निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना
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जीवन बदल देने वाले वचन
मेरे पिता मरने के पहले रूस जाना चाहते थे. हम एक परिवार के रूप में वहाँ गए थे. उस समय वहाँ पर बाइबल ले जाना सख्ती से गैरकानूनी था. मैं अपने साथ कुछ रूसी भाषा में लिखी बाइबल ले गया. जब मैं वहाँ पर था तो मैं चर्चों में गया और मैंने उन लोगों की तलाश की जो सच में मसीही थे. (अक्सर चर्च की मीटिंग्स में केजीबी द्वारा गुसपैठ की जाती थी.)
एक अवसर पर, सभा के बाद रास्ते में एक आदमी ने मेरा पीछा किया. मैं उसके पास गया और उसकी पीठ पर थपथपाया. वहाँ कोई नहीं था. मैंने एक बाइबल निकाली और उसे दे दी. एक पल के लिए, उसकी अभिव्यक्ति लगभग अविश्वसनीय थी. तब उसने अपनी जेब से नये नियम की एक पुस्तक निकाली, जो कि लगभग 100 साल पुरानी थी. पन्ने इतने घिस गए थे कि वे पारदर्शी नजर आ रहे थे. जब उसने जाना कि उसे एक संपूर्ण बाइबल मिली है, तो वह प्रफुल्लित हो गया, उसने ना ही कुछ अंग्रेजी में कहा और ना ही रूसी भाषा में कहा. लेकिन हमने एक दूसरे को गले लगाया और वह रास्ते में खुशी के मारे कूदने लगा.
यह उसके लिए ऐसा था जैसे दाऊद के लिए भजनसंहिता, परमेश्वर का वचन शुद्ध सोने से भी कीमती है; ये मधु से भी मीठे हैं (भजन संहिता 19:10).
परमेश्वर के वचन इतने कीमती क्यों हैं? यीशु ने कहा है: ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा’ (मत्ती 4:4).
भजन संहिता 19:7-14
परमेश्वर के वचन को आपका जीवन बदलने दें
हमें अनेक तरीकों में परमेश्वर के वचन की परिवर्तित कर देने वाली सामर्थ की जरूरत है. चाहें आप तनावपूर्ण और जटिल परिस्थितियों में जब आप निराश हों तब आप बुद्धि और प्रोत्साहन की तलाश में हैं या आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन चाह रहे हैं, बाइबल के पन्नों में आप मदद पा सकते हैं.
दाऊद के पास उतनी बाइबल नहीं थी जितनी आपके पास हैं. लेकिन उसके पास 'प्रभु की व्यवस्था थी' (व.7अ), 'और प्रभु के नियम थे' (व.7ब), 'प्रभु के सिद्ध उपदेश थे' (व.8अ), और 'प्रभु का भय था' (व.9ब).
वह इन वचनों का उल्लेख 'सिद्ध' (व.7अ), 'पवित्र' (व.9अ), और 'मूल्यवान' (व.10अ). के रूप में करते हैं.
इस भजन में हम बाइबल पठन के जीवन-बदल देने वाले प्रभावों को देखते हैं. जो कि इस प्रकार हैं:
आपके प्राण को बहाल करता है (व.7अ).
आप में बुद्धि लाता है (व.7ब).
आपके हृदय को आनंदित करता है (व.8अ).
आपकी आंखों में ज्योति लाता है (व.8ब).
आपको खतरे की चेतावनी देता है (व.11अ).
आपको बड़ा प्रतिफल देता है (व.11ब).
बाइबल पढ़ना और प्रार्थना करना का बहुत करीबी संबंध है. सिर्फ जानकारी प्राप्त करने के लिए बाइबल मत पढ़िये, बल्कि यह सुनने के लिए कि परमेश्वर आप से क्या कह रहे हैं. इसके प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया ही प्रार्थना है. यह दो तरफा प्रक्रिया है. इसलिए हम इस बाइबल के हरएक भाग को प्रार्थना के साथ एक साल में समाप्त करने की कोशिश करते हैं, उस बारे में प्रतिक्रिया करते हुए जो परमेश्वर ने हमें अपने वचनों के द्वारा दिखाया है. दाऊद परमेश्वर के वचन के महत्व का गुणगान करते हुए अद्भुत प्रार्थना में जाते हैं. दाऊद की प्रार्थना मेरी प्रार्थना है (वव.12-14).
प्रभु, 'मेरे गुप्त पापों को क्षमा कीजिये. अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रखिये; ये मुझ पर प्रभुता न करने पाएं..... हे प्रभु, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार, मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान आपके सम्मुख ग्रहण योग्य हों.'
