शोक-गीत पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
प्रस्‍तुत काव्‍य-पुस्‍तिका में पाँच शोक गीत संकलित हैं। इनका संबंध ईसवी पूर्व 586 में हुए यरूशलेम के विनाश से है। यरूशलेम के निवासी बँधुवाई में जा चुके थे। मंदिर खण्‍डहर हो गया था। इन गीतों में मुख्‍य स्‍वर विलाप-शोक का है। फिर भी परमेश्‍वर पर भरोसा तथा भविष्‍य में समृद्धि, सुख-शांति की आशा भी है।
ईसवी पूर्व 586 में हुए यरूशलेम के विनाश की स्‍मृति में यहूदी हर वर्ष राष्‍ट्रीय शोक-दिवस मनाते थे। इस दिन सब यहूदी उपवास रखते एवं विलाप करते थे (जकर्याह 7:5)। ऐसे अवसर पर शोक-गीत का ‘कुण्‍डल पत्र’ प्रयोग में आता था। इब्रानी बाइबिल के क्रम में यह पुस्‍तिका उन पांच कुंडल पत्रों में से एक है जो नीति-वचन के बाद मिलते हैं (अर्थात् रूत, श्रेष्‍ठगीत, सभा-उपदेशक, और एस्‍तर के साथ)। प्राचीन बाइबिल-अनुवादों में शोक-गीत नबी यिर्मयाह की कृति माना गया है।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
बन्‍दिनी सियोन नगरी (यरूशलेम) का दु:ख 1:1-22
स्‍वयं प्रभु ने सियोन को दण्‍ड दिया 2:1-22
दण्‍ड किन्‍तु उद्धार की आशा 3:1-66
यरूशलेम खण्‍डहर हो गया 4:1-22
दया के लिए प्रार्थना 5:1-22

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