बाइबल एक वर्ष में 2023 की योजना निकी और पिप्पा गम्बेल के विचारों के साथनमूना
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अपनी क्षमता को कैसे परिपूर्ण करें
जीवन में, बहुत से लोग अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुँच पाते हैं। हरदिन बदलते रहने के बजाय हमें पुराने तौर - तरीकों में बने रहना आसान लगता है। फिर भी, परमेश्वर ने हमें अपनी पूरी क्षमता तक जीने के लिए इच्छाएँ प्रदान की हैं। शायद आपको यह प्रसिद्ध जीवनी याद होगी: ‘सौलोमन ग्रांडे... सोमवार को जन्मे... मंगलवार को नामकरण... बुधवार को विवाह... गुरुवार को बीमार पड़े... शुक्रवार को और ज़्यादा बीमार पड़े... शनिवार को मृत्यु... रविवार को गाड़े गए... और यह सॉलोमन ग्रांडे का अंत था। कुछ लोगों के लिए यह केवल उनके जीवन को बयान करता है। और फिर भी वास्तव में हम यह महसूस करते हैं, कि ‘जीवन में और भी कुछ होना चाहिये’। यीशु कहते हैं, वास्तव में, ‘हाँ, ऐसा होता है!’ प्रत्येक मनुष्य की क्षमता अद्भुत है। यीशु चाहते हैं कि आप उच्च - कोटि का फलदायी जीवन बिताएं। यीशु चाहते हैं कि जो बोया गया था उसका आप — तीस गुना, साठ गुना, “सौ गुना फल लायें (मत्ती 13:8)। यहाँ सबसे कम तीस गुना है। यह यीशु के साथ आपके संबंधों की कुंजी है — यह संबंध ऐसा है जैसे एक भाई या बहन या माँ के साथ होता है (मत्ती 12:50)। आप वास्तविक उद्देश्य का जीवन जी सकते हैं, क्योंकि जो आपने स्वीकार किया है उससे संसार में अंतर पड़ेगा (13:11,12,16)। यह अपनी क्षमता को महत्तवाकांक्षा से या सफलता द्वारा संचालित करने के बारे में नहीं है; बल्कि परमेश्वर में आप कौन हैं, यह पहचानना ज़रूरी है। जब आप परमेश्वर की खोज करते हैं और उनके उद्देश्य के अनुसार जीवन बिताते हैं, तब आप बहुत फल लाते हैं। जितना ज़्यादा आप परमेश्वर की दी हुई क्षमता को पूरा करने का आरंभ करेंगे, वह आपको उतना ही ज़्यादा क्षमता देंगे। वे चाहते हैं कि आप बहुतायत का जीवन बिताएं (पद - 12)। इस्राएल की क्षमता बहुत ही अद्भुत थी (उत्पत्ति 35:11)। परमेश्वर चाहते थे कि इस्राएल न केवल आशीषित हो, बल्कि अन्य राष्ट्रों के लिए भी आशीष का कारण बने। पुराने नियम में आपने जितना पढ़ा है, उससे कहीं ज़्यादा आपके पास अद्भुत आशीषों से भरा जीवन जीने के लिए अवसर है। यीशु कहते हैं, कि ‘धन्य हैं तुम्हारी आँखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं। क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ कि बहुत से भविष्यवक्ताओं ने और धर्मियों ने चाहा कि जो बातें तुम देखते हो, देखें पर न देखीं; और जो बातें तुम सुनते हो, सुनें, पर न सुनीं (मत्ती 13:16,17)। यीशु चेतावनी देते हुए कहते हैं कि हम सब के अंदर अद्भुत क्षमता है, परंतु साथ ही आगे कठिनाइयाँ भी हैं। कठिनाइयों को नज़रंदाज़ करते हुए आप अपनी क्षमता को कैसे पूरा करेंगे?भजन संहिता 10:1-11
1. नम्रता को बढ़ावा दें
अपनी पुस्तक, “फाइंडिंग हैपिनेस: मोनेस्टिक स्टेप्स फोर ए फुलफिलिग लाइफ”, में ऐबोट क्रिस्टोफर जैमिंसन, घमंड को ‘आत्म महत्व’ के रूप में परिभाषित करते हैं। वे लिखते हैं कि ‘नम्रता हमारे वास्तविक जीवन में उचित दृष्टिकोण है और वे यह भी मानते हैं कि हम अन्य लोगों की तुलना में ज़्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं हैं।
