मत्ती 5
5
यीशु को उपदेस
1अर ईं बड़ी भीड़ तैं देखि के यीशु पाड़ पर चैड़ि अर उख जैके बैठि गै, अर वेका चेला वेका पास ऐनी। 2तब उ ऊंतैं उपदेस देके बोन्न लगि गै कि:
धन्य वचन
(लूका 6:20-23)
3“धन्य छिन ऊ, जु मन का दीन छिन, किलैकि परमेस्वर को राज ऊंको ही च।
4“धन्य छिन ऊ, जु शोक मा छिन, किलैकि ऊंतैं शान्ति दिये जालि।
5“धन्य छिन ऊ, जु नमर सभौ का छिन, किलैकि ऊ ईं धरती का अधिकारी होला।
6“धन्य छिन ऊ, जु धरमी जीवन जीणु खुणि भूका अर प्यासा छिन, किलैकि ऊंकी तड़प पूरि किये जालि।
7“धन्य छिन ऊ, जु दयालु छिन, किलैकि ऊं पर भि दया किये जालि।
8“धन्य छिन ऊ, जु साफ दिल का छिन, किलैकि ऊ परमेस्वर तैं दिखला।
9“धन्य छिन ऊ, जु मेल-जोल करौंदिन, किलैकि ऊंकू परमेस्वर की औलाद बुले जालु।
10“धन्य छिन ऊ, जौं तैं धरमी जीवन जीण का खातिर सतयै जान्दु, किलैकि परमेस्वर को राज ऊंको ही च।
11“अर धन्य छाँ तुम, किलैकि जब लोग मेरी वजै से तुमतै बदनाम करला, अर तुमतै सताला अर झूठ्ठ बोलि-बोलि के तुमरा खिलाप मा बन्नि-बन्नि किसम की बात बुलला, 12तब तुम आनन्द मणया अर मगन ह्वे जयां, किलैकि तुम खुणि स्वर्ग मा बड़ु इनाम रख्युं च। अर जन वु तुमतै सतौणा छिन, ठिक इन्नि ऊंन तुम से पैलि परमेस्वर का भौत सा रैबर्यों तैं भि सतै।”
बिस्वासी लोगु की तुलना
(मर 9:50; लूका 14:34,35)
13तब यीशु न भीड़ का लोगु कू इन बोलि कि, “तुम ईं दुनियां मा लूण का जन छाँ। अर अगर जु लूण को स्वाद बिगाड़ि जौ, त फिर वेतैं कनकै नमकीन किये जै सकदु? फिर उ कै काम को नि रौन्दु। तब लोग वेतैं भैर ढोळि देन्दिन, अर उ मनखियों का खुटों तौळ पितड़े जान्दु। 14अर ठिक उन्नि तुम ईं दुनियां का उज्याळा छाँ। अर जु नगर पाड़ पर बस्यूं हो, उ कभि छिपी नि सकदु। 15अर लोग द्यू बाळि के कटोरा का तौळ ढकै के नि रखदिन, बल्किन मा एक ऊँची जगा पर रखदिन, ताकि उ घौर का सब लोगु तैं उज्याळु दे सैको। 16ठिक इन्नि तुमरो उज्याळु भि लोगु का समणि चमकण चयेणु, ताकि लोग तुमरा #1 पत 2:12भला कामों तैं देखि के तुमरा पिता परमेस्वर की बडै कैरा, जु की स्वर्ग मा च।”
नियम-कानून की शिक्षा
17“अर यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, ‘इन नि सोचा, कि मि मूसा का दियां नियम-कानूनों तैं या रैबर्यों का द्वारा लिखीं बातों तैं रद्द करणु खुणि अयूं छौं। अरे, मि ऊंतैं रद्द करणु खुणि ना, पर पूरु करणु खुणि अयूं छौं। 18अर मि तुम बटि सच्चि बोन्नु छौं कि जब तक या धरती अर आसमान च, तब तक परमेस्वर का नियम-कानूनों न खतम नि होण, अर वेमा लिखीं हरेक छुटी से छुटी बात भि पक्की तरौं से पूरि होलि। 19इलै जु कुई भि यों बातों मा बटि एक छुटी से छुटी आज्ञा को पालन भि नि करलु, अर उन्नि दुसरो तैं करणु कू सिखौलु, त वेतैं परमेस्वर का राज मा सबसे छुटो बुले जालु, मगर जु कुई भि यों आज्ञाओं को पालन करलु, अर ठिक उन्नि दुसरो तैं भि करणु कू सिखौलु, त वेतैं परमेस्वर का राज मा सबसे बड़ु बुले जालु। 20अर मि तुमतै बतै देन्दु, कि अगर जु तुम परमेस्वर की नजर मा धरमी जीवन जीण को काम, शास्त्री अर फरीसी दल का लोगु से जादा नि करिल्या, त तुम परमेस्वर का राज मा नि जै सकद्यां।’”
