अर भौत दिनों तक उ वीं की बात टलणु रै, पर बाद मा वेन अपणा मन मा सोची कि, ‘नऽ त मि परमेस्वर पर सरदा रखदु अर ना ही कै मनखि की इज्जत करदु, मगर ईं विधवा को मितैं परेसान कैरिके रख्युं च, इलै मिन ईं को न्याय जरुर करण कखि इन नि हो की या विधवा बार-बार ऐके मेरा नाक मा दम कैरी द्यो, अर मेरु जीण हराम ह्वे जौ।’”