योहन 14
14
अंतिम वार्ता का आरम्भ
1“तुम्हारा मन व्याकुल न हो। परमेश्वर में विश्वास करो और मुझ में भी विश्वास करो!#यो 14:27; मक 11:22 2मेरे पिता के यहाँ बहुत निवास-स्थान हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं तुम्हें बता देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिए स्थान का प्रबन्ध करने जा रहा हूँ।#14:2 अथवा, “यदि ऐसा नहीं होता, तो क्या मैं तुम्हें यह बता देता कि मैं तुम्हारे लिए एक स्थान तैयार करने जा रहा हूँ?”
3यदि मैं जा कर तुम्हारे लिए स्थान का प्रबन्ध करूँ, तो मैं फिर आऊंगा और तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊंगा, जिससे जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो।#यो 12:26; 17:24 4मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।”
5थोमस ने येशु से कहा, “प्रभु! हम यह भी नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं, तो वहाँ का मार्ग कैसे जान सकते हैं?” 6येशु ने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।#यो 11:25; इब्र 10:20; मत 11:27; रोम 5:1-2; बारू 3:13-14
7“यदि तुम मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते। अब से तुम उसे जानते हो, और तुम ने उसको देखा भी है।” 8फिलिप ने उन से कहा, “प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइए। हमारे लिए इतना ही बहुत है।” 9येशु ने कहा, “फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुम ने मुझे नहीं जाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो : ‘हमें पिता के दर्शन कराइए’?#यो 12:45; इब्र 1:3; मत 17:17 10क्या तुम विश्वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? मैं जो शिक्षा तुम्हें देता हूँ, वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता अपने कार्य सम्पन्न कर रहा है।#यो 12:49 11मेरी इस बात पर विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है, नहीं तो उन कार्यों के कारण ही विश्वास करो।#यो 14:20; 10:25,38
12“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मुझ में विश्वास करता है, वह स्वयं वे कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूँ। वह उन से भी महान कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ।#मक 16:19-20 13जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोंगे, मैं उसे पूरा करूँगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो।#यो 15:7; मक 11:24; 1 यो 5:14 14यदि तुम मेरे नाम में मुझ से कुछ भी माँगोगे, तो मैं उसे पूरा करूँगा।#यो 16:23-24
पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा
15“यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।#यो 15:10; 1 यो 5:3; प्रज्ञ 6:18 16मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक#14:16 मूल भाषा में “पराक्लेतुस” जिसका अर्थ है अभिभावक, एड्वोकेट, शान्तिदाता, परामर्शदाता। प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा।#यो 14:26; 15:26; 16:7; 1 यो 2:1 17वह सत्य का आत्मा है, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे न तो देखता है और न जानता है। तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और तुम में रहेगा।#14:17 पाठान्तर “तुम में निवास करता है” अथवा ‘तुम्हारे मध्य रहेगा।’ #यो 7:39; 16:13; मत 10:20; रोम 8:26; 1 कुर 2:14
18“मैं तुम को अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। 19थोड़ी देर और, फिर संसार मुझे नहीं देखेगा। पर तुम मुझे देखोगे; क्योंकि मैं जीवित हूँ, इसलिए तुम भी जीवित होगे।#यो 16:16 20उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं अपने पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में।#यो 17:21-23 21जो मेरी आज्ञाएँ मानते और उनका पालन करते हैं, वे ही मुझ से प्रेम करते हैं और जो मुझ से प्रेम करते हैं, उनसे पिता प्रेम करेगा और मैं भी उनसे प्रेम करूँगा और उन पर अपने को प्रकट करूँगा।#2 कुर 3:18; 1 यो 5:3; प्रज्ञ 6:12,18; प्रव 4:14
22यहूदा ने (जो यूदस इस्करियोती से भिन्न है) येशु से कहा, “प्रभु! आप हम पर अपने को प्रकट करेंगे, संसार पर नहीं; इसका कारण क्या है?”#प्रे 10:41 23येशु ने उसे उत्तर दिया, “जो मुझ से प्रेम करेंगे, वे मेरे वचन का पालन करेंगे और मेरा पिता उन से प्रेम करेगा और हम उनके पास आएँगे और उनके साथ निवास करेंगे।#यो 13:34; 14:21; नीति 8:17; मत 18:20; 28:20; इफ 3:17; 2 कुर 6:16 24जो मुझ से प्रेम नहीं करता, वह मेरे वचनों का पालन नहीं करता। जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं, बल्कि उस पिता का है, जिसने मुझे भेजा है।#यो 7:16; 1 यो 2:5
25“तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम से ये बातें कही हैं। 26परन्तु ‘सहायक’, अर्थात् पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ सिखाएगा। जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह उसका स्मरण तुम्हें कराएगा।#यो 14:16; मत 10:19
27“शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो।#यो 1:16-33; फिल 4:7 28तुमने मुझ को यह कहते सुना, ‘मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊंगा।’ यदि तुम मुझ से प्रेम करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान् है।#यो 14:3,6,18; लू 24:52 29अभी, यह होने से पहले, मैंने तुम को बता दिया, जिससे जब यह हो तब तुम विश्वास करो।#यो 13:19
30“अब मैं तुम से और अधिक बातें नहीं करूँगा, क्योंकि इस संसार का अधिपति आ रहा है। वह मेरा कुछ नहीं कर सकता,#यो 12:31; इफ 2:2 31किन्तु यह आवश्यक है कि संसार जान जाए कि मैं पिता से प्रेम करता हूँ और पिता ने मुझे जैसा आदेश दिया, मैं वैसा ही करता हूँ। उठो! हम यहाँ से चलें।#यो 10:18; मत 26:46; मक 14:42
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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योहन 14
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अंतिम वार्ता का आरम्भ
1“तुम्हारा मन व्याकुल न हो। परमेश्वर में विश्वास करो और मुझ में भी विश्वास करो!#यो 14:27; मक 11:22 2मेरे पिता के यहाँ बहुत निवास-स्थान हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं तुम्हें बता देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिए स्थान का प्रबन्ध करने जा रहा हूँ।#14:2 अथवा, “यदि ऐसा नहीं होता, तो क्या मैं तुम्हें यह बता देता कि मैं तुम्हारे लिए एक स्थान तैयार करने जा रहा हूँ?”
