एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना

एक वर्ष 2019 में बाइबल

दिन 26 का 365

परमेश्वर तकलीफें क्यों आने देते हैं?

एक साल का एक लड़का सीढ़ी पर से नीचे गिर गया. उसने अपना सारा बचपन और जवानी अस्पताल में आने जाने में बिता दी. गॅविन रीड, मेडस्टोन के पूर्व बिशप, ने चर्च में उनके साथ बातचीत की. लड़के ने टिप्पणी की, ‘परमेश्वर न्यायी हैं’. ग़ॅविन ने उन्हें रोक कर पूछा, ‘आपकी उम्र कितनी है?’ लड़के ने जवाब दिया,‘सतरह साल’. ‘आपने अस्पताल में कितने वर्ष बिताये?’ लड़के ने कहा, ‘तेरह साल’. गॅविन ने पूछा, ‘क्या आपको लगता है कि परमेश्वर न्यायी हैं?’ उसने जवाब दिया, ‘मुझे पूर्ण बनाने के लिए परमेश्वर के पास पूरा अनंत काल है.’  

 

हम शीघ्र तृप्ति की दुनिया में रहते हैं जिसने लगभग पूरी तरह से अपने आंतरिक दृष्टिकोण को खो दिया है. नया नियम भविष्य के बारे में वायदों से भरा हुआ है: सारी सृष्टि फिर से नई हो जाएगी. यीशु इन्हें फिर से नया बनाने के लिए वापस आनेवाले हैं, ‘फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को’ (प्रकाशितवाक्य 21”1).  फिर कोई रोना नहीं होगा, क्योंकि तब कोई दु:ख और दर्द नहीं होगा. हमारे दोषपूर्ण, नाशवान शरीर, यीशु के महिमामयी देह के समान बदल जाएंगे. 

 

परमेश्वर की मूल सृष्टि में कोई कष्ट उठाना नहीं था (उत्पत्ति 1-2 देखें). परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह करने से पहले दुनिया में कोई शोक नहीं था. जब परमेश्वर नयी पृथ्वी और नया स्वर्ग बनाएंगे तो वहाँ कोई शोक-विलाप न होगा (प्रकाशित वाक्य 21:3-4). इसलिए शोक, परमेश्वर की दुनिया में बाहरी तत्व है.   

 

अवश्य ही यह इस प्रश्न के लिए संपूर्ण उत्तर नहीं है कि, ‘परमेश्वर तकलीफें क्यों आने देते हैं?’ जैसे कि हमने कल देखा कि इसके लिए कोई भी सरल या संपूर्ण समाधान नहीं है, लेकिन आज का हरएक पद्यांश हमें और भी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है.   

भजन संहिता 16:1-11

इस जीवन के कष्ट को अनंत के संदर्भ में देखें

 

आज का भजन कुछ पुराने नियम के पद्यांशों में से एक है जो परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत की आशा का पूर्वाभास है. दाऊद लिखते हैं, ‘क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा॥  तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है’ (व.10-11).

 

यह हमारे भविष्य की आशा है. ये वचन दर्शाते हैं कि यीशु के  पुनरूत्थान को पवित्र शास्त्र में पहले ही बता दिया गया था (प्रेरितों के कार्य 2:25-28 देखें). यह जीवन है न कि अंत. आप परमेश्वर की उपस्थिति में अंनत की, आनंद की भरपूरी और सदा के लिए प्रसन्नता की आशा कर सकते हैं. ‘इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं’ (रोमियों 8:18).

 

प्रभु, आपको धन्यवाद कि, मैं मसीह में पुनरूत्थानित देह और परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत की आशा कर सकता हूँ, जहाँ पर सदा के लिए आनंद की भरपूरी और प्रसन्नता बनी रहेगी.

