योहन 8

8
1परन्‍तु येशु जैतून पहाड़ पर गए।]#लू 21:37
व्‍यभिचारिणी स्‍त्री का उद्धार
[ 2येशु बड़े सबेरे फिर मन्‍दिर में आए। सारी जनता उनके पास इकट्ठी हो गयी और वह बैठ कर लोगों को शिक्षा देने लगे। 3उस समय शास्‍त्री और फरीसी व्‍यभिचार में पकड़ी गयी एक स्‍त्री को लाए, और उसे सब लोगों के सामने खड़ा कर 4उन्‍होंने येशु से कहा, “गुरुवर! यह स्‍त्री व्‍यभिचार-कर्म में पकड़ी गयी है। 5व्‍यवस्‍था में मूसा ने हमें ऐसी स्‍त्रियों को पत्‍थरों से मार डालने का आदेश दिया है। आप इसके विषय में क्‍या कहते हैं?”#लेव 20:10; व्‍य 22:22-24; मत 22:15 6उन्‍होंने येशु की परीक्षा लेने के लिए यह कहा, जिससे उन्‍हें उन पर दोष लगाने का कोई आधार मिले। येशु ने झुक कर उँगली से भूमि पर लिखा। 7जब वे उन से उत्तर देने के लिए आग्रह करते रहे, तब येशु ने सिर उठा कर उनसे कहा, “तुम में जो निष्‍पाप हो, वह इसे सब से पहले पत्‍थर मारे।”#रोम 2:1; व्‍य 17:7 8और वह फिर झुक कर भूमि पर लिखने लगे। 9यह सुन कर वे बड़ों से ले कर#8:9 कुछ प्रतियों के अनुसार “छोटों तक”, अन्‍य के अनुसार, “सब के सब” एक-एक करके बाहर चले गए। केवल येशु और वह स्‍त्री, जो उनके सामने खड़ी थी, रह गए।#मत 22:22; रोम 2:22 10तब येशु ने सिर उठा कर उससे कहा, “नारी! वे लोग कहाँ हैं? क्‍या किसी ने भी तुम्‍हें दण्‍ड नहीं दिया?” 11उसने उत्तर दिया, “प्रभु! किसी ने भी नहीं।” इस पर येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्‍हें दण्‍ड नहीं दूँगा। जाओ और अब से फिर पाप नहीं करना#यो 5:14 ।”]
संसार की ज्‍योति
12येशु ने लोगों से फिर कहा, “संसार की ज्‍योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, वह अन्‍धकार में कभी नहीं चलेगा वरन् वह जीवन की ज्‍योति प्राप्‍त करेगा।”#यो 1:5,9; 12:46; यश 49:6; प्रज्ञ 7:26
13फरीसियों ने उनसे कहा, “आप अपने विषय में साक्षी देते हैं। आपकी साक्षी मान्‍य नहीं है।” 14येशु ने उत्तर दिया, “मैं अपने विषय में साक्षी देता हूँ। फिर भी मेरी साक्षी मान्‍य है, क्‍योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कहाँ से आया और कहाँ जा रहा हूँ। परन्‍तु तुम लोग नहीं जानते कि मैं कहाँ से आया हूँ और कहाँ जा रहा हूँ।#यो 5:31 15तुम मनुष्‍य की दृष्‍टि से न्‍याय करते हो। मैं किसी का न्‍याय नहीं करता#यो 7:24; 12:47 16और यदि न्‍याय भी करूँ, तो मेरा निर्णय सही होगा; क्‍योंकि मैं अकेला नहीं हूँ: पिता, जिसने मुझे भेजा है, मेरे साथ है।#यो 8:29 17तुम लोगों की व्‍यवस्‍था में लिखा है कि दो व्यक्‍तियों की साक्षी मान्‍य है।#व्‍य 17:6; 19:15 18मैं अपने विषय में साक्षी देता हूँ और पिता भी, जिसने मुझे भेजा है, मेरे विषय में साक्षी देता है।”#1 यो 5:9 19इस पर उन्‍होंने येशु से कहा, “कहाँ है आपका पिता?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “तुम लोग न तो मुझे जानते हो और न मेरे पिता को। यदि तुम मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जान जाते।”#यो 14:7
20येशु ने मन्‍दिर में शिक्षा देते हुए कोषागार में यह कहा। किसी ने उन्‍हें गिरफ्‍तार नहीं किया, क्‍योंकि तब तक उनका समय नहीं आया था।#यो 7:30; 13:1; लू 22:53
अविश्‍वासी धर्मगुरुओं को चेतावनी
