'बाइबल इन वन ईयर' 2022निकी गंबल के साथनमूना

'बाइबल इन वन ईयर' 2022निकी गंबल के साथ

दिन 358 का 365

आगे की ओर देखना

एक चार्ल्स डिकेंस के द्वारा एक क्रिसमस ईसाई गीत, एबनेंज़ेर स्क्रूज, एक दुखित, घटिया, और कंजूस बुज़ुर्ग व्यापारी थे जिसे उसका भूत, वर्तमान, तथा भविष्य काल दिखाया जाता है। वह पश्चाताप करता है और उदारता से देने की शरुआत करता है। डिकिन्स उसके चरित्र में इस परिवर्तन को देखता है, वह गिरजाघर गया और सड़क पर टहलने लगा उसने इस पर कभी सोचा भी नहीं था कि पैदल चलने से या किसी और चीज से उसे इतनी खुशी मिल पाएगी। पवित्र शास्त्र में ‘पश्चाताप’ एक बहुत ही सकारात्मक शब्द है । यूनानी भाषा में ‘मेटानोइया’, एक शब्द है जिसका अर्थ है, ‘मन बदलना’। इसका मतलब सबसे पहले तो यह है कि बुरी बातों से मन फिराएं। यही वे बातें हैं जो आपकी ज़िंदगी को बर्बाद करती हैं और आपके और परमेश्वर के बीच का संबंध टूट जाता है। पश्चाताप का मतलब इतना शर्मिन्दा होना है कि उस चीज़ को न दोहराया जाए। बुरी चीज़ों से छुटकारा पा कर ही आपके जीवन को उभारा जा सकता है। परन्तु यह तो सिर्फ पहला भाग है। हृदय और मन का परिवर्तन केवल यही नहीं कि हम बुरी बातों को छोड़ दें, पर यह भी है कि हम परमेश्वर की ओर मुड़ें और भलाई करें। ‘पश्चाताप’ शब्द खुद से बहुत कम नजर देता है, पवित्र शास्त्र में सच्चा पश्चाताप अपने फलों से जाना जाता है। पश्चाताप काफी नहीं है। हृदय, मन और जीवन में बदलाव भी अवश्यक है। पश्चाताप कीजिये और विश्वास कीजिये। पश्चाताप कीजिये और अपना विश्वास प्रभु यीशु मसीह पर रखिये। बात सिर्फ यह नहीं कि हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है परंतु आगे की ओर देख कर बढ़ना भी है।

भजन संहिता 147:1-11

पश्चाताप कीजिये और आनंद मनाइए

भजन सहिंता के 147वे अध्याय में नहेमयाह जब यरूशलेम में परमेश्वर के भवन का निर्माण कर रहा था ‘यरूशलेम को बसा रहा है, तो वह निकलकर कुछ इस्रालियों को इकठ्ठा किया‘ (व.2)। इसकी शुरूआत (जैसे हम नहेमयाह 1-2 में देखते हैं)। यह खुद की ओर से और लोगों की ओर से नहेमयाह के द्वारा सच्चा पश्चाताप था।

सच्चा पश्चाताप ‘टूटे ह्रदय’ से आरंभ होता है (भजन 147:3) अच्छी खबर यह है कि परमेश्वर टूटे हुए मनों को अच्छा करता है और उनके घावों पर मलहम लगाता है (व.3) (यशायाह 61:1 भी देखें)।

पश्चाताप में एक और बात शामिल होती है कि परमेश्वर के सामने अपने आप को नम्र बनाएं। ‘जबकि वह दुष्टों को भूमि पर रौंद देता है’ (भजन 147:6ब) परंतु नम्र लोगों को संभालता है (व. 6अ)। परन्तु परमेश्वर आप को वहाँ पर छोड़ते नहीं हैं। वह नहीं चाहते कि आप पश्चाताप के साथ पीछे मुड़कर देखें बल्कि आप आनंद से आगे की ओर देखें।

परमेश्वर की प्रसन्नता पुरुष के पैरों में नहीं होती (व. 10)। वह शारीरिक बल से प्रसन्न नहीं होते। और न ही उनकी प्रसन्नता घोड़ों के बल में है। हमारी मांस पेशियों का आकार उनकी नज़रों में बहुत छोटा जान पड़ता है (व. 10)। इसके बजाय ‘यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उनसे जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं’ (व.11)।

संपूर्ण भजन सहिंता परमेश्वर की स्तुति से भरा हुआ है यह सिर्फ प्रभु में आनंदित होने के बारे मैं नहीं समझाती जो कि मनभावना होता है। आराधना आनंद और संतुष्टि को लाती है यह उस अदूभुत परमेश्वर के प्रति सबसे सही प्रतिक्रिया है।

प्रभु, आज मैं केवल पश्चाताप नहीं करना चाहता, बल्कि आप में आनंदित भी होना चाहता हूँ। आपको धन्यवाद क्योंकि आपने वायदा किया है कि यदि मैं आपका भय मानूँ तो मुझे किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है।

