Sang Tere (With You)नमूना
संस्कृति के साथ सहकर्मि
हम विश्व परिवर्तक कैसे बनते हैं?
हम शहरों और राष्ट्रों को कैसे बदलते हैं? हम में से सब के दिल में अपने शहर को बदले हुए देखने की इच्छा है, लेकिन जो हम नहीं बदल सकते उसे देखकरहम निराश और शक्तिहीनमहसूस करना शुरू करते है |
मुझे विश्वास है कि सुसमाचार लोगों को बदलने या लोगों को सुधारने के बारे में नहीं है बल्कि उन्हें बिना किसी प्रकार के लाभ पाए प्यार करने के विषय में है |
हम प्यार करने का भूमिका करते हैं, परमेश्वर परिवर्तनका काम करता है|
हम नहीं सुधारते, वह सुधरता है !
जब संस्कृति एक बाधा लगती है तब उसकी शिकायत करने के बदले हम समझना और उसके साथ काम करना सीख जाना चाहिए |
संस्कृति लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है|
कभी कभी परिवर्तन लाने की प्रक्रिया में हम लोगों को चोटिलकर देते है | क्यों की हम उनकी संस्कृति को समझने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करते, तो हम लगातार उन्हें गलत समझते है, जो अधिक समस्याओं के लिए मूल कारण है|
जिस संस्कृति में आप डाले गए है उस में कई कमियांहो सकती है, लेकिन संस्कृतिको समझे बिना उस ठीक करने की कोशिश करना केवल अधिक नुकसान का कारण होगा |
मुझे अपने आप को यह हर समय याद दिलाना पड़ता था कि
"मैं इस दुनिया का उद्धारकर्ता नहीं हूँकेवल परमेश्वर है"
मुझे दानिय्येल की कहानी बहुत पसंद है, उसेएक बहुत मुश्किल संस्कृति में डाल दिया गया था जिसमें काम कारण मुश्किल था फिर भी वह सबसे प्रभावशाली आदमी बना जिस के पास राजा का जबरदस्त अनुग्रह था |
वह उनके संस्कृति कोबदलने या उनके विश्वास प्रणाली को चुनौती देने की कोशिश नहीं कर रहा था |वह सिर्फ जो था उसके प्रति विश्वासयोग्यथा | उसे परमेश्वर से प्रेम था और उसका मनन और उसके परमेश्वर के साथ के संबंध ने उसके लिये परमेश्वर को नहीं जानने वाली संकृति में भी काम का दरवाजा खोल दिया | यहां तक कि दानिय्येल को शेर की मांद में फेंक दिया गया था और वहाँ भी उसने अनुग्रह पाया !
परिवर्तन हमेशा प्रेम का फल है।
यहाँ तक कि नहेम्याहने भी एक अप्रासंगिकसंस्कृति में अपने राजा से अनुग्रह प्राप्त किया था ।
अपने राजाओं की असहमति और राष्ट्र कैसे बदला जाए इन बातों की चिंता ना करते हुये, दोनों दानिय्येल और नहेम्याहने उनके राजाओं को सम्मानित और विश्वासयोग्यता से उनकी सेवा की | हमें संस्कृति के शिकार नहीं बनना चाहिए वरन उसके प्रभावकबनना चाहिए | हालांकि हम एक ऐसे संस्कृति में जीते है जिस के साथ काम करना मुश्किल है, हमें विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें उठाया है की हम सांस्कृतिकनिर्माणकर्ता बने !
शुरू करने के लिए, हमें हर संस्कृति केसुनेहरी बातों का पीछा करना चाहिए और हमे उसका सम्मान और उसके साथ काम करना सीखना चाहिए |
दानिय्येल और नहेम्याह के समान हमें अपने बुलावट के प्रति विश्वासयोग्य बने रहना चाहिए और हमेशा याद रखना चाहिए कि हम मसीह में कौन हैं। हम जो करते उस बात से नहीं लेकिन हम कौन हैंइस बात से संस्कृति बदल जाती है| जब लोग हमारी जीवन शैली को देखते हैं, उनकी संस्कृति निस्संदेह बदलना शुरू होती हैऔर इस तरह हम विश्व परिवर्तक बनते हैं |
जिस बात को आप अपना समझते है, उसही बात को आप बदल सकते है !
सक्रियण:
१ संस्कृति के बारे में शिकायत करने सेपश्चातापकीजिए, एक सांस्कृतिक शिकार होने से बचिए और विश्वास करना शुरू करे की आप एक सांस्कृतिकनिर्माता है |
२ परमेश्वर से मांगे की वो आप को आप की संस्कृति में सुनेहरीबातेदिखाए और काम करने का तरीका सिखाए जिस भी संकृति में आप डाले गए है |
३ दानिय्येल २ और नहेम्याह २: १-८ पड़े
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जाने की कैसे परमेश्वर ,संस्कृति ओर लोगों के “संग” मिलकर काम करना,परमेश्वर,संस्कृति ओर लोगों के लिये काम करने से बहुत बेहतर है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए आउटकास्ट इंडिया को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.instagram.com/outcast.in/