गुस्सा अर हत्या करण का बारा मा शिक्षा
21“अर यीशु न ऊंकू बोलि कि, ‘तुमुन या बात पैलि भि सुण्यालि की तुमरा पितरों कू बुले गै छौ कि, #निर्ग 20:13हत्या नि कर्यां, अर अगर जु कुई हत्या करलु, त वेको न्याय कचैरी मा किये जालु।’ 22पर मि तुमतै बतै देन्दु कि, #भजन 37:8जु कुई भि कै मनखि से नाराज हो, अर वेको अपमान कैरो अर बोलो ‘अरे बेकूप’ त वेतैं कचैरी मा दोषी ठैरै के दण्ड मिललु। अर अगर जु कुई अपणा भै-बैंण कू बोललु ‘अरे मूरख’ त उ नरकलोक की आग मा डळै जालु। 23अर जब तू मन्दिर मा वेदी का पास अपणी भेंट लेके ऐलि, अर उख त्वे याद अऽ, कि तेरा मन मा कै का खिलाप मा कुछ च, त अपणी भेंट तैं नि चड़ौ, 24बल्किन मा अपणी भेंट तैं मन्दिर मा ही छोड़ि दे, अर पैलि जैके वेका दगड़ा मा मेल-जोल कैर, अर तब ऐके अपणी भेंट तैं चड़ै। 25अर जब तेरु दुसमन त्वेतै पंचैत मा लि जाणु हो, त तू अधा बाटा मा ही वेका दगड़ा मा सला कैरी ले, कखि इन नि हो कि उ त्वेतै पंचैत का हवाला कैरी द्यो, अर पंचैत पटवरी का, अर तब पटवरी त्वेतै जेलखाना मा डलवै द्यालु। 26मि तुम बटि सच्चि बोन्नु छौं, जब तक तू एक-एक रुपया नि चुकै दिली, तब तक तू उख बटि कनकै भि छुटी नि सकदी।”
गळत सम्बन्ध रखण का खिलाप मा शिक्षा
27“अर यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, ‘तुमुन पैलि भि सुण्यालि की बुले गै छौ कि, #निर्ग 20:14; व्यव 5:2गळत सम्बन्ध नि रख्यां।’ 28पर मि तुमतै बतै देन्दु कि, हरेक उ मनखि जु कै दुसरि जनानि तैं गळत नजर से दिखदु, त वेन अपणा मन मा वींका दगड़ा गळत सम्बन्ध बणैनी। 29अर अगर तेरी दैंणी आंख त्वे बटि पाप करौणी च, त वींतैं निकाळि#5:29 इख मा यीशु सच्चि मा आंख निकाळि के ढोळण का बारा मा, अर हाथ काटी के ढोळण (29, 30) की बात नि कनु च। पर यीशु इन बतौणु च, कि पाप कथगा खतरनाक च। के ढोळि दे, किलैकि पूरा सरील को नरकलोक मा नास होण से त जादा खूब यू च, कि तेरा सरील को एक अंग ही नास ह्वे जौ। 30अर अगर तेरु दैंणु हाथ त्वे बटि पाप करौणु च त वेतैं काटी के ढोळि दे, किलैकि पूरा सरील को नरकलोक मा नास होण से त जादा खूब यू च, कि तेरा सरील को एक अंग ही नास ह्वे जौ।”
तलाक का खिलाप मा शिक्षा
(मत्ती 19:9; मर 10:11-12; लूका 16:18)
31अर यीशु न ऊंकू बोलि कि, “तुमकु इन भि बुले गै छौ कि, #व्यव 24:1‘जु कुई अपणी घरवळी तैं तलाक द्यालु, त उ एक तलाकनामा लिखी के द्यो।’ 32पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि हरेक उ मनखि जु गळत सम्बन्ध रखण का अलावा कै दुसरा कारण से अपणी घरवळी तैं तलाक देन्दु, त इन्द्रयो मनखि वीं जनानि बटि सरील का सम्बन्ध बणवाणु च। अर जु कुई इन्दरि जनानि बटि ब्यौ करदु, त उ मनखि भि सरील का सम्बन्ध बणौणु च जु कि गळत च।”
