निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

आप आजाद हैं
स्टीव मॅकक्वीन की फिल्म ट्वेल्व यर्स ए स्लेव, सोलोमन नॉर्थअप की यादों पर आधारित है, जो न्यूयॉर्क राज्य में आजाद जन्में थे लेकिन सन् 1841 में वाशिंग्टन डीसी से इनका अपहरण करके इन्हें दास्तव में बेच दिया गया था और इन्हें लुइसियाना में बारह साल तक गुलाम बना कर रखा था. वे कपास और गन्ने की खेती में इतने लंबे समय तक के दहशत का वर्णन करते हैं.
अंत में, सन् 1853 में, उन्हें गुलामी से छुड़ाया गया और उन्हें अपने परिवार से फिर से मिला दिया गया. वह लिखते हैं, ‘उन्होंने मुझे गले लगाया और मेरे आँसू गाल से बहते हुए मेरी गर्दन तक पहुँच गए. लेकिन मैंने इस दृश्य पर परदा डाल दिया जिसकी कल्पना करना वर्णन करने से बेहतर है...... मेरी खुशियाँ और आजादी फिर से बहाल कर दी गई हैं.’
गुलामी बहुत बेकार है. आजादी आश्चर्यजनक है.
पुराने नियम में मूसा परमेश्वर के लोगों को आजादी दिलाने वाले व्यक्ति हैं. वह यीशु – सर्वोच्च मुक्तिदाता - का पूर्वाभास हैं. जैसे मूसा ने परमेश्वर के लोगों को गुलामी से आजाद किया, वैसे ही यीशु ने आपको पाप की गुलामी से मुक्त किया है.
‘मुक्ति’, शायद सबसे अच्छा सामयिक शब्द है जो बाइबल में ‘उद्धार’ के अर्थ को परिभाषित करता है. संपूर्ण बाइबल को ‘उद्धार का इतिहास’ के रूप में सारांशित किया जा सकता है. यह परमेश्वर की इच्छा और अपने लोगों को आजाद करने के उद्देश्य की कहानी है.
भजन संहिता 20:1-9
उस आजादी का आनंद उठाएं जो विश्वास से आती है
क्या आप परेशानी, कष्ट या मुश्किल के समय में हैं? दाऊद भी ऐसे समय में थे, जिसे आसन्न युद्ध की तरह संबंधित किया जा सकता है. उसने परमेश्वर से मदद के लिए विनती की. भजन की पहली पंक्ति परमेश्वर से निवेदन है कि ‘वह पवित्र स्थान से तेरी सहायता करे,’ (व.1अ) और भजन की अंतिम पंक्ति परमेश्वर से निवेदन है कि ‘जिस दिन हम पुकारें तो महाराजा हमें उत्तर दे’ (व.9ब). परमेश्वर प्रार्थना का उत्तर देते हैं.
जब आप ‘संकट के दिनों में’ रहते हैं, तो आप प्रार्थना में परमेश्वर को पुकार सकते हैं और आपको पुकारना चाहिये, उनसे यह मांगते हुए कि वह संघर्ष के बीच आपको मुक्ति और आजादी दें (वव.6-8). यह अति साहसिक आशीर्वाद का मामला नहीं है, बल्कि यह वास्तविक विश्वास है.
दाऊद परमेश्वर के उद्धार करने वाले पराक्रम – मुक्ति दिलाने वाली सामर्थ – सामर्थ को जान जाते हैं (व.6क). वह कहते हैं, ‘अब मैं जान गया कि यहोवा अपने अभिषिक्त का उद्धार करता ’ (व.6अ). वह छ: बातों के बारे में कहते हैं जिन्हें आप खुद के लिए, अपने परिवार, अपने दोस्तों और अपने समाज के लिए मांग सकते हैं:
रक्षा करें
‘प्रभु तेरी रक्षा करें’ (व.1). ‘प्रभु तुझे नुकसान की पहुँच से दूर रखें’ (व.1ब, एमएसजी).
मदद करें
' वह पवित्र स्थान से तेरी सहायता करे' (व.2अ).
संभाल लें
' सिय्योन से तुझे संभाल लें!' (व.2ब).
ग्रहण करें
‘स्मरण करें..... और ग्रहण करें’ (व.3).
सफल करें
' वह तेरे मन की इच्छा को पूरी करे, और तेरी सारी युक्ति को सफल करें! ' (व.4).
जय दें
‘जब तू विजयी हो, तो हम तेरे नाम के झंडे खड़े करें.... प्रभु तुझे मुंह मांगा वरदान दे्ं’ (व.5, एमएसजी).
सफलता, और जय रथों और घोड़ों पर भरोसा करने से नहीं आती (व.7अ). बल्कि, ये आपके विश्वास से आती है – ‘परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे। ’ (व.7ब).
प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपने मुझे मुक्ति दी है. आप जिस अद्भुत रीति से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं उसके लिए आपको धन्यवाद. प्रभु, आज मैं आपके सम्मुख अपनी योजनाओं को और अपने हृदय की इच्छाओं को लाता हूँ.....
