भजन संहिता 89
89
दाऊद के साथ परमेश्वर का विधान#1 रा 4:31
एजरा-वंशी एतान का मसकील।
1प्रभु, मैं तेरी करुणा के गीत गाता रहूँगा;
मैं अपने मुंह से तेरी सच्चाई
पीढ़ी से पीढ़ी उद्घोषित करता रहूंगा।
2मैं यह जानता हूँ, तेरी करुणा
सदा-सर्वदा के लिए स्थित है;
तेरी सच्चाई आकाश के सदृश स्थाई है।
3तूने यह कहा है, ‘मैंने अपने मनोनीत राजा
के साथ विधान स्थापित किया है,
मैंने अपने सेवक दाऊद से यह शपथ खाई है:#भज 132:11
4मैं दाऊद के वंश को युग-युगान्त
स्थिर रखूंगा,
उसके सिंहासन को पीढ़ी से पीढ़ी
बनाए रखूंगा।’#2 शम 7:8,16; प्रे 2:30
सेलाह
5हे प्रभु, स्वर्ग तेरे आश्चर्यपूर्ण कर्मों का
गुणगान करे;
पवित्र सन्तों की सभा में
वह तेरी सच्चाई का गुणगान करे!
6आकाश-मण्डल में प्रभु के तुल्य कौन है?
स्वर्गदूतों में#89:6 शब्दश: “ईश्वरों के पुत्रों में” । कौन प्रभु के समान हो सकता है?
7परमेश्वर पवित्र सन्तों की सभा में भयप्रद है,
वह अपने चारों ओर रहनेवालों में
महान और भयावह है।
8हे प्रभु, स्वर्गिक सेनाओं के परमेश्वर,
तेरे जैसा और कौन शक्तिवान है?
हे प्रभु, तेरे चारों ओर तेरी सच्चाई है।
9तू समुद्र के उत्पात पर शासन करता है;
उसकी उद्दण्ड लहरों को शान्त करता है।
10तूने जल-राक्षस रहब को लाश के समान
कुचल डाला था,
अपने शत्रुओं को अपने भुजबल से छिन्न-
भिन्न किया था।
11आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है,
संसार और उसकी परिपूर्णता को
तूने ही स्थापित किया है।
12तूने ही उत्तर और दक्षिण बनाए हैं;
ताबोर एवं हेर्मोन पर्वत तेरे नाम का
जयजयकार करते हैं।
13तेरी भुजा बलवान है;
तेरा हाथ शक्तिसम्पन्न है;
तेरा दाहिना हाथ प्रबल है।
14धार्मिकता और न्याय तेरे सिंहासन के मूल हैं;
करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती हैं।
15धन्य हैं वे, जो पर्व के उल्लास को जानते हैं;
जो, हे प्रभु, तेरे मुख की ज्योति में चलते हैं;
16जो तेरे नाम से निरन्तर आनन्दित होते हैं,
और तेरी धार्मिकता से उन्नत हो जाते हैं।
17तू ही उनकी शक्ति की शोभा है;
तेरी कृपा से हमारा मस्तक ऊंचा होता है।
18हमारी ढाल प्रभु की है;
हमारा राजा ‘इस्राएल के पवित्र’ प्रभु का है
19तूने पुर्वकाल में अपने भक्त से दर्शन में यह
कहा था,
‘मैंने शक्तिशाली पुरुष के सिर पर मुकुट रखा है;
मैंने प्रजा में से एक पुरुष को चुना
और उसको उन्नत किया है।
20मैंने अपने सेवक दाऊद को ढूंढ़ लिया है;
पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है।#प्रे 13:22; 1 शम 13:14; 16:13
21अत: मेरा हाथ उस पर स्थित रहेगा,
मेरी भुजा उसे शक्तिवान बनाएगी।
22शत्रु उसे पराजित न कर सकेगा,
और न कुटिल व्यक्ति उसे पीड़ा पहुँचाएंगे।
23मैं उसके सम्मुख ही उसके बैरियों को नष्ट
करूंगा;
मैं उससे बैर करनेवालों का नाश कर दूंगा।
24मेरी सच्चाई और करुणा उसके साथ रहेंगी;
मेरे नाम से उसका मस्तक ऊंचा होगा।
25मैं उसके अधिकार-क्षेत्र को भूमध्य सागर
तक,
उसके भुजबल को फरात नदी तक
स्थित रखूंगा।