कसम का खिलाप मा शिक्षा
33तब यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, “तुमरो सुणयूं च की तुमरा पितरों कू बुले गै छौ कि, #लैव्य 19:12; गिन 30:2; व्यव 23:21 ‘झूठ्ठी कसम नि खयां, पर प्रभु का समणि ज्वा कसम तुमुन खाई वींतैं वे खुणि पूरु कैरा।’ 34पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि तुम कभि कसम नि खयां, नऽ त स्वर्ग की किलैकि उ #यशा 66:1परमेस्वर की राजगद्दी च, 35अर ना ही ईं धरती की कसम खयां, किलैकि या वेका खुटा रखण की जगा च। अर नऽ त यरूशलेम नगर की कसम खयां, किलैकि उ सबसे महान राजा परमेस्वर को नगर च। 36अर तुम खुद की कसम भि नि खयां, किलैकि तुम अपणा एक बाल तैं भि सफेद या काळु नि कैरी सकद्यां। 37पर जख मा तुमतै ‘हाँ’ बोन्न होलु उख मा ‘हाँ’ बोला, अर जख मा ‘ना’ बोन्न होलु त उख मा ‘ना’ बोला, किलैकि अगर जु तुम येसे जादा बुल्द्यां, त ईं बात तैं जाणि ल्या कि वा बात दुष्ट शैतान की तरफा बटि औणी च।”
बदला लेण का खिलाप मा शिक्षा
(लूका 6:29,30)
38अर वेन ऊं लोगु कू बोलि कि, “तुमुन सुणी होलु कि, #निर्ग 21:24; लैव्य 24:20; व्यव 19:21‘अगर कुई कै की आंख तैं फोड़ि द्यो, त तुम भि वेकी आंख फोड़ि द्या, अर अगर कुई कै को दांत तोड़ि द्यो, त तुम भि वेको दांत तोड़ि द्या।’ 39पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि जु बुरु च वेको मुकाबला नि कैरा, पर अगर कुई तेरा दैंणा गलोड़ा पर थप्पड मारो, त वेकी तरफा दुसरो गलोडु भि कैर दे। 40अर अगर कुई त्वे पर मुकदमा चलै के तेरु कुरता लेण चालु, त वेतैं अपणु कोट भि लेण दे। 41अर अगर कुई त्वेतै अफ दगड़ा जबरदस्ती एक मील लेके जौ, त तू वेका दगड़ा मा दुई मील चलि जा। 42अर जु कुई त्वे बटि मांगु, त वेतैं दे अर जु त्वे बटि करज लेण चौ, त वे खुणि मना नि कैर।”
दुसमनों से प्यार की शिक्षा
(लूका 6:27,28,32-36)
43अर यीशु न बोलि कि, “तुमुन इन भि सुणी की बुले गै छौ कि, #लैव्य 19:18‘अपणा पड़ोसी बटि प्यार कैरा, अर दुसमनों बटि नफरत।’ 44पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि अपणा दुसमनों बटि भि प्यार कैरा, अर जु लोग तुमतै सतौणा छिन ऊं खुणि प्रार्थना कैरा। 45अर इन कैरिके तुम स्वर्ग मा रौण वळा अपणा पिता परमेस्वर की औलाद ह्वेल्या, किलैकि उ अच्छा अर बुरा, दुई किसम का लोगु पर सूरज को उज्याळु चमकान्दु, अर धरमी और अधरमी लोगु खुणि बरखा भि करदु। 46किलैकि अगर जु तुम बस ऊं बटि ही प्यार करद्यां जु तुम बटि करदिन, त कौन सा तुमुन भौत बड़ु काम कैरियाली। अरे, चुंगी लेण वळा पापि लोग भि त इन्नि करदिन, 47अर अगर जु तुम बस अपणा ही भै-बन्दों तैं नमस्कार करद्यां, त कौन सा तुमुन भौत बड़ु काम कैरियाली। अरे, जु लोग यहूदी जाति का नि छिन ऊ भि त इन्नि करदिन। 48इलै तुम खरु मनखि बणा, जन #उत्पति 17:1स्वर्ग मा रौण वळु तुमरो पिता परमेस्वर खरु च।”
