योहन 13
13
येशु अपने शिष्यों के पैर धोते हैं
1पास्का (फसह) पर्व का दिन था। येशु जानते थे कि मेरी घड़ी आ गयी है और मुझे यह संसार छोड़ कर पिता के पास जाना है। अत: येशु ने अपनो से, जो इस संसार में थे, और जिनसे वह प्रेम करते आए थे, अंतिम सीमा तक प्रेम किया।#यो 7:30; 8:20; 15:13; गल 2:20; 1 यो 3:16
2येशु अपने शिष्यों के साथ भोजन कर रहे थे। शैतान शिमोन इस्करियोती के पुत्र यूदस#13:2 अथवा, ‘यहूदा’ के मन में येशु को पकड़वाने का विचार उत्पन्न कर चुका था।#लू 22:3 3येशु यह जानते थे कि पिता ने सब कुछ उनके हाथों में दे दिया है और यह कि वह परमेश्वर के पास से आए हैं और परमेश्वर के पास जा रहे हैं।#यो 3:35; 16:28; 17:2 4अत: वह भोजन से उठे। उन्होंने अपने बाहरी वस्त्र उतारे और अपनी कमर में अंगोछा बाँध लिया।#मत 11:29; 20:28; लू 12:37 5तब वह परात में पानी भर कर अपने शिष्यों के पैर धोने और कमर में बँधे अंगोछे से उन्हें पोंछने लगे।
6जब वह सिमोन पतरस के पास आए, तब पतरस ने उन से कहा, “प्रभु! आप मेरे पैर धो रहे हैं?”#1 पत 5:3 7येशु ने उत्तर दिया, “तुम अभी नहीं समझते कि मैं क्या कर रहा हूँ। बाद में समझोगे।” 8पतरस ने कहा, “मैं आप को अपने पैर कभी नहीं धोने दूँगा।” येशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुम्हें नहीं धोऊंगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई भाग नहीं होगा।”#यो 13:12 9इस पर सिमोन पतरस ने उनसे कहा, “प्रभु! तो मेरे पैर ही नहीं, मेरे हाथ और सिर भी धो दीजिए।”
10येशु ने उत्तर दिया, “जो स्नान कर चुका है, उसे पैर के अतिरिक्त और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं। वह पूर्ण रूप से शुद्ध है। तुम लोग शुद्ध हो, किन्तु सब-के-सब नहीं।”#यो 15:3
11वह जानते थे कि कौन उनके साथ विश्वासघात करेगा। इसलिए उन्होंने कहा, “तुम सब-के-सब शुद्ध नहीं हो।”#यो 6:64,70-71
12जब येशु उन सब के पैर धो चुके, तब वह अपने वस्त्र पहन कर फिर बैठ गये और उन से बोले, “क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया? 13तुम मुझे गुरु और प्रभु कहते हो और ठीक ही कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ।#मत 23:8,10 14इसलिए यदि मैं, तुम्हारे प्रभु और गुरु ने तुम्हारे पैर धोये हैं, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए।#लू 22:27; 1 तिम 5:10 15मैंने तुम्हें एक उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, वैसा ही तुम भी किया करो।#फिल 2:5; कुल 3:13; 1 पत 2:21 16मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और न भेजा हुआ#13:16 अथवा, “प्रेरित” अपने भेजने वाले से।#मत 10:24 17यदि तुम ये बातें जानते हो और इनके अनुसार आचरण करते हो तो तुम धन्य हो।#मत 7:24; याक 1:25
यूदस [यहूदा] के विश्वासघात का संकेत
18“मैं तुम सब के विषय में यह नहीं कह रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि मैंने किन-किन लोगों को चुना है; परन्तु यह इसलिए हो रहा है कि धर्मग्रन्ध का यह कथन पूरा हो जाए : ‘जो मेरी रोटी खाता है, उसने ही मुझ पर लात उठाई है।’#भज 41:9 19अब मैं तुम्हें इस घटना के घटने से पूर्व यह बताता हूँ, जिससे जब यह घटना घटे तब तुम विश्वास करो कि वह मैं हूँ।#यो 14:29 20मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मेरे भेजे हुए का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।”#मत 10:40
