1
मती 15:18-19
मध्य पुरविया थारू
महज जे बात मुहसे बाहर निकलैछै, से बात हिरदयसे निकैलके आबैछै आ ओहे लोकके असुध बनाइछै। कथिलेत हिरदयेसे खराब बिचार, हतिया, पर-इस्तरी गमन, अनैतिक देहके समबन्ध, चोरी, झुठा गबाही आ निन्दा करैबला बातसब बाहर निकलैछै।
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मती 15:18-19 ஆராயுங்கள்
2
मती 15:11
कोनो भि चिज मुह भितर ढुकैछै उ चिज लोकके असुध नै करैछै, महज जे बात मुहसे बाहर निकलैछै, ओहे बात लोकके असुध करैछै।”
मती 15:11 ஆராயுங்கள்
3
मती 15:8-9
‘यि लोकसब हमरा मुहसे मातरे आदर करैछै! महज ओइसबके मन हमरसे बहौत दुर छै। तुसब हमरा बलौसे आराधना करैचिही। कथिलेत तुसब लोकसबके बन्याल नियम मातरे सिखाइचिही।’”
मती 15:8-9 ஆராயுங்கள்
4
मती 15:28
तब येसु ओकरा जबाब देल्कै, “ए जनि, तोहर बिस्बास बहौत बरका छौ। जैहनङ तु चाहैचिही तैहनङ तोहर लेल हेबे।” तखुन्ते ओकर बेटी निक भ्यागेलै।
मती 15:28 ஆராயுங்கள்
5
मती 15:25-27
महज उ जनी येसुके अगारीमे ठेङहुनिया द्याके कहल्कै, “हे परभु, हमरा सहायता करु!” महज येसु कहल्कै, “आपन धियापुताके खाइबला चिजसब छिनके कुतासबके देनाइ उचित नै हैछै!” तब उ जनी कहल्कै, “अहाँ ठिक कहैचियै परभु! महज कुतोसब त मालिकके खाइबला टेबुलसे खसलाहा खुन्डा-खुन्डीसब खाइछै।”
मती 15:25-27 ஆராயுங்கள்
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