21येशु ने लोगों से फिर कहा, “मैं जा रहा हूँ। तुम लोग मुझे ढूँढ़ोगे, किन्‍तु तुम अपने पाप में मर जाओगे। मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते।”#यो 7:34; 13:33 22इस पर यहूदी धर्मगुरुओं ने कहा, “कहीं यह आत्‍महत्‍या तो नहीं करेगा? यह तो कहता है, ‘मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते।’ ”#यो 7:35 23येशु ने उन से कहा, “तुम लोग नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ। तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूँ।#यो 3:31 24इसलिए मैंने तुम से कहा कि तुम अपने पापों में मर जाओगे। यदि तुम विश्‍वास नहीं करते कि ‘मैं वह हूँ#8:24 अथवा, ‘मैं “वही” हूँ’ ’ तो तुम अपने पापों में मर जाओगे।” 25तब लोगों ने उन से पूछा, “आप कौन हैं?” येशु ने उत्तर दिया, “वही, जो मैंने आरम्‍भ से तुम से कहा है#8:25 अथवा, ‘आखिर, मैं तुम से क्‍या बोलूँ?’ #यो 8:14 26तुम्‍हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना है, और निर्णय करना है, किन्‍तु जिसने मुझे भेजा है, वह सच्‍चा है; और जो कुछ मैंने उससे सुना है, वही संसार को बताता हूँ।”#यो 8:38; 12:49
27किन्‍तु वे नहीं समझे कि येशु उन से पिता के विषय में कह रहे हैं। 28इसलिए येशु ने कहा, “जब तुम लोग मानव-पुत्र को ऊपर उठाओगे, तब यह जान जाओगे कि ‘मैं वह हूँ’ और मैं अपनी ओर से कुछ नहीं करता। परन्‍तु मैं जो कुछ कहता हूँ, वैसे ही कहता हूँ, जैसे पिता ने मुझे सिखाया है।#यो 3:14; 12:32 29जिसने मुझे भेजा है, वह मेरे साथ है। उसने मुझ को अकेला नहीं छोड़ा; क्‍योंकि मैं सदा वही करता हूँ, जो उसे अच्‍छा लगता है।”#यो 8:16; मत 27:46 30वह जब ये बातें कह रहे थे तब बहुतों ने उन में विश्‍वास किया।#यो 7:31; 10:42; 12:11
सत्‍य तुम्‍हें स्‍वतन्‍त्र करेगा
31जिन यहूदियों ने उन में विश्‍वास किया, उन से येशु ने कहा, “यदि तुम मेरे वचन पर दृढ़ रहोगे, तो सचमुच मेरे शिष्‍य सिद्ध होगे। 32तुम सत्‍य को जानोगे और सत्‍य तुम्‍हें स्‍वतन्‍त्र करेगा।” 33उन्‍होंने उत्तर दिया, “हम अब्राहम की सन्‍तान हैं, हम कभी किसी के गुलाम नहीं रहे। आप यह क्‍या कहते हैं : ‘तुम स्‍वतन्‍त्र हो जाओगे’?”#मत 3:9; नह 9:36 34येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो पाप करता रहता है, वह पाप का गुलाम है।#रोम 6:16,20; 1 यो 3:8 35गुलाम सदा घर में नहीं रहता, पुत्र सदा रहता है।#गल 4:30 36इसलिए यदि पुत्र तुम्‍हें स्‍वतन्‍त्र करे, तो तुम सचमुच स्‍वतन्‍त्र होगे।#रोम 6:18,22
37“मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहम की सन्‍तान हो। फिर भी तुम मुझे मार डालने की ताक में रहते हो, क्‍योंकि मेरा वचन तुम्‍हारे हृदय में घर नहीं कर सका। 38मैंने अपने पिता के यहाँ जो देखा है, वही कहता हूँ और तुम लोगों ने अपने पिता से जो सुना है, वही करते हो।”#8:38 अथवा, कुछ प्राचीन प्रतियों के अनुसार, ‘और तुम लोग, तुम्‍हें तो वही करना चाहिये जो तुम ने ‘पिता’ से सुना है।’ 39उन्‍होंने उत्तर दिया, “हमारे पिता अब्राहम हैं।” इस पर येशु ने उन से कहा, “यदि तुम अब्राहम के वंशज होते, तो अब्राहम के सदृश कार्य करते।#मत 3:9 40परन्‍तु तुम तो मुझे, अर्थात् ऐसे व्यक्‍ति को जिसने परमेश्‍वर से सुना हुआ सत्‍य तुम्‍हें बता दिया, मार डालने की ताक में रहते हो। अब्राहम ने ऐसा नहीं किया। 41तुम तो अपने पिता के कार्य कर रहे हो।” उन्‍होंने येशु से कहा, “हम व्‍यभिचार से पैदा नहीं हुए। हमारा एक ही पिता है और वह परमेश्‍वर है।”#व्‍य 23:2