मत्ती 26:69-27:10
आश्चर्य कीजिये कि आपकी आजादी कैसे हासिल की गई
यीशु सर्वोच्च मुक्तिदाता हैं. यीशु के जन्म लेने, मारे जाने और फिर से जी उठने के कारण उद्धार का इतिहास अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है. जब हम पराकाष्ठा पर पहुँचते हैं, तो हम यह झलक देखने पाते हैं कि यीशु को इसके लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी: उनके करीबी मित्रों ने उनका इंकार किया (26:69-75); उनके एक शिष्य ने उन्हें धोखा दिया (27:1-10); उन्हें रोमी अधिकारी को सौंपा गया (व.2) और उन्हें दोषी ठहराया गया (व.3अ). फिर भी मत्ती देखता है कि यह सब परमेश्वर की योजना को पूरा करने के लिए हुआ था (व.9).
यीशु गुलामी में ले जाया गया ताकि हम आजाद हो जाएं. उन्हें बांधा गया (व. 2) ताकि आप उन चीजों से मुक्त हो जाएं जो आपको बांधकर रखती हैं. यीशु आपको पाप, ग्लानि, शर्मिंदगी, व्यसन और डर से मुक्ति दिलाने के लिए आए.
इस पद्यांश में हम असफलता के दो उदाहरणों को देखते हैं. एक मामले में असफलता के लिए गलत प्रतिक्रिया की गई है. दूसरे उदाहरण में सही तरीके से.
क्या आपने कभी अपने मसीही जीवन को बिगाड़ा है? क्या आपने कभी असफलता महसूस की है और यह कि आपने बुरी तरह से प्रभु को शर्मिंदा किया है? क्या आप कभी इसके परिणाम स्वरूप ‘व्याकुलता से रोए’ हैं (26:75)? मैं निश्चित ही रोया हूँ.
यीशु के दो सबसे करीबी मित्रों ने उन्हें बुरी तरह से लज्जित किया था. दु:खद रूप से, हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी यीशु को शर्मिंदा किया है. ये दो उदाहरण हमें यह सीखने में मदद करते हैं कि हमें ऐसी असफलताओं और निराशा में कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिये.
यहूदा और पतरस में अनेक समानताएं हैं. दोनों ही यीशु के शिष्य थे. दोनों को ही कहा गया था कि वे उन्हें लज्जित नहीं करेंगे 24-25,34). दोनों ने ही अपने कार्यों के द्वारा पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा किया (26:31; 7:9). दोनों ने अपने कार्यों के लिए गहराई से अफसोस किया (27:5; 26:75).
फिर भी इन दोनों पुरूषों में महत्वपूर्ण फर्क है. पतरस ने असफलता के लिए सही प्रतिक्रिया की. जबकि यहूदा ने ऐसा नहीं किया. जैसा कि संत पौलुस लिखते हैं, 'क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है ' (2कुरिंथियों 7:10).
यहूदा ‘संसारी शोक’ का उदाहरण है. वह धार्मिक गुरू के पास गया और अपने पापों का अंगीकार किया, लेकिन उन्होंने उसे और ज्यादा अपराध बोध में डाल दिया (मत्ती 27:4). वह अफसोस से भर गया था लेकिन दु:खद रूप से वह परमेश्वर की दया और उनकी क्षमा नहीं पा सका.
दूसरी तरफ, पतरस ‘परमेश्वर भक्ति शोक’ का उदाहरण है.
पतरस डर गया होगा कि उसने यीशु का तीन बार इंकार किया. शायद, समझ में आने लायक ढंग से, उसने सोचा होगा कि उसे भी यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया जाएगा या शायद उसे इस बात पर संदेह होगा कि यीशु जिसका दावा करते थे वह सच में ऐसे हैं या नहीं. लेकिन मुर्गे की बांग ने उसके सारे संदेह को मिटा दिया होगा. इसने उसे व्याकुल कर दिया था: ‘ वह बाहर जाकर फूट फूट कर रोने लगा’ (26:75).
यह जान लेना कि हमने यीशु को शर्मिंदा किया है इससे बढ़कर कोई एहसास नहीं है. धन्यवाद कि यह पतरस के लिए कहानी का अंत नहीं है (यूहन्ना 21 देखें). ‘परमेश्वर भक्ति के शोक ने उसमें पश्चाताप उत्पन्न किया’और यीशु के साथ उसका संबंध फिर से बहाल हो गया. उसे अपने अपराध बोध और शर्मिंदगी से मुक्ति मिल गई और वह यीशु के चर्च का एक महान, पवित्र, सामर्थी और अभिषेकित अगुआ बना.
अपनी अतीत की गलतियों और पापों की वजह से आपको अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस करने की जरूरत नहीं है. यीशु ने जिन्हें आजाद किया है वे अवश्य ही आजाद हैं (यूहन्ना 8:36). आपने चाहें कितना भी बिगाड़ दिया है या असफलता पाई है, अब भी ज्यादा देरी नहीं हुई है. जैसे पतरस ने प्रतिक्रिया की थी वैसा ही आप भी करें और यीशु की सेवा में आपका भविष्य बहुत ही महान हो सकता है.