मत्ती 18:10-35

मनुष्य की स्वतंत्रता और कष्ट के बीच संबंधों को समझना

 

परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं. प्रेम, प्यार नहीं है यह जबरदस्ती (अनिवार्य) है; यदि सच में कोई विकल्प है तो यह केवल प्यार ही है. परमेश्वर ने मनुष्य को चुनने का अधिकार और प्रेम करने की या न करने की आजादी दी है. इसलिए ज्यादातर तकलीफें हमारे द्वारा परमेश्वर से या दूसरों से प्यार न करने का चुनाव करने के कारण आती हैं. जैसे कि दाऊद आज के भजन संहिता में लिखते हैं, ‘जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा;’ (व.16:4).

 

फिर भी, यीशु पाप और कष्ट के बीच सहज संबंधों से इंकार करते हैं (यूहन्ना 9:1-3). वह यह भी बताते हैं कि जरूरी नहीं कि प्राकृतिक आपदा परमेश्वर की ओर से दंड है (लूका 131-5). लेकिन कुछ तकलीफें प्रत्यक्ष रूप से या तो हमारे खुद के पापों का या दूसरों के पापों का परिणाम हैं. इस पद्यांश में हम तीन उदाहरणों को देखेंगे:   

 

  भटक जाना

·       यीशु उन भेड़ों के बारे में बताते हैं जो मार्ग में ‘भटक’ जाती हैं (मत्ती 18:12).

·       जब हम चरवाहे की सुरक्षा से भटक जाते हैं तो हम असुरक्षित हो जाते हैं. लेकिन परमेश्वर हमें खोजना कभी नहीं छोड़ते क्योंकि ‘तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटों में से एक भी नाश हो’ (व.14).

 

 दूसरों के पाप  

·       यीशु कहते हैं ' यदि तेरा भाई या तेरी बहन तेरे विरूद्ध अपराध करे,' (व.15). तो ज्यादातर तकलीफें लोगों के पाप का परिणाम हैं – वैश्विक और सामाजिक स्तर दोनों पर, और इसके अलावा खुद के पापों का भी परिणाम हैं. इस पद्यांश में, यीशु मेल मिलाप का मार्ग निकालते हैं.   

·       वह अपने शिष्यों को असीमित क्षमा करने के लिए कहते हैं. यीशु कहते हैं कि जब लोग हमारे विरूद्ध पाप करते हैं तो हमें उन्हें क्षमा करना चाहिये – सिर्फ सात बार नहीं, बल्कि सत्तर के सात गुना बार (वव. 21-22).

·       क्षमा करना आसान नहीं है. क्रूस हमें याद दिलाता है कि यह कितना मूल्यवान और दर्दनाक है. क्षमा करने का मतलब दूसरों ने जो किया है उसकी प्रशंसा करना या क्षमा याचना करना नहीं है और ना ही इसका इंकार करना या यह दिखाना है कि आपको दु:ख पहुँचाया है. बल्कि, आपको पता है कि दूसरे व्यक्ति ने क्या किया है फिर भी आप उसे क्षमा करने के लिए बुलाते हैं. अपने व्यक्तिगत संबंधों में आप द्वेष, बदला और प्रतिकार को अलग रख दें और उस व्यक्ति पर दया और कृपा करें जिसने आपको दु:ख पहुँचाया है. 

 

 अक्षमा

·       कभी-कभी क्षमा करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. जैसा कि सी.एस. लेविस ने लिखा है: ‘सब लोग सोचते हैं कि क्षमा पाना एक बहुत अच्छा विचार है जब तक कि उनके पास क्षमा करने के लिए कुछ न हो.’  

·       अंतिम दृष्टांत में हम अक्षमा के विनाशकारी प्रभाव को देखते हैं. पहला सेवक जो अपेक्षाकृत छोटे से कर्ज को माफ करने के लिए तैयार नहीं था (एक सामान्य व्यक्ति की लगभग 160,000 सालों की वेतन की तुलना में लगभग साढ़े तीन महीने के वेतन के बराबर) वह दूसरे सेवकों के साथ अपने संबंधों को बरबाद कर देता है और दूसरे सेवक को कारावास में डालने के लिए कहता है. तो अक्सर अक्षमा लोगों के बीच संबंधों को बिगाड़ देती है और उनके हिसाब से जिन्होंने उनके विरूद्ध पाप किया है उन लोगों पर दोष लगाते हैं. इसका परिणाम हम विवाहों के टूटने में, संबंधों के टूटने में या समाज में मतभेद पड़ने में देखते हैं.      