42येशु ने उन से कहा, “यदि परमेश्‍वर तुम्‍हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम करते, क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर से निकला और यहाँ आया हूँ। मैं अपनी इच्‍छा से नहीं आया हूँ, मुझे उसी ने भेजा है।#1 यो 5:1 43तुम मेरी बातें क्‍यों नहीं समझते? कारण यह है कि तुम वचन सहन नहीं कर सकते।#यो 12:39; मत 12:34; रोम 8:7
44“तुम तो अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की इच्‍छा पूरी करना चाहते हो। वह तो प्रारम्‍भ से ही हत्‍यारा था। वह सत्‍य पर स्‍थिर नहीं रहता, क्‍योंकि उसमें सत्‍य है ही नहीं। जब वह झूठ बोलता है, तो अपने ही स्‍वभाव के अनुसार बोलता है; क्‍योंकि वह झूठा है और झूठ का पिता है।#1 यो 3:8-10; उत 3:4; 2 पत 2:4; प्रज्ञ 1:13; 2:24 45मैं सत्‍य बोलता हूँ, इसलिए तुम मुझ पर विश्‍वास नहीं करते।#लू 22:67 46तुम में से कौन मुझ पर पाप का दोष लगा सकता है? यदि मैं सत्‍य बोलता हूँ, तो तुम मुझ पर विश्‍वास क्‍यों नहीं करते?#2 कुर 5:21; 1 पत 2:22 47जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर के वचन सुनता है। तुम लोग इसलिए नहीं सुनते कि तुम परमेश्‍वर के नहीं हो।”#यो 18:37; 1 यो 4:6
येशु और अब्राहम
48यहुदी धर्मगुरुओं ने येशु से कहा, “क्‍या हमारा यह कहना ठीक नहीं कि तुम सामरी#8:48 देखिए लूकस 10:33 की टिप्‍पणी हो और तुम में भूत है?”#यो 7:20; मक 3:21 49येशु ने उत्तर दिया, “मुझ में भूत नहीं है। मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, पर तुम मेरा अनादर करते हो 50मैं अपना सम्‍मान नहीं चाहता। एक है जो चाहता है, और वही न्‍याय करता है।#यो 5:41 51मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : यदि कोई मेरे वचन का पालन करेगा, तो वह कभी मृत्‍यु का स्‍वाद नहीं चखेगा।”#यो 5:24; 6:40,47; 11:25
52धर्मगुरुओं ने कहा, “अब हमें पक्‍का विश्‍वास हो गया है कि तुम में भूत है। अब्राहम और नबी मर गये, किन्‍तु तुम कहते हो, ‘यदि कोई मेरे वचन का पालन करेगा, तो वह कभी मृत्‍यु का स्‍वाद नहीं चखेगा।’#मक 9:1 53क्‍या तुम हमारे पिता अब्राहम से भी महान् हो? वह मर गये और नबी भी मर गये। तुम अपने को समझते क्‍या हो?”#यो 4:12
54येशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं स्‍वयं अपना सम्‍मान करता, तो उस सम्‍मान का कोई महत्‍व नहीं होता। मुझे सम्‍मानित करने वाला मेरा पिता है, जिसे तुम अपना परमेश्‍वर कहते हो, 55यद्यपि तुम उसे नहीं जानते− पर मैं उसे जानता हूँ। यदि मैं कहता कि उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्‍हारी तरह झूठा बन जाता। किन्‍तु मैं उसे जानता हूँ और उसके वचन का पालन करता हूँ। #यो 7:28 56तुम्‍हारे पूर्वज अब्राहम यह जान कर उल्‍लसित हुए कि वह मेरा दिन देखेंगे और वह उसे देख कर आनन्‍दविभोर हुए।”
57धर्मगुरुओं ने उन से कहा, “अभी तुम पचास वर्ष के भी नहीं, और तुम अब्राहम को देख चुके हो!” 58येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : अब्राहम के जन्‍म लेने के पहले से ही मैं हूँ।” 59इस पर लोगों ने येशु को मारने के लिए पत्‍थर उठाये, किन्‍तु वह छिपकर मन्‍दिर से निकल गये।#यो 10:31

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