मत्ती 26:47-68
परमेश्वर के वचनों से मार्गदर्शित हों
यीशु ने स्पष्ट रूप से और सावधानी से वचनों का अध्ययन किया था. उनका पूरा जीवन उसी में ढला था जो उन्होंने पढ़ा था. यह पवित्र शास्त्र के उनके पठन से आता है और जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब वह समझ गए थे कि जो उनके साथ हो रहा है. उनके साथियों ने विरोध करने की कोशिश की लेकिन यीशु ने कहा, '...... परन्तु पवित्र शास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, क्योंकर पूरी होंगी?’ (व.54). वह भीड़ को समझाते हैं कि, '..... परन्तु यह सब इसलिये हुआ है, कि भविष्यद्वक्ताओं के वचन पूरे हों' (व.56).
यह वचन ही थे जिसने उन्हें विश्वासघात, परित्याग और गलत दोष से निपटने की क्षमता दी. उन्होंने उदाहरण स्थापित किया है कि आप अपने जीवन की इन परिस्थितियों से कैसे निपट सकते हैं.
विश्वासघात
यहूदा ने अपने प्यार का इजहार यीशु को चूमकर किया,
परित्याग
उनके सभी मित्र उन्हें 'छोड़कर भाग गए' (व.56ब). विजय के पलों में (जब लोग व्यस्त हो जाते हैं, उनके कोई बच्चा होता है या उन्होंने परीक्षा में अच्छा किया होता है) तो यह स्वाभाविक है कि वे उनके साथ संबंध बनाना और उनके आसपास रहना चाहते हैं. लेकिन विश्वासयोग्यता का मतलब लोगों को उस समय भी सहारा देना होता है जब वे परेशानी में होते हैं. ऐसे में क्या कहना है ज्यादा मुश्किल होता है और उनसे अलग होने की और वास्तव में उन्हें छोड़ देने की इच्छा भी होती है.
ऐसा कहा है, 'जब आप जीवन के चढ़ाव में होते हैं, तब आपके दोस्तों को पता चलता है कि आप कौन हैं. जब आप जीवन के उतार में होते हैं, तब आपको पता चलता है कि आपके दोस्त कौन हैं!'
गलत आरोप
क्या कभी आप पर गलत आरोप लगे हैं? यह काफी भयंकर अनुभव है. यीशु ने उनके विरोध में गलत गवाही पर भयंकर अन्याय का सामना किया जिसकी वजह से वे उन्हें जान से भी मार सकते थे (व.59).
उन पर असाधारण क्रूरता की गई. तब भी उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया (व.67) और उन्होंने बहस में न जीतने का फैसला किया बल्कि युद्ध जीतने का फैसला किया (अल्फा पर आयोजित किये गए छोटे समूह को याद करने के लिए!) उन्होंने वचन से जान लिया था कि इसका कोई उद्देश्य है और यह अंत में उन्हें महान विजय दिलाएगा.
खुद की पहचान और उनके मिशन के बारे में यीशु की स्पष्ट समझ उनके द्वारा किये गए परमेश्वर के वचन के अध्ययन से आई थी. महायाजक के सामने उनके फैसले के समय यीशु एक असहाय पीड़ित नजर आए, वास्तव में उन्होंने प्रगट किया कि वे एक नया मंदिर बनाने वाले (व.61), मसीहा (व.63), परमेश्वर के पुत्र (व.63), और मनुष्य के पुत्र हैं जो परमेश्वर के दाहिनी हाथ पर विराजमान होंगे (व.64). वास्तव में, सभी अधिकार और शक्ति के साथ वह एक असहाय शिकार है।
'मनुष्य का पुत्र' होने का संदर्भ वास्तव में दानियेल 7:13 से लिया गया उद्धरण है. यीशु समझ गए थे कि यह उनके ही बारे में एक मसीही वायदा है, जो उन पर आने वाली तकलीफों, उनके अनुमोदन को और उन्हें परमेश्वर द्वारा दिये गए अधिकार को दर्शाता है.
विडंबना यह है कि स्वयं न्यायधीश की परीक्षा हो रही थी. उनकी तरह, हम सभी को तय करना है कि हम यीशु के बारे में क्या सोचते हैं (मत्ती 26:66).
प्रभु, मुझे यीशु के आदर्शों का अनुसरण करने में मदद कीजिये कि मैं परमेश्वर के वचनों को पढ़ूँ और उन्हें अपने जीवन में लागू करूँ.
निर्गमन 6:13-8:32
परमेश्वर के वचन का पालन करें
मूसा और हारून ने परमेश्वर के वचनों को सुना और बिल्कुल वैसा ही किया जैसा कि परमेश्वर ने उन्हें करने के लिए कहा था (निर्गमन 7:6). उन्होंने परमेश्वर के वचन का पालन किया. दूसरी तरफ, इसके विपरीत, फिरौन ने लगातार उनकी आज्ञा को मानने से इंकार किया. उसने जिद में आकर परमेश्वर के वचन का उल्लंघन किया था.