·       हम क्षमा प्राप्त नहीं कर सकते. यीशु ने इसे आपके लिए क्रूस पर हासिल किया है. लेकिन क्षमा करने की आपकी इच्छा इस बात का प्रमाण है कि आप परमेश्वर से मिलने वाली क्षमा को जानते हैं. क्षमा प्राप्त लोग, क्षमा करते हैं. हम में से हर किसी को इतनी क्षमा प्राप्त हुई है कि हमें अपेक्षाकृत छोटे अपराधों को क्षमा करते रहना चाहिये जो हमारे विरूद्ध किये गए हैं.

मैं परमेश्वर का आभारी हूँ कि परमेश्वर कोई सीमा निर्धारित नहीं करते कि वह मुझे कितनी बार क्षमा करेंगे. फिर भी जब मैं दूसरों को देखता हूँ तो मैं यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ कि, ‘मुझे एक बार या दो बार क्षमा करने में खुशी होगी, लेकिन यदि वे ऐसा करते रहें, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मैं उन्हें क्षमा करता रहूँगा.’

जिस तरह से परमेश्वर आपके साथ व्यवहार करते हैं वैसा ही व्यवहार आप अपने हृदय में दूसरों के प्रति विकसित कीजिये. 

 

प्रभु, मुझे अपनी स्वतंत्रता का उपयोग प्रेम करने, खोए हुओं को खोजने और उनपर दया करने में मेरी मदद कीजिये. मेरी मदद कीजिये कि मैं शोक का कारण न बनूँ बल्कि कष्टों को दूर करने के लिए यीशु के आदर्शों का अनुसरण करते हुए अपना जीवन दे दूँ.

अय्यूब 1:1-3:26

हमेशा दु:ख के प्रति करूणा से प्रतिक्रिया करें

 

अय्यूब की पुस्तक कष्ट उठाने के बारे में है. यह मुख्यत: इस प्रश्न के बारे में है कि, ‘आपको दु:ख के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिये?’

 

शायद हम दु:खों के उद्गम के बारे में भी अनुमान लगा पाएं. जब स्वर्गदूत परमेश्वर के सामने इकठ्ठा हुए तो, ‘शैतान भी उनके साथ आया’ (1”6). ‘वह पूरी धरती पर इधर-उधर घूम रहा था’ (व.7). यह स्पष्ट है कि उसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा दु:ख पहुँचाना है.   

 

ऐसा प्रतीत होता है कि शैतान ही वह स्वर्गदूत है जिसे फेंक दिया गया था. ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर द्वारा मनुष्य को बनाए जाने से पहले उन्होंने काल्पनात्मक और बुद्धिमान अस्तित्व को बनाया जिसने मनुष्य के आने से पहले आत्मिक जगत में परमेश्वर के प्रति विद्रोह किया था.  

 

इस सच्चाई के फल स्वरूप कि हम इस पतित दुनिया के परिणाम हैं, बहुत से कष्ट का विवरण दिया जा सकता है: एक ऐसी दुनिया जहाँ सारी रचना प्रभावित हुई है, केवल मनुष्य के पाप के कारण ही नहीं, बल्कि उससे शैतान के पाप के कारण. आदम और हव्वा के पाप करने से पहले सर्प अस्तित्व में था. आदम और हव्वा के पाप के कारण इस दुनिया में, ‘कांटे और कांटेदार पौधे’ उत्पन्न हुए. उस समय के बाद से ‘यह सृष्टि व्यर्थता के अधीन हो गई’. प्राकृतिक आपदाएं सृष्टि में इस अनियमितता का परिणाम हैं.     

 

शैतान को मनुष्य के जीवन में बहुत से कष्ट लाने की अनुमति मिली, जो कि निर्दोष और खरा था, जो परमेश्वर का भय मानता था और बुराई से दूर रहता था (अयूब 1:1). अय्यूब ने धन और भौतिक संपत्ति(वव.13-17), पारिवारिक जीवन (वव.18-19), व्यक्तिगत स्वास्थ्य (2:1-10) और धीरे-धीरे अपने दोस्तों से समर्थन के क्षेत्र में हानि उठाई. 

