यिर्मयाह 3

3
सच्‍चे पश्‍चात्ताप की आवश्‍यकता
1‘कहो,
यदि कोई पुरुष अपनी पत्‍नी को त्‍याग दे,
और उसकी पत्‍नी दूसरे पुरुष की स्‍त्री हो
जाए
तो क्‍या वह उसके पास लौटेगा?
क्‍या उसके ऐसे आचरण से
सारा देश भ्रष्‍ट नहीं हो जाएगा?
ओ इस्राएली जनता,
तू अनेक प्रेमियों के साथ व्‍यभिचार कर
चुकी है।
क्‍या अब तू मेरे पास लौटेगी?’
प्रभु की यह वाणी है।#व्‍य 24:4
2‘मुण्‍डे पहाड़ी शिखरों की ओर आंख उठाकर
देख!
कौन-सा स्‍थान बाकी है
जहां तूने कुकर्म नहीं किया?
जैसे अरब-निवासी
निर्जन स्‍थान में घात लगाकर बैठता है
और कारवां की प्रतीक्षा करता है,
वैसे ही तू राह में आंख बिछाए
अपने प्रेमियों का इंतजार करती थी।
अरी, इस्राएली जनता,
तूने अपने व्‍यभिचार से
समस्‍त देश को भ्रष्‍ट कर दिया है।#व्‍य 12:2
3अत: मैंने वर्षा रोक दी,
वसंत ऋतु में होनेवाली वर्षा
इस वर्ष नहीं हुई।
फिर भी तुझे पाप की ग्‍लानि नहीं हुई।
तेरी आंखों में व्‍यभिचार झलकता रहा!#लेव 26:19
4दूसरी ओर तू मुझसे प्रार्थना करती है,
“हे मेरे पिता, तू तो मेरे बचपन से मेरा मित्र
रहा है!
5क्‍या तू सदा मुझसे नाराज रहेगा?
क्‍या युगान्‍त तक तेरा क्रोध शान्‍त नहीं
होगा?”
ओ इस्राएल, यों तू मुझ से प्रार्थना भी करती है,
और जितने कुकर्म तुझसे हो सकते हैं,
उनको भी करती जाती है!’
इस्राएल और यहूदा प्रदेशों को पश्‍चात्ताप करना ही होगा
6राजा योशियाह के राज्‍य-काल में मुझे प्रभु का यह संदेश मिला। उसने मुझसे कहा, ‘विश्‍वासघातिनी इस्राएल प्रदेश की जनता के कामों को क्‍या तूने देखा है? वह पहाड़ी-शिखर के प्रत्‍येक मन्‍दिर में गई। उसने हरएक हरे वृक्ष के नीचे मूर्ति की पूजा की। यों उसने मेरे प्रति विश्‍वासघात किया। 7मैंने सोचा था कि इन सब कामों को करने के बाद वह पश्‍चात्ताप करेगी, और मेरे पास लौट आएगी। पर वह नहीं लौटी। उसकी बहिन यहूदा ने भी यह देखा। लेकिन वह भी कपटी बनी रही। 8उसने देखा कि उसकी बहिन विश्‍वासघातिनी इस्राएल के व्‍यभिचार-कर्म के कारण − कि उसने मुझे त्‍यागकर अन्‍य देवताओं की पूजा की − मैंने तलाक पत्र लिखकर उसको भगा दिया है, फिर भी उसकी कपटी बहिन यहूदा प्रदेश की जनता नहीं डरी! बल्‍कि उसने भी वही आचरण किया और वह भी व्‍यभिचारिणी बन गई। 9यहूदा को यह व्‍यभिचार-कर्म बड़ा हल्‍का जान पड़ा। अत: उसने पत्‍थरों और काठ स्‍तम्‍भों की पूजा करके सारे प्रदेश को भ्रष्‍ट कर दिया। 10फिर भी यह कपटी बहिन यहूदा मेरे पास पूरे हृदय से नहीं लौटी। उसके हृदय में कपट बना रहा,’ प्रभु की यह वाणी है।
11प्रभु ने मुझसे कहा, ‘कपटी यहूदा से विश्‍वासघातिनी इस्राएल कम दोषी है।
12जा, तू उत्तर दिशा में मेरे ये वचन सुना:
प्रभु यह कहता है:
ओ विश्‍वासघातिनी इस्राएली जनता,
‘मेरी ओर लौट।
मैं करुणा-सागर हूं;
मैं तुझ पर क्रोध नहीं करूँगा।
मुझ-प्रभु का यह वचन है।
मैं युगांत तक तुझसे नाराज नहीं रहूंगा।
13केवल तू अपने दुष्‍कर्म को स्‍वीकार कर,
कि तूने मुझ-प्रभु परमेश्‍वर से विद्रोह किया था,
और यहां-वहां हरएक हरे वृक्ष के नीचे
अन्‍य देवताओं की पूजा की थी,
और यों तूने मेरे आदेशों को नहीं माना,’
प्रभु ने यह कहा है।
14प्रभु यों कहता है:
‘ओ विश्‍वासघातिनी जनता, लौट आ!