प्रकाशित वाक्य 16:1-21

पश्चाताप और प्रतिक्रिया करिए

संपूर्ण पवित्र शास्त्र से यह सब से भयानक अध्याय हो सकता है जो परमेश्वर के अंतिम न्याय को दर्शाता है। इसमें हम अंतिम सात विपत्तियों को देखते हैं। (निर्गमन 7-10) यह सब एक अंतिम युद्ध में समाप्त होता है। इस आश्चर्य न्याय में चार बातें हैं जो आपको सांत्वना दे सकती हैं।

  1. यीशु वापस आने वाले हैं

जागते रहो। देखो मैं चोर के समान आता हूँ; धन्य है वह जो जागता रहता है; और अपने वस्त्र की चौकसी करता है कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगा पन न देखें (व.15)। आगे हम उन सारी आशीषों को देखेंगे जो प्रभु यीशु हमें नई सृष्टी में दिखाएंगे।

  1. यीशु ने आपका न्याय स्वंय अपने ऊपर लिया है

‘पूरा हुआ’ (व.17) यह वचन हमें बताता है कि अंतिम न्याय पूरा हो जाएगा, क्रूस पर कहा गया यीशु का वचन ‘पूरा हुआ’ (यूहन्ना 19:30) हमें यह याद दिलाता है कि यीशु ने हमारी खातिर क्रूस पर परमेश्वर का सारा क्रोध अपने ऊपर ले लिया। परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपने एकलौते पुत्र को भेजा, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए। परन्तु अनंत जीवन की सारी आशीषें प्राप्त करे।

  1. न्याय करने में देरी की जा रही है।

न्याय केवल उन लोगों पर आएगा जो ‘पश्चाताप करने और उनकी महिमा करने से इंकार करेंगे’ (प्रकाशितवाक्य 16:9)। फिरौन की तरह परमेश्वर उन्हें अनेक अवसर दे रहे हैं, “लेकिन उन्होंने किया उससे पश्चाताप करने से उन्होंने इंकार किया” (व.11)। परमेश्वर की इच्छा यह है कि सभी लोग पश्चाताप करें (2 पतरस 3:9)। वह कई अवसर दे रहे हैं। उनके न्याय के अंतर्गत केवल वही लोग आएंगे जिन्होंने मन फिराने से पूरी तरह इंकार कर दिया है।

  1. पूरी तरह से सच्चा न्याय होगा

बाइबल में इस तरह के लेखांश को लेकर कई लोग चिंतित हैं। मगर परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से सच्चा और न्यायपूर्ण होगा। जैसाकि एचटीबी के पूर्व पादरी जॉन कॉलिन्स हमेशा कहते हैं, “उस दिन हम कहेंगे, ‘कि यह पूरी तरह से सही है।”

यीशु के दोबारा आगमन की आशा कीजिये। अपना जीवन सही कीजिये। इस बात का ध्यान रखिए कि आपके हृदय में पश्चाताप के प्रति कोई इंकार न हो। इन चेतावनियों के प्रति सही तरह से प्रतिक्रिया करें और ऐसा करने के लिए दूसरों की भी मदद करें।

प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपने क्रूस पर मेरे पापों को ले लिया ताकि मुझे यहाँ पर उल्लेखित किसी भी दंड का सामना कभी न करना पड़े। आपको धन्यवाद कि आप वापस आने वाले हैं और यह कि आप सबकुछ सही कर देंगे। मैं जो कुछ भी करूँ उससे आपको महिमा मिले।

नहेमायाह 1:1-2:20

पश्चाताप करें और फिर से बनाएं

नहेम्याह की परिस्थिति हमसे कुछ अलग नहीं थी। इस देश में कलीसिया बड़े संकट और बदनामी में थी (1:3)। यह एक उजाड़ और काँटों से भरी हुई परिस्थिति जान पड़ती है।

445 ईसा पूर्व, नहेम्याह भी इस बात से शर्मसार था कि परमेश्वर के नाम का सम्मान नहीं हो रहा है। परमेश्वर के लोग बुरे हाल में थे और वे बड़ी दुर्दशा में पड़े थे क्योंकि यरुशलेम की शहरपनाह टूटी हुई थी और उस के फाटक जले हुए थे’ (व.3)।

नहेम्याह फारसी शासन काल के दौरान एक सरकारी कर्मचारी था जो एक ऊँची पदवी पर नियुक्त था। वह तो राजा का पियाऊ था (व.11)। यह महत्वपूर्ण कार्य था कि वह राजा के प्याले को चखे और राजमहल की निगरानी करें।