इतिहास के इस मुकाम पर, शायद मूसा के पास परमेश्वर के लिखित वचन नहीं थे. लेकिन प्रभु ने मूसा से बात की. उसने बारबार परमेश्वर के वचन सुनें (6:13,28; 7:1,14,19; 8:5,16,20, इत्यादि) और परमेश्वर के निर्देशानुसार किया. परमेश्वर के वचन का मुख्य केन्द्र था, 'परमेश्वर के लोगों को जाने दे, कि वे मेरी उपासना करें' (उदाहरण के लिए 7:16; 8:1; 9:1,13; 10:3).
हमें अचंभित नहीं होना चाहिये कि 'जादूगर और तंत्र मंत्र करने वालों' (व.7:11, एएमपी) ने बिल्कुल वैसा ही चमत्कार कर दिखाया जैसा कि मूसा ने किया था (7:22;8:7). शैतान नकल करने वाला है. वह विनाशकारी चिन्ह प्रदर्शित करने में सक्षम है और बल्कि रचनात्मक चिन्ह भी प्रकट कर सकता है. हमेशा उसका उद्देश्य भरमाना ही है.
आज, परमेश्वर अक्सर पवित्र आत्मा के वरदान के द्वारा कार्य करते हैं जैसे भविष्यवाणी, चंगाई, अन्य भाषा में बोलना और ज्ञान की बातें. सच्चाई यह है कि शैतान भी दूरसंवेदन (टेलीपैथी), आत्मिक-उपचार (स्प्रिच्युलाइज्ड-हीलिंग), या अन्य भाषा बोलने के द्वारा इसकी नकल करने का प्रयास कर सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें इन चीजों को अनदेखा करना चाहिये – बल्कि हमें उनके बीच फर्क पता करना चाहिये.
हमें पवित्र आत्मा के फल की तरफ ध्यान देना चाहिये. 'तब मिस्र के जादूगरों ने भी अपने तंत्र-मंत्रो से वैसा ही किया; तौभी फिरौन का मन हठीला हो गया,’ (7:22). इन जादूगरों का प्रभाव निष्पक्ष नहीं था. ये शैतानी थे और इससे फिरौन का दिल परमेश्वर के विरूद्ध और भी कठोर हो गया.
इस पद्यांश से यह स्पष्ट हो गया है कि फिरौन ने अपना मन परमेश्वर के विरूद्ध कठोर कर लिया था, ' उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी ' (8:15, व. 32 भी देखें). उसी समय उसने वही काटा जो उसने बोया था. परमेश्वर ने उसका मन कठोर कर दिया (7:3). ये दोनों समपूरक हैं. फिरौन ने अपना मन कठोर किया था जिसके फलस्वरूप परमेश्वर ने उसका मन और भी कठोर कर दिया.
इस पद्यांश में हम देखते हैं कि परमेश्वर लोगों को कितने अवसर देते हैं. मूसा के द्वारा, परमेश्वर ने लगातार फिरौन से बात की. फिरौन के पास प्रतिक्रिया करने के लिए काफी अवसर थे लेकिन अंत में उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया. दूसरी तरफ मूसा, परमेश्वर के साथ घनिष्ठता से चलता रहा; अक्सर उनसे प्रार्थना करते हुए (8:12,30) और उनके वचनों को सुनते हुए.
प्रभु, मुझे नरम हृदय दीजिये जो आपके वचनों को सुनने के लिए और उनका पालन करने के लिए खुला रहे. आपका धन्यवाद कि उनका पालन करने से महान प्रतिफल मिलता है. मुझे आज मदद कीजिये कि मैं आपके जीवन बदल देने वाले वचनों को केवल सुनने वाला नहीं बल्कि उन्हें कार्य में लाने वाला बनूँ.
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
मत्ती 26:53
यह बड़े प्रोत्साहन की बात है कि यीशु के पास 'बारह से भी ज्यादा स्वर्गदूतों की पलटन थी'. हालाँकि यीशु ने उन्हें उस समय नहीं बुलाया लेकिन उम्मीद है कि अब वे हमारी मदद कर रहे हैं!
References
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में
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यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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अपने दिन Bible in One Year के साथ शुरू करें जो कि निकी और पिप्पा गंबेल की टिप्पणी के साथ लंदन के HTB चर्च से एक बाइबल पठन की योजना है।. हम इस योजना को प्रदान करने के लिए निकी और पिपा गंबेल, एचटीबी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://alpha.org