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5
यीशु को उपदेस
1अर ईं बड़ी भीड़ तैं देखि के यीशु पाड़ पर चैड़ि अर उख जैके बैठि गै, अर वेका चेला वेका पास ऐनी। 2तब उ ऊंतैं उपदेस देके बोन्न लगि गै कि:
धन्य वचन
(लूका 6:20-23)
3“धन्य छिन ऊ, जु मन का दीन छिन, किलैकि परमेस्वर को राज ऊंको ही च।
4“धन्य छिन ऊ, जु शोक मा छिन, किलैकि ऊंतैं शान्ति दिये जालि।
5“धन्य छिन ऊ, जु नमर सभौ का छिन, किलैकि ऊ ईं धरती का अधिकारी होला।
6“धन्य छिन ऊ, जु धरमी जीवन जीणु खुणि भूका अर प्यासा छिन, किलैकि ऊंकी तड़प पूरि किये जालि।
7“धन्य छिन ऊ, जु दयालु छिन, किलैकि ऊं पर भि दया किये जालि।
8“धन्य छिन ऊ, जु साफ दिल का छिन, किलैकि ऊ परमेस्वर तैं दिखला।
9“धन्य छिन ऊ, जु मेल-जोल करौंदिन, किलैकि ऊंकू परमेस्वर की औलाद बुले जालु।
10“धन्य छिन ऊ, जौं तैं धरमी जीवन जीण का खातिर सतयै जान्दु, किलैकि परमेस्वर को राज ऊंको ही च।
11“अर धन्य छाँ तुम, किलैकि जब लोग मेरी वजै से तुमतै बदनाम करला, अर तुमतै सताला अर झूठ्ठ बोलि-बोलि के तुमरा खिलाप मा बन्नि-बन्नि किसम की बात बुलला, 12तब तुम आनन्द मणया अर मगन ह्वे जयां, किलैकि तुम खुणि स्वर्ग मा बड़ु इनाम रख्युं च। अर जन वु तुमतै सतौणा छिन, ठिक इन्नि ऊंन तुम से पैलि परमेस्वर का भौत सा रैबर्यों तैं भि सतै।”
बिस्वासी लोगु की तुलना
(मर 9:50; लूका 14:34,35)
13तब यीशु न भीड़ का लोगु कू इन बोलि कि, “तुम ईं दुनियां मा लूण का जन छाँ। अर अगर जु लूण को स्वाद बिगाड़ि जौ, त फिर वेतैं कनकै नमकीन किये जै सकदु? फिर उ कै काम को नि रौन्दु। तब लोग वेतैं भैर ढोळि देन्दिन, अर उ मनखियों का खुटों तौळ पितड़े जान्दु। 14अर ठिक उन्नि तुम ईं दुनियां का उज्याळा छाँ। अर जु नगर पाड़ पर बस्यूं हो, उ कभि छिपी नि सकदु। 15अर लोग द्यू बाळि के कटोरा का तौळ ढकै के नि रखदिन, बल्किन मा एक ऊँची जगा पर रखदिन, ताकि उ घौर का सब लोगु तैं उज्याळु दे सैको। 16ठिक इन्नि तुमरो उज्याळु भि लोगु का समणि चमकण चयेणु, ताकि लोग तुमरा #1 पत 2:12भला कामों तैं देखि के तुमरा पिता परमेस्वर की बडै कैरा, जु की स्वर्ग मा च।”
नियम-कानून की शिक्षा
17“अर यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, ‘इन नि सोचा, कि मि मूसा का दियां नियम-कानूनों तैं या रैबर्यों का द्वारा लिखीं बातों तैं रद्द करणु खुणि अयूं छौं। अरे, मि ऊंतैं रद्द करणु खुणि ना, पर पूरु करणु खुणि अयूं छौं। 18अर मि तुम बटि सच्चि बोन्नु छौं कि जब तक या धरती अर आसमान च, तब तक परमेस्वर का नियम-कानूनों न खतम नि होण, अर वेमा लिखीं हरेक छुटी से छुटी बात भि पक्की तरौं से पूरि होलि। 19इलै जु कुई भि यों बातों मा बटि एक छुटी से छुटी आज्ञा को पालन भि नि करलु, अर उन्नि दुसरो तैं करणु कू सिखौलु, त वेतैं परमेस्वर का राज मा सबसे छुटो बुले जालु, मगर जु कुई भि यों आज्ञाओं को पालन करलु, अर ठिक उन्नि दुसरो तैं भि करणु कू सिखौलु, त वेतैं परमेस्वर का राज मा सबसे बड़ु बुले जालु। 20अर मि तुमतै बतै देन्दु, कि अगर जु तुम परमेस्वर की नजर मा धरमी जीवन जीण को काम, शास्त्री अर फरीसी दल का लोगु से जादा नि करिल्या, त तुम परमेस्वर का राज मा नि जै सकद्यां।’”
