नियन्त्रण पानानमूना
जब पारा चढ़ता है
मैं बस की एक खाली कुर्सी पर बैठ गया,मैं ने आराम की सांस ली क्योंकि मैं अपने घर से लेकर बस स्टॉप तक पैदल चलकर आया था। मैं आने वाले दिनों में बहुत से कामों को करने की योजना बनाने में व्यस्त था। अचानक से मुझे लगा कि कोई मेरी पसली में अपनी कोहनी से ठसका रहा है। चौकं कर मैं मुड़ा,और मैं ने देखा कि एक बूढ़ी बडागा महिला मुझे एक केला खाने का प्रस्ताव दे रही है जिसे उसने अपनी उंगलियों से छील रखा था। बडागा लोग निलगिरी के स्वदेशी लोग है जिन्हें उनकी किसानी,समाज में सोहार्द के साथ रहने,और उनके गर्भजोशी से मेज़बानी करने के लिए जाना जाता है,और मुझे यहां उन सब का मिला जुला स्वाद मिल रहा था। बिना कुछ बोले हुए,अपने सिर को हिलाते हुए उसने मेरी ओर इशारा करके कहा कि मैं एक पीस उठा लूं,जो मैं ने बेमन से उठा लिया। मैं बस में बैठकर केला खाना और अपने हाथों को चिपचिपा करना नहीं चाहता था। जब उसे दिखा कि मैं ने अभी भी केले का टुकड़ा अपने हाथों में पकड़ रखा है,तो वह अपना सिर नीचे करके फिर उसे झटकते हुए मुझे इशारा करके केला खाने के लिए कहने लगी। और जब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा तो मैं ने अन्त में उसे खुश करने के लिए वह केला अपने मुंह में डाल ही लिया,और वह सन्तुष्ट होकर चली गयी! वह अच्छा था,लेकिन बहुत गुस्सा दिलाने वाला क्षण था। वह घटना कुछ ही क्षणों में खत्म हो गयी और वह खातिरदारी करने वाली बूढ़ी स्त्री भी जाकर सो गयी,लेकिन मेरा दिमाग उन बातों को सोचता रहा । जब मैं ने यीशु की सहन शक्ति के स्तर पर विचार किया,मुझे केवल हैरानी ही नहीं हुई;मुझे बहुत शर्मिन्दगी हुई और मैं ने अपने आप को बहुत छोटा महसूस किया। उसकी सहन शक्ति का स्तर असाधारण था। ज़रा सोच कर देखें : आप अपने परिवार जनों और मित्रों के साथ डिनर करने के लिए बैठे हैं और रसोई से आने वाली विभिन्न व्यंजनों की खुशबू से आपके मुंह में पानी आ रहा है। और जैसे ही आप भूने गोश्त पर मुंह मारने ही वाले होते हैं,अचानक से आपको महसूस होता है कि कुछ गीला सा खुशबूदार तरल पदार्थ आपके सिर पर टपकता है और आपकी गदर्न से होता हुआ आपके कुरते तक पहुंच जाता है। एक महिला आकर अति मूल्यवान इत्र की एक बोतल को लाकर और बिना उससे पूछे ‘क्या मैं इसे आप पर डाल सकती हूं?’आप पर पूरी की पूरी बोतल को उण्डेल देती है। तो आपकी प्रतिक्रिया कैसी होगी?मैं इसे आपकी कल्पना और इमानदारी के साथ आत्म-मूल्यांकन पर छोड़ देता हूं। हमारा ध्यान यहां पर मुख्यतः इस बात पर लगा है कि हमारा स्वामी इस परिस्थिति से कैसे निपटा। जबकि उसके आस पास में बैठे लोग उस महिला पर कुड़कुड़ा रहे और उसे डांट रहे थे,यीशु ने चुपचाप उसकी प्रेम और प्रसंशा भरी भेंट को स्वीकार किया और यह कहते हुए उसे प्रतिफल दिया कि जहां कहीं भी संसार में सुसमाचार सुनाया जाएगा उसके इस काम का जिक्र जरूर किया जाएगा। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप मत्ती 26:6-13 में देख सकते हैं।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जब हम दबाव में होते हैं तो हम किस प्रकार सामना करते हैं? क्या तब हम में से आत्मा के फल प्रगट होते हैं, या हमारे आम के पेड़ में से कड़वे फल निकलते हैं, और हमारे अंगूर की बेलों से खट्टे अंगूर पैदा होते हैं? जब पारा बढ़ता है तो तब क्या हमारा गुस्सा भी बढ़ जाता है?
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हम यह योजना प्रदान करने के लिए Rani Jonathan को धन्यवाद देना चाहते हैं। और अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें: http://ourupsdowns.blogspot.com/