26वह मुझे पुकार कर कहेगा,
“तू ही मेरा पिता,
मेरा परमेश्वर, मेरे उद्धार की चट्टान है।”
27मैं उसे पहलौठा पुत्र,
पृथ्वी के राजाओं में सर्वोच्च बनाऊंगा।#2 शम 7:14; भज 2:7; प्रक 1:5
28मैं उसके प्रति सदा करुणा करता रहूंगा,
और मेरा विधान उसके लिए अटल रहेगा।#यश 55:3
29मैं उसके वंश को युगान्त तक,
उसके सिंहासन को स्वर्ग के दिन के समान
स्थायी बनाए रखूंगा।
30यदि उसके पुत्र व्यवस्था को त्याग देंगे,
और मेरे न्याय-सिद्धान्तों के अनुसार नहीं
चलेंगे;
31यदि वे मेरी संविधि को भंग करेंगे
और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं करेंगे,
32तो मैं छड़ी से उनके अपराधों की
और कोड़ों से उनके अधर्म की सुध लूंगा।
33परन्तु मैं उस पर से अपनी करुणा नहीं
हटाऊंगा,
और न अपनी सच्चाई को झूठा बनने दूंगा।
34न मैं अपना विधान भंग करूंगा,
और न अपने मुंह से निकले हुए शब्दों को
बदलूंगा।
35मैंने सदा-सर्वदा के लिए
अपनी पवित्रता की शपथ खाई है;
मैं दाऊद के प्रति झूठा नहीं बनूंगा।
36उसका वंश सदा चलता रहेगा
उसका सिंहासन मेरे सामने सूर्य जैसा
चमकता रहेगा।
37वह चन्द्रमा के समान सदा के लिए स्थित
होगा;
यह साक्षी आकाश में स्थिर है।” #प्रक 3:14
सेलाह
38प्रभु, अब तूने उसे त्याग दिया,
तूने उसको अस्वीकार कर दिया;
तू अपने अभिषिक्त राजा से अति क्रुद्ध है।
39तूने अपने सेवक के साथ
अपने विधान को त्याग दिया;
तूने उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर
अशुद्ध कर दिया।
40तूने उसकी समस्त रक्षा-चौकियां गिरा दीं;
उसके गढ़ों को खण्डहर बना दिया।
41मार्ग से जाने वाले उसे लूटते हैं;
वह पड़ोसियों की निन्दा का पात्र बन गया।
42तूने उसके बैरियों का भुजबल बढ़ाया है,
उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है।
43निस्सन्देह तूने उसकी तलवार की धार
कुन्द कर दी
और युद्ध में उसको टिकने नहीं दिया।
44तूने उसका राजदण्ड#89:44 मूल में ‘शुद्धता’ उसके हाथ से छीन
लिया;
और उसका सिंहासन भूमि पर गिरा दिया।
45तूने उसके यौवन के दिन घटा दिए,
और उसे पराजय की लज्जा से गड़ जाने
दिया।
सेलाह
46हे प्रभु, कब तक?
क्या तू सदा स्वयं को छिपाए रखेगा?
कब तक तेरा क्रोध आग-जैसा जलता
रहेगा?
47हे स्वामी, स्मरण कर,
जीवन-काल कितना अल्प है;
तूने सब मनुष्यों को नश्वर उत्पन्न किया है।
48ऐसा कौन मनुष्य है, जो सदा जीवित रहे,
और मृत्यु को न देखे?
कौन मनुष्य मृतकलोक के हाथ से
अपने प्राण छुड़ा सकता है?
सेलाह
49हे स्वामी, कहां है तेरी प्राचीनकाल की
करुणा,
जिसकी शपथ तूने अपने सेवक दाऊद से
सच्चाईपूर्वक खाई थी?
50हे स्वामी, अपने सेवक की निन्दा स्मरण
कर;
मैं कैसे अपने हृदय में लोगों का अपमान#89:50 मूल में ‘सब महान राष्ट्रों को’
सहता हूँ।
51हे प्रभु, तेरे शत्रुओं ने मेरी निन्दा की है;
उन्होंने तेरे अभिषिक्त राजा का
पग-पग पर अपमान किया है।
52प्रभु युग-युगान्त धन्य है।
आमेन और आमेन!
वर्तमान में चयनित:
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