सच्चा प्यार क्या है?नमूना
प्रेम मुड़/घूम जाता है
संत अगस्टिन के साथ हम कह सकते हैं कि प्रेम परम है। परंतु अगस्टिन के साथ ही इस बात पर इशारा कर सकते हैं की जो अच्छाई परमेश्वर देते हैं वह भी विकृत की जा सकती है, अर्थात यही बुराई को परिभाषित करता है। इसलिए प्रेम भी तोड़ मरोड़ कर स्वयं पर केंद्रित हो सकता है। पापी होने के कारण हम स्वभाव से ही अपने ऊपर ज्यादा केंद्रित होते हैं और हम एक आत्म-केंद्रित संसार में जी रहे हैं। जब तक हम आत्म-केंद्रित हैं, हम उनके प्रेम से चूक सकते हैं।
हम डर या घमंड या अविश्वास के कारण, उन बातों से कभी भी चूकना नहीं चाहते जो हमारे सामने नजर आती हैं। हम जीवन के सभी अंतराल में से गुजरना नहीं चाहते, की अंत में पहुंचकर इस बात का एहसास हो कि हम निशाने से चूक गए हैं।
एक कहावत, जो सदियों से कई भिन्नताओं के साथ, हमें धीरे-धीरे चेतावनी देती है उन कमजोर प्रतीत होने वाली चूको का जिनके गंभीर और अनदेखे परिणाम हो सकते हैं ।
एक कील की जरूरत में, जूता खो गया,
एक जूते की जरूरत में, घोड़ा खो गया,
एक घोड़े की जरूरत में, घुड़सवार खो गया,
घुड़सवार की जरूरत में, संदेशा खो गया
संदेशे की जरूरत में, लड़ाई हार गए,
लड़ाई की जरूरत में, युद्ध हार गए,
युद्ध की जरूरत में, राज्य हार गए,
एक कील की जरूरत में, संसार हार गए।
हम बचाए गए होंगे, परन्तु स्वर्ग प्रवेश करने पर ही यह पता लगेगा कि हम धरती पर परमेश्वर के प्रेम की पूर्णता का आनंद नहीं उठा पाए। एमी कारमाइकल ने बताया कि: "नॉरविच की जूलियन (१३०० सदी) में यूं लिखती हैं: 'यह परमेश्वर की इच्छा है कि हम उनके दिये गए आराम को अत्यधिक मात्रा और बलपूर्वक रूप से लें, और साथ ही वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों को हल्के से हल्का लेते हुए, उन्हें न के बराबर कर दें। निश्चय ही, "आनन्द भोर को आएगा"।'"
सैमुएल रुथरफोर्ड ३०० वर्ष पश्चात लिखते हैं, "मैं मसीह के प्रेम के मार्ग को नहीं समझ पाया। यदि समझ पाता कि उसने मेरे लिए क्या रखा है, तो मैं कभी ऐसे बुझे-दिल का न होता।"
क्या आप इन पुराने सन्तों से सम्बंध बना सकते हैं? अक्सर हमें इस प्रेम को पूरी तरह से प्राप्त करना मुश्किल लगता है, अयोग्य, अनावश्यक, या अस्वीकार्य महसूस होने के कारण। हमारी आत्मा में हमें गहराई से आभास होता है कि कहीं हम उस निशाने से चूक तो नहीं रहे हैं। यदि हम निशाने से चूक गए तो हम बहुतायत की आशीषों और अवसरों को खो सकते हैं जो उसने हमारे लिए अभी और भविष्य के लिए रखी है।
संत अगस्टिन के साथ हम कह सकते हैं कि प्रेम परम है। परंतु अगस्टिन के साथ ही इस बात पर इशारा कर सकते हैं की जो अच्छाई परमेश्वर देते हैं वह भी विकृत की जा सकती है, अर्थात यही बुराई को परिभाषित करता है। इसलिए प्रेम भी तोड़ मरोड़ कर स्वयं पर केंद्रित हो सकता है। पापी होने के कारण हम स्वभाव से ही अपने ऊपर ज्यादा केंद्रित होते हैं और हम एक आत्म-केंद्रित संसार में जी रहे हैं। जब तक हम आत्म-केंद्रित हैं, हम उनके प्रेम से चूक सकते हैं।