गुस्सा अर हत्या करण का बारा मा शिक्षा
21“अर यीशु न ऊंकू बोलि कि, ‘तुमुन या बात पैलि भि सुण्यालि की तुमरा पितरों कू बुले गै छौ कि, #निर्ग 20:13हत्या नि कर्यां, अर अगर जु कुई हत्या करलु, त वेको न्याय कचैरी मा किये जालु।’ 22पर मि तुमतै बतै देन्दु कि, #भजन 37:8जु कुई भि कै मनखि से नाराज हो, अर वेको अपमान कैरो अर बोलो ‘अरे बेकूप’ त वेतैं कचैरी मा दोषी ठैरै के दण्ड मिललु। अर अगर जु कुई अपणा भै-बैंण कू बोललु ‘अरे मूरख’ त उ नरकलोक की आग मा डळै जालु। 23अर जब तू मन्दिर मा वेदी का पास अपणी भेंट लेके ऐलि, अर उख त्वे याद अऽ, कि तेरा मन मा कै का खिलाप मा कुछ च, त अपणी भेंट तैं नि चड़ौ, 24बल्किन मा अपणी भेंट तैं मन्दिर मा ही छोड़ि दे, अर पैलि जैके वेका दगड़ा मा मेल-जोल कैर, अर तब ऐके अपणी भेंट तैं चड़ै। 25अर जब तेरु दुसमन त्वेतै पंचैत मा लि जाणु हो, त तू अधा बाटा मा ही वेका दगड़ा मा सला कैरी ले, कखि इन नि हो कि उ त्वेतै पंचैत का हवाला कैरी द्यो, अर पंचैत पटवरी का, अर तब पटवरी त्वेतै जेलखाना मा डलवै द्यालु। 26मि तुम बटि सच्चि बोन्नु छौं, जब तक तू एक-एक रुपया नि चुकै दिली, तब तक तू उख बटि कनकै भि छुटी नि सकदी।”
गळत सम्बन्ध रखण का खिलाप मा शिक्षा
27“अर यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, ‘तुमुन पैलि भि सुण्यालि की बुले गै छौ कि, #निर्ग 20:14; व्यव 5:2गळत सम्बन्ध नि रख्यां।’ 28पर मि तुमतै बतै देन्दु कि, हरेक उ मनखि जु कै दुसरि जनानि तैं गळत नजर से दिखदु, त वेन अपणा मन मा वींका दगड़ा गळत सम्बन्ध बणैनी। 29अर अगर तेरी दैंणी आंख त्वे बटि पाप करौणी च, त वींतैं निकाळि#5:29 इख मा यीशु सच्चि मा आंख निकाळि के ढोळण का बारा मा, अर हाथ काटी के ढोळण (29, 30) की बात नि कनु च। पर यीशु इन बतौणु च, कि पाप कथगा खतरनाक च। के ढोळि दे, किलैकि पूरा सरील को नरकलोक मा नास होण से त जादा खूब यू च, कि तेरा सरील को एक अंग ही नास ह्वे जौ। 30अर अगर तेरु दैंणु हाथ त्वे बटि पाप करौणु च त वेतैं काटी के ढोळि दे, किलैकि पूरा सरील को नरकलोक मा नास होण से त जादा खूब यू च, कि तेरा सरील को एक अंग ही नास ह्वे जौ।”
तलाक का खिलाप मा शिक्षा
(मत्ती 19:9; मर 10:11-12; लूका 16:18)
31अर यीशु न ऊंकू बोलि कि, “तुमकु इन भि बुले गै छौ कि, #व्यव 24:1‘जु कुई अपणी घरवळी तैं तलाक द्यालु, त उ एक तलाकनामा लिखी के द्यो।’ 32पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि हरेक उ मनखि जु गळत सम्बन्ध रखण का अलावा कै दुसरा कारण से अपणी घरवळी तैं तलाक देन्दु, त इन्द्रयो मनखि वीं जनानि बटि सरील का सम्बन्ध बणवाणु च। अर जु कुई इन्दरि जनानि बटि ब्यौ करदु, त उ मनखि भि सरील का सम्बन्ध बणौणु च जु कि गळत च।”
