भजन संहिता 90

90
चौथा खण्‍ड
परमेश्‍वर शाश्‍वत है, पर मनुष्‍य क्षण-भंगुर
परमेश्‍वर के प्रिय जन मूसा की प्रार्थना।
1हे स्‍वामी, तू पीढ़ी से पीढ़ी
हमारे लिए आश्रय-स्‍थल बना हुआ है।
2पर्वतों के उत्‍पन्न होने के पहिले,
तेरे द्वारा संसार की सृष्‍टि होने के पूर्व,
युग-युगान्‍त से तू ही परमेश्‍वर है।#नीति 8:25
3तू मनुष्‍य को मिट्टी में लौटा देता है;
तू यह कहता है, “ओ मानव-पुत्र, लौट जा!”
4तेरी दृष्‍टि में
हजार वर्ष भी बीते कल के समान हैं,
वे रात के एक पहर के सदृश हैं।#2 पत 3:8
5तू मनुष्‍यों को बहा ले जाता है;
वे मानो स्‍वप्‍न हैं,
वे घास के सदृश हैं
जो प्रात: काल लहलहाती है:#अय्‍य 20:8; भज 103:15; यश 40:6-8
6वह प्रात: काल फूलती और लहलहाती है,
किन्‍तु संध्‍या को मुर्झाकर सूख जाती है।
7हम तेरे क्रोध से भस्‍म हो गए हैं;
तेरे रोष से हम भयभीत हैं।
8तूने अपने सम्‍मुख हमारे अधर्म के कार्यों को,
अपने मुख की ज्‍योति में हमारे गुप्‍त पापों को
रखा है।
9तेरे क्रोध में हमारे दिन कटते हैं;
हम अपने जीवन के वर्षों को आह भरते हुए
बिताते हैं।
10हमारी आयु के वर्ष सत्तर हैं;
यदि वे बल के कारण अस्‍सी भी हो जाएं,
तोभी उनकी अवधि दु:ख और कष्‍ट में
बीतती है।
वे अविलम्‍ब व्‍यतीत हो जाते हैं
और हमारे प्राण-पखेरू उड़ जाते हैं।#प्रज्ञ 18:8-9
11तेरे कितने भक्‍त
तेरे क्रोध की शक्‍ति को जान सकते हैं;
तेरे रोष को कौन अनुभव कर सकता है?
12अत: प्रभु, हमें सिखा कि हमारी आयु के
दिन कितने कम हैं;
और यों हम बुद्धिमत्तापूर्ण मन प्राप्‍त करें।
13हे प्रभु, लौट आ!
कब तक?
तू अपने सेवकों पर दया कर।
14तू प्रात: काल अपनी करुणा से हमें तृप्‍त कर,
जिससे हम जीवन भर जयजयकार करें,
और आनन्‍द मनाएं।
15जितने दिन तूने हमें पीड़ित किया,
जितने वर्ष हमने दु:ख भोगा
उतने ही समय तक हमें आनन्‍दित कर।
16तेरे कार्य तेरे सेवकों पर,
तेरा प्रताप उनकी सन्‍तान पर प्रकट हो!
17हमारे स्‍वामी परमेश्‍वर की कृपा हम पर हो;
जो कार्य हम करते हैं, उन्‍हें सफल कर।
निश्‍चय प्रभु, तू हमारे कार्यों को सफल कर।

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