21जब येशु यह कह चुके, तब उन का मन व्याकुल हो उठा#मत 26:21-25; मक 14:18-21; लू 22:21-23 और उन्होंने यह साक्षी दी, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” #यो 12:27 22शिष्य संशय में पड़कर एक-दूसरे को देखने लगे कि वह किसके विषय में कह रहे हैं। 23येशु का एक शिष्य, जिसे वह प्यार करते थे, उनकी छाती की ओर झुका हुआ बैठा था।#यो 19:26; 20:2; 21:7,20 24सिमोन पतरस ने उस से इशारे से यह कहा, “पूछो तो, वह किसके विषय में कह रहे हैं।” 25उसने वैसे ही येशु की छाती पर झुक कर उन से पूछा, “प्रभु! वह कौन है?” 26येशु ने उत्तर दिया, “मैं जिसे रोटी का टुकड़ा थाली में डुबो कर दूँगा, वही है।” और उन्होंने रोटी डुबो कर शिमोन इस्करियोती के पुत्र यूदस को दी। 27रोटी का टुकड़ा लेते ही यूदस में शैतान समा गया। तब येशु ने उससे कहा, “तुम्हें जो करना है, वह शीघ्र करो।”#यो 13:2 28भोजन करने वालों में कोई नहीं समझ पाया कि येशु ने उससे यह क्यों कहा। 29यूदस के पास बटुआ रहता था, इसलिए कुछ शिष्य यह समझे कि येशु ने उससे कहा, “हमें पर्व के लिए जो कुछ चाहिए, वह खरीद लो” अथवा “गरीबों को कुछ दान दे दो।”#यो 12:6 30अत: रोटी का टुकड़ा लेकर यूदस तुरन्त बाहर चला गया। और उस समय रात थी।
प्रभु येशु की नयी आज्ञा
31यूदस के चले जाने के बाद येशु ने कहा, “अब मानव-पुत्र महिमान्वित हुआ और उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई। 32यदि उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई, तो परमेश्वर भी उसे अपने में महिमान्वित करेगा और वह शीघ्र ही उसे महिमान्वित करेगा।#यो 12:23; 17:1-5 33छोटे बच्चो! मैं और थोड़े समय तक तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढ़ोगे और जैसा मैंने यहूदी धर्मगुरुओं से कहा है, तुम से भी वही कहता हूँ : मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।#यो 7:33; 8:21
34“मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ : तुम एक-दूसरे से प्रेम करो। जिस प्रकार मैंने तुम से प्रेम किया, उसी प्रकार तुम भी एक-दूसरे से प्रेम करो।#यो 15:12-13,17; 1 यो 2:8,10 35यदि तुम एक-दूसरे से प्रेम करोगे, तो उसी से सब लोग जान जाएँगे कि तुम मेरे शिष्य हो।”
पतरस की भावी निर्बलता
36सिमोन पतरस ने येशु से कहा, “प्रभु! आप कहाँ जा रहे हैं?”#मत 26:33-35; मक 14:29-31; लू 22:31-34 येशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम इस समय मेरे पीछे नहीं आ सकते किन्तु बाद में तुम मेरे पीछे आओगे।”#यो 7:34; 21:18-19 37पतरस ने उन से कहा, “प्रभु! मैं इस समय आपके पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं आपके लिए अपने प्राण दे दूँगा।” 38येशु ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिए अपने प्राण दोगे? मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : मुर्गे के बाँग देने से पहले तुम मुझे तीन बार अस्वीकार करोगे।
Currently Selected:
योहन 13: HINCLBSI
Tya elembo
Share
Copy
Olingi kobomba makomi na yo wapi otye elembo na baapareyi na yo nyonso? Kota to mpe Komisa nkombo
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