कसम का खिलाप मा शिक्षा
33तब यीशु न ऊंकू इन भि बोलि कि, “तुमरो सुणयूं च की तुमरा पितरों कू बुले गै छौ कि, #लैव्य 19:12; गिन 30:2; व्यव 23:21 ‘झूठ्ठी कसम नि खयां, पर प्रभु का समणि ज्वा कसम तुमुन खाई वींतैं वे खुणि पूरु कैरा।’ 34पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि तुम कभि कसम नि खयां, नऽ त स्वर्ग की किलैकि उ #यशा 66:1परमेस्वर की राजगद्दी च, 35अर ना ही ईं धरती की कसम खयां, किलैकि या वेका खुटा रखण की जगा च। अर नऽ त यरूशलेम नगर की कसम खयां, किलैकि उ सबसे महान राजा परमेस्वर को नगर च। 36अर तुम खुद की कसम भि नि खयां, किलैकि तुम अपणा एक बाल तैं भि सफेद या काळु नि कैरी सकद्यां। 37पर जख मा तुमतै ‘हाँ’ बोन्न होलु उख मा ‘हाँ’ बोला, अर जख मा ‘ना’ बोन्न होलु त उख मा ‘ना’ बोला, किलैकि अगर जु तुम येसे जादा बुल्द्यां, त ईं बात तैं जाणि ल्या कि वा बात दुष्ट शैतान की तरफा बटि औणी च।”
बदला लेण का खिलाप मा शिक्षा
(लूका 6:29,30)
38अर वेन ऊं लोगु कू बोलि कि, “तुमुन सुणी होलु कि, #निर्ग 21:24; लैव्य 24:20; व्यव 19:21‘अगर कुई कै की आंख तैं फोड़ि द्यो, त तुम भि वेकी आंख फोड़ि द्या, अर अगर कुई कै को दांत तोड़ि द्यो, त तुम भि वेको दांत तोड़ि द्या।’ 39पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि जु बुरु च वेको मुकाबला नि कैरा, पर अगर कुई तेरा दैंणा गलोड़ा पर थप्पड मारो, त वेकी तरफा दुसरो गलोडु भि कैर दे। 40अर अगर कुई त्वे पर मुकदमा चलै के तेरु कुरता लेण चालु, त वेतैं अपणु कोट भि लेण दे। 41अर अगर कुई त्वेतै अफ दगड़ा जबरदस्ती एक मील लेके जौ, त तू वेका दगड़ा मा दुई मील चलि जा। 42अर जु कुई त्वे बटि मांगु, त वेतैं दे अर जु त्वे बटि करज लेण चौ, त वे खुणि मना नि कैर।”
दुसमनों से प्यार की शिक्षा
(लूका 6:27,28,32-36)
43अर यीशु न बोलि कि, “तुमुन इन भि सुणी की बुले गै छौ कि, #लैव्य 19:18‘अपणा पड़ोसी बटि प्यार कैरा, अर दुसमनों बटि नफरत।’ 44पर मि तुमतै बतै देन्दु, कि अपणा दुसमनों बटि भि प्यार कैरा, अर जु लोग तुमतै सतौणा छिन ऊं खुणि प्रार्थना कैरा। 45अर इन कैरिके तुम स्वर्ग मा रौण वळा अपणा पिता परमेस्वर की औलाद ह्वेल्या, किलैकि उ अच्छा अर बुरा, दुई किसम का लोगु पर सूरज को उज्याळु चमकान्दु, अर धरमी और अधरमी लोगु खुणि बरखा भि करदु। 46किलैकि अगर जु तुम बस ऊं बटि ही प्यार करद्यां जु तुम बटि करदिन, त कौन सा तुमुन भौत बड़ु काम कैरियाली। अरे, चुंगी लेण वळा पापि लोग भि त इन्नि करदिन, 47अर अगर जु तुम बस अपणा ही भै-बन्दों तैं नमस्कार करद्यां, त कौन सा तुमुन भौत बड़ु काम कैरियाली। अरे, जु लोग यहूदी जाति का नि छिन ऊ भि त इन्नि करदिन। 48इलै तुम खरु मनखि बणा, जन #उत्पति 17:1स्वर्ग मा रौण वळु तुमरो पिता परमेस्वर खरु च।”
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