प्रभु, आपको धन्यवाद, आपको बांधा गया ताकि हम अपने पापों, अपराध बोध, शर्मिंदगी, व्यसन, डर और असफलताओं से मुक्त हो जाएं. मैं जब भी असफल हो जाऊँ, तो मुझे ‘परमेश्वर भक्ति का शोक करने में हमेशा मेरी मदद कीजिये जो पश्चाताप उत्पन्न करता है और कोई पछतावा नहीं छोड़ता.’
निर्गमन 9:1-10:29
अपनी आजादी का उपयोग परमेश्वर की आराधना करने के लिए करें
परमेश्वर की सेवा में हम संपूर्ण मुक्ति पाते हैं. आपको परमेश्वर की आराधना और सेवा करने के लिए रचा गया है. यह आपका उद्देश्य है.
पोप बेनिडिक्ट XVI (जब वह कार्डिनल रॅज़िंगर थे) ने लिखा है, ‘निर्गमन में दर्शाया गया एकमात्र लक्ष्य आराधना करना है... लोगों को वह देश सच्चे परमेश्वर की आराधना करने के लिए दिया गया था..... परमेश्वर की सच्ची आराधना करने की आजादी देने के लिए, जो फिरौन का सामना करते वक्त प्रतीत होते हैं, यह निर्गमन का एकमात्र उद्देश्य है, बिल्कुल, इसका यही सार है.’
एक बार फिर, इस्रालियों के इतिहास में, हम परमेश्वर की उद्धार की योजना का पूर्वाभास देखते हैं. हम मूसा के द्वारा उनके लोगों को आजाद करने की योजना देखते हैं. इन पंक्तियों द्वारा परमेश्वर मूसा से बार बार ये शब्द कहते हैं: ‘फिरोन के पास जा कर कह, कि इब्रियों का परमेश्वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि मेरी उपासना करें’ (9:1).
वह फिरौन को बहुत अवसर देते हैं. मूसा बार बार फिरौन से परमेश्वर के शब्दों को कहता है: ‘मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि मेरी उपासना करें’ (9:13;10:3,7). या जैसा कि मैसेज अनुवाद कहता है, ‘मेरे लोगों को आजाद कर दे कि वे मेरी आराधना करें.’
दुनिया हमारे ‘अच्छे कार्यों’ को देखती है लेकिन हमारी आराधना के महत्व को नहीं देखती. फिरौन उन पर आलसी होने और काम के बजाय आराधना को एक विकल्प मानने का आरोप लगाता है – वास्तव में इस पद्यांश में ‘आराधना’ का इब्रानी शब्द (‘अवाद’) है, जिसे आराधना और काम दोनों के रूप में अनुवादित किया जा सकता है.
परमेश्वर आपसे प्यार करते हैं और वह नहीं चाहते कि किसी का भी नाश हो, लेकिन हरएक को अपना मन फिराना है (2पतरस 3:9). एकमात्र तरीका जिससे हम नाश हो सकते हैं, वह है फिरौन के जैसे हम भी अपना मन कठोर कर लें और उन सभी चेतावनी संकेत को अनदेखा करें जो परमेश्वर हमारे मार्ग में डालते हैं. घमंड, फिरौन के पाप का मूल था. उसने जितना ज्यादा इंकार किया, उसे अपने मन को बदल पाना उतना ही मुश्किल हो गया था. गलत दिशा में जाने के बजाय अपनी गलतियों को मानने के लिए तैयार रहें.
परमेश्वर की इच्छा है कि वह अपने लोगों को आजाद करें ताकि वे पूरे जीवन भर उनकी आराधना कर सकें. वह आपको अपराध बोध, शर्म, पाप, व्यसन और डर से मुक्त करना चाहते हैं. वह आपको उनसे प्रेम करने, उनकी सेवा करने और उनकी आराधना करने के लिए मुक्त करना चाहते हैं.
प्रभु आपको धन्यवाद, आपने कहा है ‘यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे’ (यूहन्ना 8:36). मैं अपनी स्वतंत्रता का उपयोग आपकी आराधना और आपकी सेवा के लिए करूँग़ा.
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निर्गमन 9:20
‘इसलिये फिरौन के कर्मचारियों में से जो लोग यहोवा के वचन का भय मानते थे उन्होंने तो अपने सेवकों और पशुओं को घर में हाँक दिया’
लोगों का मन बहुत कठोर हो सकता है: चाहें उन्हें कितने भी चिन्ह दिखाए जाएं, कुछ लोग विश्वास नहीं करेंगे. लेकिन सबसे असंभव जगहों में भी कुछ लोग होते हैं जो परमेश्वर को प्रतिक्रिया दिखाते हैं.
References
नोट्स:
सोलोमन नॉर्थअप, ट्वेल्व यर्स ए स्लेव, (लंडन, सॅम्पसन लो, सन एंड कंपनी, 1853)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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