इस भजन संहिता में भजनकार एक यात्रा का अनुभव करते हुए कहते हैं कि, ‘परमेश्वर संकट के समय में... बहुत दूर रहते हैं’ (पद - 1 से आगे) यह वास्तविकता का बोध कराता है (जिसके विषय में हम कल पढ़ेंगे) कि परमेश्वर निश्चित ही ऐसा करते हैं ‘संकट और दु:ख देखना’, ‘पीड़ित की पुकार सुनना’ और ‘अनाथ और दलितों’ का बचाव करना’ (पद - 14 से आगे)।
वास्तव में, ये ‘दुष्ट’ हैं, (पद - 2) जो खुद से दूरी बनाने का प्रयास करते हैं — ‘प्रभु की व्यवस्था उनके द्वारा अस्वीकार कर दी गई’ (पद - 5) वे सोचते हैं कि वे दूसरों से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं — खासकर के गरीब लोग, जिन्हें वे ‘अपने जाल में फाँसते हैं और कुचलते हैं’ (पद - 9-10 अ और ब)। यह वचन हमें ‘अभिमान’ की कठिनाइयों के विषय में बताता है (पद - 4)।
जब सब कुछ अच्छा होता रहता है, तो यह हमें प्रलोभन में डालता है कि ‘मुझे कोई दुर्बल नहीं कर सकता... मुझे कोई भी हानि नहीं पहुँचा सकता’ (पद - 6)। हम प्रलोभन में यह अनुभव करते हैं कि हमें परमेश्वर की कोई भी आवश्यकता नहीं है: ‘इसी अभिमान में दीन व्यक्ति परमेश्वर को नहीं खोजता; उसके विचारों में परमेश्वर के लिए कोई स्थान नहीं होता’ (पद - 4)। अभिमानी और डींगमार (पद - 3) बनना आसान है। भजन संहिता हमें इसी बारे में सावधान करती है, और स्मरण कराती है कि हमें परमेश्वर की आवश्यकता है।
प्रभु, मुझे अभिमान, घमंड और स्वयं को महत्त्व देने से बचाए रखें। यह स्मरण करते हुए कि मुझे आपकी आवश्यकता है, और आप मुझे कभी नहीं भूलेंगे जिससे मैं अपने पूरे मन से आपकी खोज कर सकूँ।
मत्ती 12:46-13:17
2. घनिष्ठता का प्रयास करें
कुछ भयानक धर्मों ने यीशु के शब्दों को तोड़ - मरोड़ दिया (मत्ती 12:50) और यह सिखाने के लिए कि मसीही बनना यानि अपने परिवार के साथ सारे रिश्तेदारों की सेवा करना। यह न केवल खतरनाक है, बल्कि बाइबल के विरुद्ध भी है। बाइबल में पाँचवी आज्ञा यह है कि ‘तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना’ (निर्गमन 20:12)। नए नियम में हमें यह कहा गया है, कि ‘यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिंता न करें, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है (1 तिमुथियस 5:8)।
फिर भी, यहाँ पर यीशु बताते हैं कि अपने परिवार के साथ संबंधों से बढ़कर कुछ और भी महत्त्वपूर्ण है। यीशु के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना ही आपकी उच्चतम बुलाहट, जो कि ‘पिता की इच्छा को पूरी करना है’ (मत्ती 12:50)।
यीशु कहते हैं, ‘क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले वही मेरा भाई और बहन और माता है’ (पद - 50)। उनके शब्द घनिष्ठता, दृढ़ता और स्वीकार करने के विषय में बात करते हैं — यानि सबसे गहरे स्तर का संबंध। यीशु के साथ यह आश्चर्यजनक नज़दीकी आपके साथ भी हो सकती है। प्रतिदिन उनके समीप बने रहें और आप अपनी क्षमता को परिपूर्ण कर पाएंगे।
3. अपने जड़ों को मज़बूत करें
आत्मिक अनुभवों की श्रेष्ठता बहुत महत्त्वपूर्ण है, लेकिन यदि वे आत्मिक जड़ों से जुड़े नहीं हैं तो सतहीपन का खतरा बहुत ज़्यादा है; जो आपको नीचे की ओर ले जाएगा। इन कठिनाइयों के बारे में सावधान रहें। हम उचित चीज़ें करते हैं तब भी हम अपने मन में गिर सकते हैं।
