काइल आइडलमैन के साथ उड़ाऊ पुत्र रूपांतर ।नमूना
“जागना/जगाना –अकाल को मिटाना”
हाल ही में मैंने, जोनाथन हाइड, एक मनोचिकित्सक द्वारा किये गए प्रयोग के बारे में पढ़ा। उन्होंने एक बहुत ही मनोहर काल्पनिक अभ्यास/व्यायाम का सुझाव दिया है, जोकि कुछ इस प्रकार से है:
जितने भी प्रतिभागी हैं, सबको किसी एक व्यक्ति’के जीवन का संक्षिप्त विवरण पढ़ने के लिए दिया जायेगा। उसके बाद प्रतिभागियों को कहा जायेगा कि जिस व्यक्ति के बारे में उन्होंने पढ़ा है, कल्पना करें कि वह व्यक्ति उनकी बेटी है। और यह उसके जीवन की अटल कहानी है। उसका जन्म अभी हुआ’ नहीं है, लेकिन शीघ्र ही वह जन्म लेने वाली है, और इसी प्रकार से उसका जीवन रहेगा। इसके पश्चात्, उसके जीवन की कहानी में बदलाव करने ले लिए प्रतिभागियों के पास 5 मिनट का समय रहेगा। हाथ में रबर/इरेज़र लेकर, प्रतिभागी उसके जीवन का जो चाहें वो हिस्सा मिटा सकतें हैं।
प्रतिभागियों के लिए एक प्रश्न था: सबसे पहले आप क्या मिटाना चाहोगे?
हम में से ज़्यादातर स्वाभाविक बुद्धि से या पागलपन में आकर उसकी सिखने की असमर्थता या कार दुर्घटना या आर्थिक चुनौतियों को ही मिटाना शुरू करेंगें। हम अपने बच्चों से बहुत प्रेम करतें हैं और यह चाहतें हैं कि उन्हें जीवन में कोई तकलीफ, दुःख, या किसी प्रकार की नाकामयाबी का सामना ना करना पड़े। हम सब यही चाहतें हैं और हमारी प्राथमिकता भी यही रहती है कि हमारे बच्चों’ का जीवन दुःख एवं पीड़ा से मुक्त रहे।
लेकिन अपने-आप से पूछें: क्या वास्तव में वो सब’ बातें ही सबसे बेहतर हैं?
क्या वास्तव में हम ऐसा सोचतें हैं कि आसानी से प्राप्त हुआ विशेष जीवन हमारे बच्चों को ख़ुश कर सकता है? क्या होता यदि आप उनके जीवन में से उस’ कठिन परिस्थिति को मिटा देते जो उन्हें प्रार्थना करने के लिए जागृत कर देती? क्या होता यदि आप उस कष्ट/पीड़ा को मिटा देते जो उन्हें यह दिखाता कि कोई भी परिस्थिति क्यों न हो,खुशहाल जीवन कैसे जीया जाता है? क्या होता यदि आप कुछ दर्दों और तक़लीफ़ों को मिटा देते जिससे उनके जीवन के वो मुख्य स्त्रोत, जिन्हें परमेश्वर उनके जीवन में, आँसू बहा कर उसके समक्ष आने के लिए उपयोग करतें हैं? क्या होता यदि आप उस कठिन परिस्थति को मिटा देते, जो उन्हें, उनके जीवन के लिए परमेश्वर की’ योजना/उद्देश्य को समझने के उन्हें जागृत कर देती?
बोलने में यह बात शायद कड़वी लगे, पर आत्मिक उन्नति के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान न तो उपदेशों, न ही किताबों, या छोटे समूहों का होता है; आत्मिक उन्नति के लिए सबसे पहले स्थान पर जिसका योगदान प्राप्त होता है वो है कठिन परिस्थितियाँ। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव, आत्मिक-उन्नति के सर्वेक्षणों को पढ़ने के बाद, और मेरे स्वयं के वास्तविक सबूतों, जो मैंने पिछले कुछ वर्षों में हज़ारों लोगों से बातचीत करने के बाद हासिल किया है, उनके आधार पर यह बात आपको बता सकता हूँ। तकलीफों, नाकामयाबियों, तथा जीवन की चुनौतियों में से ही ज श न मिलता है। बहुत से लोग तो इन क्षणों को आत्मिक जागृति के क्षण भी बोलतें हैं।
*आपके जीवन का वह कौन-सा समय है जब आपने सबसे ज़्यादा आत्मिक उन्नति का अनुभव किया? क्या वो भरपूरी का समय था या अभावों का? क्या इस क्षण में, परमेश्वर किसी कठिन परीक्षा या परिस्थिति के द्वारा आपको और बढ़ाने की कोशिश कर रहें हैं?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
उनकी पुस्तक "AHA" में से लिया गया, काइल आइडलमैन के साथ जुड़ें, जबकि उन्होंने इन ३ तत्वों को खोजा है, जो हमें परमेश्वर के और नज़दीक ले जा सकतें हैं और हमारे जीवन को भलाई के लिए बदल सकतें हैं। क्या आप परमेश्वर के क्षण के लिए तैयार हैं जो सब कुछ बदल सकता है ?
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