3यदि मैं जा कर तुम्हारे लिए स्थान का प्रबन्ध करूँ, तो मैं फिर आऊंगा और तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊंगा, जिससे जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो।#यो 12:26; 17:24 4मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।”
5थोमस ने येशु से कहा, “प्रभु! हम यह भी नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं, तो वहाँ का मार्ग कैसे जान सकते हैं?” 6येशु ने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।#यो 11:25; इब्र 10:20; मत 11:27; रोम 5:1-2; बारू 3:13-14
7“यदि तुम मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते। अब से तुम उसे जानते हो, और तुम ने उसको देखा भी है।” 8फिलिप ने उन से कहा, “प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइए। हमारे लिए इतना ही बहुत है।” 9येशु ने कहा, “फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुम ने मुझे नहीं जाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो : ‘हमें पिता के दर्शन कराइए’?#यो 12:45; इब्र 1:3; मत 17:17 10क्या तुम विश्वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? मैं जो शिक्षा तुम्हें देता हूँ, वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता अपने कार्य सम्पन्न कर रहा है।#यो 12:49 11मेरी इस बात पर विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है, नहीं तो उन कार्यों के कारण ही विश्वास करो।#यो 14:20; 10:25,38
12“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मुझ में विश्वास करता है, वह स्वयं वे कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूँ। वह उन से भी महान कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ।#मक 16:19-20 13जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोंगे, मैं उसे पूरा करूँगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो।#यो 15:7; मक 11:24; 1 यो 5:14 14यदि तुम मेरे नाम में मुझ से कुछ भी माँगोगे, तो मैं उसे पूरा करूँगा।#यो 16:23-24
पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा
15“यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।#यो 15:10; 1 यो 5:3; प्रज्ञ 6:18 16मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक#14:16 मूल भाषा में “पराक्लेतुस” जिसका अर्थ है अभिभावक, एड्वोकेट, शान्तिदाता, परामर्शदाता। प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा।#यो 14:26; 15:26; 16:7; 1 यो 2:1 17वह सत्य का आत्मा है, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे न तो देखता है और न जानता है। तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और तुम में रहेगा।#14:17 पाठान्तर “तुम में निवास करता है” अथवा ‘तुम्हारे मध्य रहेगा।’ #यो 7:39; 16:13; मत 10:20; रोम 8:26; 1 कुर 2:14
18“मैं तुम को अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। 19थोड़ी देर और, फिर संसार मुझे नहीं देखेगा। पर तुम मुझे देखोगे; क्योंकि मैं जीवित हूँ, इसलिए तुम भी जीवित होगे।#यो 16:16 20उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं अपने पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में।#यो 17:21-23 21जो मेरी आज्ञाएँ मानते और उनका पालन करते हैं, वे ही मुझ से प्रेम करते हैं और जो मुझ से प्रेम करते हैं, उनसे पिता प्रेम करेगा और मैं भी उनसे प्रेम करूँगा और उन पर अपने को प्रकट करूँगा।#2 कुर 3:18; 1 यो 5:3; प्रज्ञ 6:12,18; प्रव 4:14
22यहूदा ने (जो यूदस इस्करियोती से भिन्न है) येशु से कहा, “प्रभु! आप हम पर अपने को प्रकट करेंगे, संसार पर नहीं; इसका कारण क्या है?”#प्रे 10:41 23येशु ने उसे उत्तर दिया, “जो मुझ से प्रेम करेंगे, वे मेरे वचन का पालन करेंगे और मेरा पिता उन से प्रेम करेगा और हम उनके पास आएँगे और उनके साथ निवास करेंगे।#यो 13:34; 14:21; नीति 8:17; मत 18:20; 28:20; इफ 3:17; 2 कुर 6:16 24जो मुझ से प्रेम नहीं करता, वह मेरे वचनों का पालन नहीं करता। जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं, बल्कि उस पिता का है, जिसने मुझे भेजा है।#यो 7:16; 1 यो 2:5
25“तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम से ये बातें कही हैं। 26परन्तु ‘सहायक’, अर्थात् पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ सिखाएगा। जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह उसका स्मरण तुम्हें कराएगा।#यो 14:16; मत 10:19
27“शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो।#यो 1:16-33; फिल 4:7 28तुमने मुझ को यह कहते सुना, ‘मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊंगा।’ यदि तुम मुझ से प्रेम करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान् है।#यो 14:3,6,18; लू 24:52 29अभी, यह होने से पहले, मैंने तुम को बता दिया, जिससे जब यह हो तब तुम विश्वास करो।#यो 13:19
30“अब मैं तुम से और अधिक बातें नहीं करूँगा, क्योंकि इस संसार का अधिपति आ रहा है। वह मेरा कुछ नहीं कर सकता,#यो 12:31; इफ 2:2 31किन्तु यह आवश्यक है कि संसार जान जाए कि मैं पिता से प्रेम करता हूँ और पिता ने मुझे जैसा आदेश दिया, मैं वैसा ही करता हूँ। उठो! हम यहाँ से चलें।#यो 10:18; मत 26:46; मक 14:42
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