योहन 13
13
येशु अपने शिष्यों के पैर धोते हैं
1पास्का (फसह) पर्व का दिन था। येशु जानते थे कि मेरी घड़ी आ गयी है और मुझे यह संसार छोड़ कर पिता के पास जाना है। अत: येशु ने अपनो से, जो इस संसार में थे, और जिनसे वह प्रेम करते आए थे, अंतिम सीमा तक प्रेम किया।#यो 7:30; 8:20; 15:13; गल 2:20; 1 यो 3:16
2येशु अपने शिष्यों के साथ भोजन कर रहे थे। शैतान शिमोन इस्करियोती के पुत्र यूदस#13:2 अथवा, ‘यहूदा’ के मन में येशु को पकड़वाने का विचार उत्पन्न कर चुका था।#लू 22:3 3येशु यह जानते थे कि पिता ने सब कुछ उनके हाथों में दे दिया है और यह कि वह परमेश्वर के पास से आए हैं और परमेश्वर के पास जा रहे हैं।#यो 3:35; 16:28; 17:2 4अत: वह भोजन से उठे। उन्होंने अपने बाहरी वस्त्र उतारे और अपनी कमर में अंगोछा बाँध लिया।#मत 11:29; 20:28; लू 12:37 5तब वह परात में पानी भर कर अपने शिष्यों के पैर धोने और कमर में बँधे अंगोछे से उन्हें पोंछने लगे।
6जब वह सिमोन पतरस के पास आए, तब पतरस ने उन से कहा, “प्रभु! आप मेरे पैर धो रहे हैं?”#1 पत 5:3 7येशु ने उत्तर दिया, “तुम अभी नहीं समझते कि मैं क्या कर रहा हूँ। बाद में समझोगे।” 8पतरस ने कहा, “मैं आप को अपने पैर कभी नहीं धोने दूँगा।” येशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुम्हें नहीं धोऊंगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई भाग नहीं होगा।”#यो 13:12 9इस पर सिमोन पतरस ने उनसे कहा, “प्रभु! तो मेरे पैर ही नहीं, मेरे हाथ और सिर भी धो दीजिए।”
10येशु ने उत्तर दिया, “जो स्नान कर चुका है, उसे पैर के अतिरिक्त और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं। वह पूर्ण रूप से शुद्ध है। तुम लोग शुद्ध हो, किन्तु सब-के-सब नहीं।”#यो 15:3
11वह जानते थे कि कौन उनके साथ विश्वासघात करेगा। इसलिए उन्होंने कहा, “तुम सब-के-सब शुद्ध नहीं हो।”#यो 6:64,70-71
12जब येशु उन सब के पैर धो चुके, तब वह अपने वस्त्र पहन कर फिर बैठ गये और उन से बोले, “क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया? 13तुम मुझे गुरु और प्रभु कहते हो और ठीक ही कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ।#मत 23:8,10 14इसलिए यदि मैं, तुम्हारे प्रभु और गुरु ने तुम्हारे पैर धोये हैं, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए।#लू 22:27; 1 तिम 5:10 15मैंने तुम्हें एक उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, वैसा ही तुम भी किया करो।#फिल 2:5; कुल 3:13; 1 पत 2:21 16मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और न भेजा हुआ#13:16 अथवा, “प्रेरित” अपने भेजने वाले से।#मत 10:24 17यदि तुम ये बातें जानते हो और इनके अनुसार आचरण करते हो तो तुम धन्य हो।#मत 7:24; याक 1:25
यूदस [यहूदा] के विश्वासघात का संकेत
18“मैं तुम सब के विषय में यह नहीं कह रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि मैंने किन-किन लोगों को चुना है; परन्तु यह इसलिए हो रहा है कि धर्मग्रन्ध का यह कथन पूरा हो जाए : ‘जो मेरी रोटी खाता है, उसने ही मुझ पर लात उठाई है।’#भज 41:9 19अब मैं तुम्हें इस घटना के घटने से पूर्व यह बताता हूँ, जिससे जब यह घटना घटे तब तुम विश्वास करो कि वह मैं हूँ।#यो 14:29 20मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मेरे भेजे हुए का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।”#मत 10:40