नहेम्याह की प्रतिक्रिया हमारे लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है। वह एक क्रियाशील मनुष्य था, परन्तु उसने प्रार्थना से आरंभ किया। उसकी प्रतिक्रिया गिडगिडाना, विलाप कारना, उपवास करना और प्रार्थना करना था (व.4) । उसकी प्रार्थना परमेश्वर को अपना प्रेम याद दिलाते हुए आरंभ होती है (व.5)। वह अपना और अपने लोगों के पापों का पश्चाताप करता रहता था। मैं इस्रालियों के पापों को जो हम लोगों ने तेरे विरुद्ध किए हैं, मान लेता हूँ (व 6ब)।

वह अपनी प्रार्थना यह कहते हुए समाप्त करता है कि परमेश्वर उसे सफलता दें (व.11) और कई बार ऐसा होता है उसकी प्रार्थना का जवाब उसी कार्य में रहता है जो वह करने जा रहा था। उसने मुसीबत को देखा और सामना किया। उसने अपना भविष्य खतरे, संघर्ष और बलिदान देने वाले जीवन के रूप में दे दिया। ऐसा करने से वह स्वंय ही अपनी प्रार्थना का उत्तर बन जाता है।

अर्तक्षत्र ने नहेम्याह की उदासी देखी और उससे पूछा “कि तू क्या मांगता है?” (व.4) फिर से नहेम्याह की तीर जैसी प्रार्थना (मेरी श्वास के भीतर की प्रार्थना) (व.4) यह एक अच्छा उदाहरण है। ऐसी किसी भी परिस्थिति में जब आप को लगे कि आपके पास बस एक ही क्षण है निर्णय लेने के लिए, तो यह प्रार्थना करें: ‘ तब मैंने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना की और राजा से कहा’ (व.4-5) उसने अपनी गंभीर रूप से की जाने वाली प्रार्थना की थी अब उसे सिर्फ सिर उठाकर एक झलक देखना था।

उसकी माँग को पूरा किया गया और उसे यह अनुमति मिली कि यरूशलेम जाकर मंदिर का निर्माण करे (व.8) । पहले उसने दीवारों की गुप्त रीति से जांच की फिर लोगों को इकठ्ठा किया और अपनी योजनाओं का एलान किया। उसने अपनी प्रार्थना के साथ-साथ कार्य भी किया (व.11-18) ।

इन सभी कार्यों में नहेम्याह ने परमेश्वर को लगातार याद किया और स्मरण किया कि वह परमेश्वर ऐसे हैं जिसने उसे यह कार्य करने के लिए प्रेरित किया है, ‘क्योंकि उस परमेश्वर का अनुग्रहकारी हाथ मुझ पर था कि राजा ने मेरी विनती स्वीकार की’ (व.8 और व.12-18) यह बहुत ही सरल बात है कि हम किसी चीज़ के लिए प्रार्थना तो करें पर जब सारी शुरुआत अच्छी हो गई हो तो उसे स्मरण करना भूल जाएँ। परन्तु नहेम्याह इस वक्त परमेश्वर के ऊपर अपनी निर्भरता को लेकर और बहुत ही फुर्ती से सारा आदर परमेश्वर को देने में सक्रीय था।

परमेश्वर पर भरोसा रखिए कि वह आप को हिम्मत दें अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए तब भी जब आप मुसीबत का सामना कर रहे हों। हर अच्छे और बुरे समय में नहेम्याह ने परमेश्वर की ओर देखा: ‘स्वर्ग का परमेश्वर हमारा काम सफल करेगा; इसलिए हम उसके दास कमर बांधकर बनाएँगें।‘ (व.20) रुकावटों को अनुमति न दें कि वह परमेश्वर द्वारा दिए गए कार्य को रोकें। परमेश्वर पर भरोसा रखें और कार्य में लग जाएँ। परमेश्वर की ओर आगे बढ़ कर देखें कि वह आपको सफलता की सीढ़ी तक कैसे पहुंचाते हैं।

प्रभु आप हमें निर्माण करने के लिए बुलाइये। हमें सफलता दीजिये। तेरी कलीसिया विनाश में जी रही है। दीवारें टूट चुकी हैं। ऐसा हो कि इस देश की कलीसियाएं उठ खड़ी हों और कहें ‘आओ हम निर्माण करें ....... स्वर्ग के परमेश्वर

Pippa Adds

नहेम्याह 2:2

जब उसे अवसर मिला तब नहेयाह ने यह स्वीकार किया, हालांकि वह बहुत घबराया हुआ था। सही बात को बोलने के लिए हिम्मत की अवश्यकता होती है। बात ऐसी नहीं कि नहेम्याह को डर नहीं लगा, पर उसके डर के बावजूद भी उसने आवाज़ उठाने की हिम्मत की।

References

चार्ल्स डिकम्स, ए क्रिसमस कॅरल एंड अदर क्रिसमस बुक्स (ऑक्सफर्ड युनिवर्सिटी प्रेस, 1988), पन्ना 88 जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है। जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। ([www.Lockman.org](http://www.Lockman.org)) जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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