क्‍योंकि मैं तेरा स्‍वामी हूं।
मैं प्रत्‍येक नगर से एक व्यक्‍ति
और हरएक गोत्र से दो जन लूंगा,
ओर यों तुझको सियोन में पहुंचा दूंगा।
15‘सुन, मैं तुझको अपने हृदय के अनुकूल उच्‍च अधिकारी दूंगा। वे तुझ पर बुद्धि और समझ से शासन करेंगे।#यिर 23:4 16उन दिनों में, जब तेरी आबादी इतनी बढ़ जाएगी कि लोग देश में भर जाएंगे, वे “प्रभु की विधान-मंजूषा” के विषय में चर्चा नहीं करेंगे। उसका विचार उनके मस्‍तिष्‍क में नहीं आएगा। वे उसका स्‍मरण नहीं करेंगे। वे उसकी अनुपस्‍थिति भी अनुभव नहीं करेंगे, और नयी विधान-मंजूषा भी नहीं बनाएंगे।
17‘उन दिनों में यरूशलेम नगर “प्रभु का सिंहासन” कहलाएगा। विश्‍व की सब जातियां यरूशलेम में प्रभु की उपस्‍थिति में एकत्र होंगी। वे हठ-पूर्वक अपने हृदय के अनुरूप बुरे मार्ग पर नहीं चलेंगी। 18उन दिनों में यहूदा प्रदेश की जनता इस्राएल प्रदेश की जनता से मिल जाएगी। वे दोनों संगठित होकर उत्तर दिशा से उस भूमि में प्रवेश करेंगी, जो मैंने उनके पूर्वजों को पैतृक-अधिकार के लिए प्रदान की थी।
19‘ओ इस्राएली कौम, मैंने सोचा था कि तुझे
अपने ही लोगों के मध्‍य#3:19 अथवा, ‘पुत्र के सदृश’ प्रतिष्‍ठित करूंगा,
तुझे एक उपजाऊ देश प्रदान करूंगा,
जो सब देशों में सर्वोत्तम होगा।
मैं सोचता था, तू मुझे अपना पिता मानेगी,
और मेरा अनुसरण करना नहीं छोड़ेगी।
20परन्‍तु, नहीं! जैसे विश्‍वासघातिनी पत्‍नी
पति को छोड़कर चली जाती है,
वैसे ही तूने मेरे साथ विश्‍वासघात किया,’
प्रभु की यह वाणी है।
इस्राएलियों का पश्‍चात्ताप करना
21मुण्‍डे पहाड़ी शिखरो पर शोक-स्‍वर सुनाई
दे रहा है,
इस्राएली रो रहे हैं, वे गिड़गिड़ा रहे हैं।
वे मार्ग से भटक गए थे;
वे अपने प्रभु परमेश्‍वर को भूल गए थे।
22प्रभु ने उनसे कहा था,
‘ओ विश्‍वासघाती सन्‍तान, लौट आ!
मैं तेरे विश्‍वासघात के घाव को भर दूंगा।’
वे बोले, ‘देख, हम तेरे पास लौट आए हैं;
क्‍योंकि तू ही हमारा प्रभु परमेश्‍वर है
23पहाड़ी-शिखर के मन्‍दिर और मूर्तियां
निस्‍सन्‍देह निस्‍सार हैं;
पूजा-पाठ का शोर व्‍यर्थ है।
सचमुच इस्राएली कौम का उद्धार
केवल प्रभु परमेश्‍वर ही करता है।
24‘किन्‍तु हमारे बचपन से ही, ये घृणित देवता हमारे पूर्वजों के कठोर परिश्रम का फल, उनके रेवड़ के बैल-गाय, भेड़-बकरियां, उनके पुत्र और पुत्रियां खाते रहे हैं! 25हमें तो शर्म के मारे गड़ जाना चाहिए। हमें चुल्‍लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। हमने अपने प्रभु परमेश्‍वर के प्रति पाप किया है। हम और हमारे पूर्वज बचपन से आज तक पाप करते आए हैं। हमने अपने प्रभु परमेश्‍वर की बातों को नहीं माना।’

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