21जब येशु यह कह चुके, तब उन का मन व्याकुल हो उठा#मत 26:21-25; मक 14:18-21; लू 22:21-23 और उन्होंने यह साक्षी दी, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” #यो 12:27 22शिष्य संशय में पड़कर एक-दूसरे को देखने लगे कि वह किसके विषय में कह रहे हैं। 23येशु का एक शिष्य, जिसे वह प्यार करते थे, उनकी छाती की ओर झुका हुआ बैठा था।#यो 19:26; 20:2; 21:7,20 24सिमोन पतरस ने उस से इशारे से यह कहा, “पूछो तो, वह किसके विषय में कह रहे हैं।” 25उसने वैसे ही येशु की छाती पर झुक कर उन से पूछा, “प्रभु! वह कौन है?” 26येशु ने उत्तर दिया, “मैं जिसे रोटी का टुकड़ा थाली में डुबो कर दूँगा, वही है।” और उन्होंने रोटी डुबो कर शिमोन इस्करियोती के पुत्र यूदस को दी। 27रोटी का टुकड़ा लेते ही यूदस में शैतान समा गया। तब येशु ने उससे कहा, “तुम्हें जो करना है, वह शीघ्र करो।”#यो 13:2 28भोजन करने वालों में कोई नहीं समझ पाया कि येशु ने उससे यह क्यों कहा। 29यूदस के पास बटुआ रहता था, इसलिए कुछ शिष्य यह समझे कि येशु ने उससे कहा, “हमें पर्व के लिए जो कुछ चाहिए, वह खरीद लो” अथवा “गरीबों को कुछ दान दे दो।”#यो 12:6 30अत: रोटी का टुकड़ा लेकर यूदस तुरन्त बाहर चला गया। और उस समय रात थी।
प्रभु येशु की नयी आज्ञा
31यूदस के चले जाने के बाद येशु ने कहा, “अब मानव-पुत्र महिमान्वित हुआ और उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई। 32यदि उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई, तो परमेश्वर भी उसे अपने में महिमान्वित करेगा और वह शीघ्र ही उसे महिमान्वित करेगा।#यो 12:23; 17:1-5 33छोटे बच्चो! मैं और थोड़े समय तक तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढ़ोगे और जैसा मैंने यहूदी धर्मगुरुओं से कहा है, तुम से भी वही कहता हूँ : मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।#यो 7:33; 8:21
34“मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ : तुम एक-दूसरे से प्रेम करो। जिस प्रकार मैंने तुम से प्रेम किया, उसी प्रकार तुम भी एक-दूसरे से प्रेम करो।#यो 15:12-13,17; 1 यो 2:8,10 35यदि तुम एक-दूसरे से प्रेम करोगे, तो उसी से सब लोग जान जाएँगे कि तुम मेरे शिष्य हो।”
पतरस की भावी निर्बलता
36सिमोन पतरस ने येशु से कहा, “प्रभु! आप कहाँ जा रहे हैं?”#मत 26:33-35; मक 14:29-31; लू 22:31-34 येशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम इस समय मेरे पीछे नहीं आ सकते किन्तु बाद में तुम मेरे पीछे आओगे।”#यो 7:34; 21:18-19 37पतरस ने उन से कहा, “प्रभु! मैं इस समय आपके पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं आपके लिए अपने प्राण दे दूँगा।” 38येशु ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिए अपने प्राण दोगे? मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : मुर्गे के बाँग देने से पहले तुम मुझे तीन बार अस्वीकार करोगे।
Currently Selected:
:
Tya elembo
Share
Copy
Olingi kobomba makomi na yo wapi otye elembo na baapareyi na yo nyonso? Kota to mpe Komisa nkombo
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.