हम डर या घमंड या अविश्वास के कारण, उन बातों से कभी भी चूकना नहीं चाहते जो हमारे सामने नजर आती हैं। हम जीवन के सभी अंतराल में से गुजरना नहीं चाहते, की अंत में पहुंचकर इस बात का एहसास हो कि हम निशाने से चूक गए हैं।
एक कहावत, जो सदियों से कई भिन्नताओं के साथ, हमें धीरे-धीरे चेतावनी देती है उन कमजोर प्रतीत होने वाली चूको का जिनके गंभीर और अनदेखे परिणाम हो सकते हैं ।
एक कील की जरूरत में, जूता खो गया,
एक जूते की जरूरत में, घोड़ा खो गया,
एक घोड़े की जरूरत में, घुड़सवार खो गया,
घुड़सवार की जरूरत में, संदेशा खो गया
संदेशे की जरूरत में, लड़ाई हार गए,
लड़ाई की जरूरत में, युद्ध हार गए,
युद्ध की जरूरत में, राज्य हार गए,
एक कील की जरूरत में, संसार हार गए।
हम बचाए गए होंगे, परन्तु स्वर्ग प्रवेश करने पर ही यह पता लगेगा कि हम धरती पर परमेश्वर के प्रेम की पूर्णता का आनंद नहीं उठा पाए। एमी कारमाइकल ने बताया कि: "नॉरविच की जूलियन (१३०० सदी) में यूं लिखती हैं: 'यह परमेश्वर की इच्छा है कि हम उनके दिये गए आराम को अत्यधिक मात्रा और बलपूर्वक रूप से लें, और साथ ही वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों को हल्के से हल्का लेते हुए, उन्हें न के बराबर कर दें। निश्चय ही, "आनन्द भोर को आएगा"।'"
सैमुएल रुथरफोर्ड ३०० वर्ष पश्चात लिखते हैं, "मैं मसीह के प्रेम के मार्ग को नहीं समझ पाया। यदि समझ पाता कि उसने मेरे लिए क्या रखा है, तो मैं कभी ऐसे बुझे-दिल का न होता।"
क्या आप इन पुराने सन्तों से सम्बंध बना सकते हैं? अक्सर हमें इस प्रेम को पूरी तरह से प्राप्त करना मुश्किल लगता है, अयोग्य, अनावश्यक, या अस्वीकार्य महसूस होने के कारण। हमारी आत्मा में हमें गहराई से आभास होता है कि कहीं हम उस निशाने से चूक तो नहीं रहे हैं। यदि हम निशाने से चूक गए तो हम बहुतायत की आशीषों और अवसरों को खो सकते हैं जो उसने हमारे लिए अभी और भविष्य के लिए रखी है।
इस योजना के बारें में
सब जानना चाहतें हैं कि वास्तव में प्रेम क्या है। लेकिन बाइबिल प्रेम के विषय में क्या बताती है, कुछ लोग ही इस बात को जानते हैं। प्रेम, बाइबिल के मुख्य विषयों में से एक तथा मसीह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सदगुण है। थीस्लबेण्ड मिनिस्ट्रीज़ की ओर से यह पठन योजना, बाइबिल आधारित प्रेम के मायने तथा परमेश्वर और सब लोगों से कैसे बेहतर तरीके से प्रेम करें, इन बातों की खोज करती है।
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यह योजना हमें उपलब्ध कराने के लिए हम थिसलबेंड मिनिस्ट्री का शुक्रिया अदा करते हैं ! अधिक जानकारी के लिए कृप्या देखे: www.thistlebendministries.org