यीशु उस बीज के विषय में कहते हैं, जो पत्थरीली भूमि पर गिरा। वे जल्दी उग आए, परंतु गहरी जड़ न होने के कारण सूख गए (13:6)। बाद में वे उसका अर्थ समझाते हैं, कि जिस व्यक्ति की जड़ें मज़बूत नहीं हैं, वे बहुत ही थोड़े समय के लिए रहते हैं, क्योंकि वे संकट या उपद्रव के कारण गिर जाते हैं (पद - 21)।
आपकी आत्मिक जड़ें आपके जीवन का हिस्सा हैं; जिसे कोई नहीं देख सकता — परमेश्वर के साथ आपका व्यक्तिगत जीवन। इसमें आपकी प्रार्थनाएँ, आपका देना और आपका विचारशील जीवन शामिल है। यदि आप अपनी क्षमता को पूरा करना चाहते हैं, तो आपको परमेएश्वर के साथ संबंधों में गहरी, सामर्थी और स्वस्थ जड़ों को विकसित करना होगा।
4. अपने मन की रक्षा कीजिये
जीवन की भाग-दौड़ से लोगों का ध्यान भटकना बहुत ही आसान है। आप अपने जीवन को कई प्रकार से भर सकते हैं। परमेश्वर, तथा कलीसिया के लिए समय निकालकर आप अपनी आत्मिक जड़ों को और भी तरीकों से विकसित कर सकते हैं। फिर एक बार, यह हमारे लिए भयानक है।
यीशु कटीली झाड़ियों के बारे में हमें सावधान करते हैं, कि वे पौधों को दबाते हैं (पद - 7)। बाद में उसे विस्तार से बताते हैं कि काँटे ‘संसार की चिंता’ और ‘धन का धोखा’ को दर्शाते हैं (पद - 22)।
पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मुझे यीशु के साथ व्यक्तिगत संबंध के लिए बुलाया है। मेरी सहायता कीजिए कि मैं अपनी जड़ों को और गहराई में ले जा सकूँ और मेरी आँखें आप पर केंद्रित कर सकूँ। मेरी सहायता कीजिए कि मैं इस संबंध का ध्यान रखूँ और उन बातों को जो मेरे जीवन को चारों तरफ से घेरकर दबाती हैं, अनुमति न दूँ, फिर चाहें वे कितनी भी अच्छी क्यों न हों।
उत्पत्ति 34:1-35:29
5. स्वयं को पवित्र करें
इस पथ में हम भयानक, तीव्र बदले के विषय में चेतावनी पढ़ते हैं (करिनथियों 10:11 देखें)। एक डरावना अपराध (दीना के साथ कुकर्म, उत्पत्ति 34:2) दूसरे अपराध की ओर ले जाता है। जिसका कठोर दंड संतुलित नहीं था। परमेश्वर के लोगों ने पहले से अशंकित शहर पर आक्रमण किया और प्रत्येक पुरुष को मार दिया... यहाँ तक कि उनके बाल - बच्चों और स्त्रियों को ले गए (पद - 25-29)।
यह परिणाम बहुत ही भयानक था। याकूब ने कहा, ‘तुम लोगों ने उस देश के निवासियों के मन में घृणा उत्पन्न कराई है, और मुझे संकट में डाला है क्योंकि मेरे साथ थोड़े ही लोग हैं, अब वे इकट्ठे होकर मुझपर चढ़ाई करेंगे और मुझे मार डालेंगे, मैं अपने घराने समेत नष्ट हो जाऊँगा’ (पद - 30)। हिंसा, उग्रता और कठोरता का व्यवहार करने के लिए शिमौन और लेवी प्राणदंड के योग्य हैं (49:5-7 देखें)।
बदला लेना केवल शिमौन और लेवी के लिए मुश्किल ही नहीं था, बल्कि यह एक बार फिर हम सबके लिए प्रलोभन है। जब मैं अप्रसन्न होता हूँ, तो मुझे बदला चाहिए। पुराने नियम में, दंड को संतुलित रखा गया— ‘प्राण के बदले प्राण’, ‘आँख के बदले आँख’, ‘दाँत के बदले दाँत’, और इसी प्रकार आगे भी (निर्गमन 21:23-24)। यीशु (अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा यह संभव करते हैं) आज आपके संबंधों के लिए उच्च - कोटि का स्तर निर्धारित करते हैं। अपने शत्रुओं से प्रेम करो, और उन्हें क्षमा करो।
जॉयस मेयर, जो अक्सर उनके बचपन में हुए शोषण के विषय में कहती हैं, वे लिखती हैं, कि ‘क्या आप दीना की तरह निर्दोष और पीड़ित हैं? मैं आपको आश्वासन देती हूँ कि जीवन की बुरी परिस्थितियों में भी, परमेश्वर हमें क्षमा करने के लिए अनुग्रह देते हैं, जिससे हम जीवन में आगे बढ़ें’।