 

जब हम किसी अनजान तकलीफों का सामना करते हैं, तो परमेश्वर पर दोष लगाना आसान होता है. फिर भी अय्यूब को पता नहीं था कि वह क्यों कष्ट उठा रहा है, अपने दु:ख में भी वह परमेश्वर पर भरोसा करता रहा और उनकी आराधना करता रहा, जिस तरह से वह अपने अच्छे समय में किया करता था (1:21, 2:10). लेखक प्रशंसापूर्ण ढंग से हमें बताता है कि, ‘इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया’ (व.10ब). सबसे कठिन परिस्थिति में भी वह विश्वासयोग्य बना रहा.

 

शुरू में अय्यूब के दोस्तों ने सही तरीके से प्रतिक्रिया की: ‘परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही’ (व.13). महान कष्ट की अवस्था में, तर्कसंगत व्याख्या करना प्रतिकूल हो सकता है. सामान्यत: सबसे सकारात्मक बात आप यह कर सकते हैं कि आप उस व्यक्ति के गले में बांहें डालकर ‘उसके साथ दु:ख मनाएं जो दु:खी है’ (रोमियों 12:15), जहाँ तक हो सके उनके दु:ख में शामिल होकर उनके साथ भाग लें.  

 

आज का पद्यांश अय्यूब की कहानी के बारे में नहीं है. अंत में परमेश्वर ने उसकी संपत्ति और सभी चीजों को पहले जैसा कर दिया और उसके पास पहले जितना था उससे भी दो गुना उसे दिया. अब हम जान गए हैं कि इस जीवन में आपके सारे कष्टों के बदले परमेश्वर के पास यीशु के द्वारा आपके लिए सारा अनंत है.

 

प्रभु, जब मैं कष्ट देखूँ, तो जो लोग शोक मना रहे हैं उनके साथ शोक मनाने और उन्हें करूणा दिखाने में मेरी मदद कीजिये. 

Pippa Adds

पीपा विज्ञापन

 

भजन संहिता 16:7

 

‘मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है.’

रात में मन के अंदर बहुत सी बातें आती हैं – अक्सर चिंताएं. उन्हें प्रार्थना में बदलते हुए, परमेश्वर हमारे साथ बात कर सकते हैं, हमें निर्देश दे सकते हैं और हमारा शरीर चैन पा सकता है (व.9).

कष्टों के बारे में व्यापक परिचर्चा के लिए निकी गम्बेल की पुस्तक ‘व्हाय डज गॉड अलाउ सफरिंग?’ देखें: shop.alpha.org/product/335/si-why-does-god-allow-suffering  

यह निकी गम्बेल की किताब ‘सर्चिंग इश्यूस’ के पहले अध्याय में भी मौजूद है: shop.alpha.org/product/296/searching-issues]

 

References

नोट्स:

सी.एस. लेविस, मीअर क्रिश्चियानिटी, (विलियम कॉलिंस, 2012).

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।         

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

 

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

 

 

दिन 25दिन 27

इस योजना के बारें में

एक वर्ष 2019 में बाइबल

दुनिया भर में 20 लाख से अधिक अनुमानित प्रयोक्ताओं के साथ, Bible in One Year, एक प्रमुख दैनिक बाइबल पठन की योजना है। प्रत्येक दिन आपको, एक प्साल्म या नीतिवचन पाठ, एक न्यूटेस्टामेंट पाठ और एक ओल्ड टेस्टामेंट पाठ प्राप्त होगा। फिर निकी और पिप्पा गंबेल, अंतर्दृष्टिपूर्ण कमेंटरी प्रदान करते हैं, जो कि बाइबल के साथ-साथ पाठों के बारे में ताज़ा समझ प्रदान करने के लिएपढ़े या सुने जाने के लिए है। निकी लंदन में HTB चर्च के पादरी और Alpha के अग्रदूत हैं।

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