हो जाएँगे” (उत्पत्ति 2:24)।
परमेश्वर का वचन विवाह के लिए पति और पत्नी के बीच ‘एकता’ पर जोर देता है।
वास्तव में यह एक ईश्वरीय कार्य है और इसीलिए संदर्भित श्लोकों में इस एकता को प्राप्त करने की दिशा में मनुष्य के प्रयास का कोई उल्लेख नहीं है।
जब यह स्पष्ट है कि यह ईश्वरीय कार्य है, तब हमें ईश्वर से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें एक करे।
पुरुष और महिला अपने स्वयं के प्रयासों से एक नहीं हो सकते। समकालीन प्रवचन अक्सर ऐसी तकनीकों के इर्द-गिर्द घूमते हैं जो इस एकता को बढ़ावा देते हैं। लेकिन हमें पवित्र आत्मा और ईश्वर के वचन से प्रेरित कौशल की आवश्यकता है, न कि शरीर या मानवीय या सांसारिक ज्ञान से।
छोड़ो और जोड़ो:
इस कारण मनुष्य अपने पिता और माता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ मिल जाएगा, और वे एक तन हो जाएंगे। उत्पत्ति 2: 24
उत्पत्ति 2:24 उपरोक्त श्लोक की घोषणा, ईश्वर ने तब की थी जब उसने हव्वा को बनाया और उसे आदम के सामने पेश किया। इसे पहली बार हव्वा को देखने के बाद आदम की प्रतिक्रिया के जवाब में कहा गया था।
जब आदम ने कहा कि “आखिरकार यह मेरी हड्डियों की हड्डी और मेरे मांस का मांस है (उत्पत्ति 2:23)। तब भगवान ने उससे एक प्रक्रिया के रूप में ‘एक होने’ के बारे में बात की।
भगवान ने कहा कि ‘एक होने’ के लिए आदमी को अपने पिता और माता पर निर्भर रहना छोड़कर अपनी पत्नी के साथ मिलकर खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।
हालाँकि आदम के माता-पिता नहीं थे, लेकिन भगवान ने इसे पूरी मानवता के लिए एक आदेश के रूप में कहा, मुख्य रूप से पुरुष के लिए।
दरअसल इसे अच्छी तरह से समझने और इसका पालन करने के बाद ही हम ‘एक होने’ की सही दिशा में अपना पहला कदम उठा पाएँगे।
यहाँ छोड़ने का मतलब समझाते हुए व्यक्ति को अपने वैवाहिक रिश्ते को प्राथमिकता देने और अपनी भावनात्मक, वित्तीय या किसी अन्य ज़रूरतों के लिए अपने माता-पिता पर निर्भरता छोड़कर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही गई है।
यहाँ छोड़ने का यह भी मतलब है कि विवाह के बाद व्यक्ति को समय-समय पर दिए गए अपने माता-पिता के निर्देशों को सुनने के बावजूद अपने और अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए भगवान के आशीर्वाद के साथ पत्नी से विचार-विमर्श से करके अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रहना चाहिए।
छोड़ने का यह भी मतलब है कि आत्मनिर्भर होने के बाद पति बन चुका व्यक्ति अपने माता-पिता के भय से मुक्त होकर वह भगवान की दी हुई अपनी बुद्धि और अपने बुद्धिमान पत्नी की सलाह के साथ अपने परिवार का नेतृत्व करने के लिए आश्वस्त हो जाता है।
दूसरी ओर, छोड़ने का मतलब जरूरत के समय माता-पिता को त्यागना नहीं बल्की जिस प्रकार व्यक्ति के बचपन में माता-पिता उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उनका सहारा बने थे, उसी प्रकार अपनी पत्नी के साथ मिलकर वह उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करें।
दरअसल परमेश्वर का यह वचन हमें अपने परिवार की देखभाल के साथ-साथ अपने माता-पिता का सम्मान करने के लिए भी प्रेरित करता है।
हमें निश्चित रूप से उनका सम्मान करना चाहिए, लेकिन इसकी वजह से कभी भी अपने वैवाहिक संबंध को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जब पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से जुड़ जाता है, तब पत्नी से अपेक्षा की जाती है कि अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए वह भी अपने पिता के घर और अपने लोगों को भूल जाए। (भजन 45:10)।
कहने का मतलब यह कि जिस प्रकार पुरुष के यह कदम उठाता है, तब महिला सुरक्षित हो जाती है उसी प्रकार अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए महिला की ओर से यह कदम उठाए जाने से पुरुष भी सुरक्षित महसूस करता है। दरअसल अपने-अपने माता-पिता को छोड़ने के बाद पति और पत्नी दोनों का आपस में जुड़ना आसान हो जाता है।
मतलब यह कि अपने माता-पिता को छोड़कर अपने पति से जु़ड़ने के बाद जब महिला देखती है कि उसका पति अभी भी अपने माता-पिता पर निर्भर है, तब उसे अपने पति पर भरोसा करने में मुश्किल होने लगती है और धीरे-धीरे निर्भरता के लिए वह भी अपने माता-पिता की ओर आकर्षित होने लगती है।
इसलिए एक पुरुष को पति के रूप में अपने नए परिवार की देखभाल का जिम्मा उठाना चाहिए। इस नए संबंध को परमेश्वर ने आशीर्वाद दिया है इसलिए उसे अपनी पत्नी और बच्चों का प्रदाता, पुजारी और रक्षक बनना चाहिए।
दरअसल एक तरफ छोड़कर और दूसरी ओर मिलन कर्तव्य पथ की ओर बढ़ाया गया पहला कदम है। ईश्वर हर विवाहित जोड़े को ऐसा करने में सक्षम बनाए।
प्रार्थना: परम पिता, पति-पत्नी के रूप में हमें अपने माता-पिता को छोड़ने और ईश्वर द्वारा दी गई एकता का आनंद लेने के लिए एक साथ जुड़ने में मदद करें। हमें अपनी वैवाहिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देने में मदद करें। हमें अपने माता-पिता दोनों के लिए आशीर्वाद भी बनाएं। आमीन।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
"परमेश्वर ने एक साथ जोड़ा है" (मैथ्यू 19:6), और "दोनों एक हो जायेंगे" (उत्पत्ति 2:24)। परमेश्वर का वचन विवाह के लिए मौलिक रूप से पति और पत्नी के बीच 'एकता' पर जोर देता है। हालांकि, पुरुष और महिला अपने स्वयं के प्रयासों से एक नहीं हो सकते। हमें पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन से प्रेरित कौशल की आवश्यकता है, न कि सांसारिक ज्ञान की। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम 'एकता' पर भगवान के वचन का अन्वेषण करते हैं।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए SOURCE को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://sourceformarriage.org/