याकूब ने अपने घराने से कहा, ‘तुम्हारे बीच में जो पराये देवता हैं, उन्हें निकाल फेंको; और अपने को शुद्ध करो’ (उत्पत्ति 35:2)। परमेश्वर ने याकूब को दर्शन दिया (उसका नाम इस्राएल रखा, पद - 10) और कहा, ‘मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर हूँ; तू फूले - फले और बढ़े और तुझ से एक जाति वरन जातियों की एक मंडली भी उत्पन्न होगी’ (पद - 11)।
परमेश्वर की सामर्थ्य महान है। जैसा कि रिक वॉरेन कहते हैं, ‘सेवकाई में, निजी पवित्रता सार्वजनिक सामर्थ्य का स्रोत है।’ यह हम सभी के लिए सत्य है, फिर चाहें हम इसका उपयोग अपने परिवार में, काम के क्षेत्र में, समाज में या कलीसिया में करें। यदि हम चाहते हैं कि जगत में मसीह के लिए हम प्रभावशाली हों, तो हमें पवित्र रहने की ज़रूरत है।
प्रभु, मैं धन्यवाद करता हूँ कि मेरे जीवन के लिए परमेश्वर आपकी क्षमता विशाल है। धन्यवाद करता हूँ कि आप चाहते हैं कि मैं सच्चे उद्देश्य के साथ उच्च फलदायी जीवन बिताऊँ जो संसार में बदलाव लाएगा। सारी मुश्किलों को अनदेखा करते हुए मेरी क्षमता को परिपूर्ण करने में मेरी सहायता कीजिए, जिससे मैं तीस गुना, साठ गुना, और सौ गुना फल लाऊँ।
Pippa Adds
'संकट के समय में क्यों छिपा रहता है?' (भजन संहिता 10:1)। अक्सर लगता है कि परमेश्वर दूर खड़े हैं और ऐसा नहीं कि वहाँ पर संकट पूर्ण बातें नहीं हो रही हैं। फिर भी उत्पत्ति 35:3 में याकूब कहता है, ‘प्रभु, जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उस में मेरे संग रहा।’ हालाँकि कभी - कभी हमें लगता है कि वह नहीं हैं, पर वे हैं। हम जहाँ कहीं भी थे, वे हमारे संग थे।
References
नोट्स: अबॉट क्रिस्टोफर जॅमिसन, फाइंडिंग हैपिनेस: मोनॅस्टिक स्टेप्स फोर ए फुलफुलिंग लाइफ, (फोनिक्स, 2009). जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013), पन्ना 59 रिक वारेन, @RickWarren, 10 December 2010, https://twitter.com/rickwarren/status/13199824941752321 \[Last accessed December 2015\] जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है। जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org) जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है। संपादकीय नोट्स ‘नम्रता हमारे वास्तविक जीवन में उचित दृष्टिकोण है और वे यह भी मानते हैं कि हम अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं।’ (अबॉट क्रिस्टोफर जॅमिसन, फाइंडिंग हैपिनेस: मोनॅस्टिक स्टेप्स फोर ए फुलफुलिंग लाइफ, फोनिक्स, 2009). ‘क्या आप दीना की तरह निर्दोष और पीड़ित हैं? मैं आपको आश्वासन देती हूँ कि जीवन की बुरी परिस्थितियों में भी, परमेश्वर हमें क्षमा करने के लिए अनुग्रह देते हैं, जिससे हम जीवन में आगे बढ़ें’। जॉयस मेयर ‘सेवकाई में, निजी पवित्रता सार्वजनिक सामर्थ्य का स्रोत है।’ @RickWarren, 10 December 2010, https://twitter.com/rickwarren/status/13199824941752321 \[Last accessed December 2015\].इस योजना के बारें में

क्लासिक: "बाइबल को समझना कठिन हो सकता है। अल्फा पायनियर्स, निकी और पिप्पा गमबल की टिप्पणियों के साथ इसे हर रोज़ पढ़ें या सुनें। आज ही शुरू करें!
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