लूका 11

11
चेला मन ला प्रार्थना करे ले सिखाथे
(मत्ती 6:9-15)
1फिर यीशु हर कोनो जगहा मे प्रार्थना करत रहिस। जब ओहर प्रार्थना कईर दारिस त ओकर चेला मन ले एक झन हर ओकर ले कहिस, “हे प्रभु, जेकस यूहन्ना हर अपन चेला मन ला प्रार्थना करे बर सिखईस, ओहिच नियर हमन मन ला भी सिखाए दे।”
2यीशु हर ओमन मन ले कहिस, “जब तुमन मन प्रार्थना करा त कहा:
‘हे हमर दाऊ,
तोर नाव पवित्र मानल जाही,
तोर राएज आही।
3हमर दिन भर कर रोटी रोज दिन हमन मन ला देबे,
4अउ हमर पाप मन ला छमा कर,
काबर कि हमन मन भी अपन सबेच अपराधी मन ला छमा करथन,
अउ हमन मन ला परीक्षा मे झिन लान।’”
प्रार्थना कर समबन्ध मे यीशु कर शिक्षा
(मत्ती 7:7-11)
5अउ यीशु हर ओमन मन ले कहिस, “तुमन मन ले कोन है कि ओकर एक संगता होही, अउ ओहर आधा राएत मे ओकर जग जाए के ओकर ले कही, ‘हे संगता; मोला तीन रोटी दे दे। 6काबर कि एक यात्री संगता हर मोर जग अईस आहे, अउ ओकर आगू मे रखे बर मोर जग कुछूच नी है।’ 7अउ ओहर भीतरी ले जवाब देही, ‘मोला दुख झिन दे; अब त दूरा हर भी ढकाए गईस है अउ मोर छउवा मोर जग बिस्तर मे है, एकरे बर मैहर उईठ के तोला नी दे सकथो?’ 8मय तुमन मन ले कहथो, अगर ओकर संगता होए ले भी ओला उईठ के नी देही, तबो ले ओकर लाज ला छोएड़ के मांगे कर कारन ओला जेतेक जरूरत आहे, ओतेक उईठ के देही। 9अउ मय तुमन मन ले कहथो, कि मान्गिहा, त तुमन मन ला देहल जाही; ढूढिहा, त तुमन मन पईहा; खटखटईहा, त तुमन बर खोलल जाही। 10काबर कि जे कोनो हर मांगथे, ओला मिलथे; अउ जे कोनो हर ढूढथे, ओहर पाथे; अउ जे कोनो हर खटखटाथे, ओकर बर खोलल जाथे। 11तुमन मन मे कोन एसन दाऊ होही, कि जब ओकर बेटा रोटी मान्गही, त ओला पखना देही; या मछरी मान्गही त मछरी कर बदला मे ओला साप देही? 12या अंडा मान्गही त ओला बिच्छू देही? 13तले जब तुमन मन बुरा होए के अपन छउवा मन ला बड़िया चीज देहे बर जानथा, त स्वर्गीय दाऊ हर अपन मांगे बाला मन ला पवित्र आत्मा काबर नी देही?”
यीशु अउ अशुद्ध आत्मा कर अधिकारी
(मत्ती 12:22-30; मरकुस 3:20-27)
14फिर यीशु एगोठ गूंगा अशुद्ध आत्मा ला हिकालिस जब अशुद्ध आत्मा हिकेल गईस त गूंगा हर बोले लागिस; अउ लोग मन ला अचम्भा होईस। 15लेकिन ओमन मन ले कुछ झन मन कहिन, “एहर त शैतान कर नाव ले अशुद्ध आत्मा मन कर प्रधान शैतान कर सहयोग ले अशुद्ध आत्मा मन ला हिकालेल।” 16अउ ओमन ओकर परीक्षा करे बर ओकर ले अकाश ले एगोठ चिन्हा मांगिन। 17लेकिन ओहर ओमन मन कर मन कर गोएठ ला जाएन के, ओमन मन ले कहिस, “जे-जे राएज मे फुट होथे, ओहर नाश होए जाथे; अउ जे घर मे फुट होथे, ओहर नाश होए जाथे। 18अगर शैतान हर अपनेच बिरोधी होए जाही, त ओकर राएज कईसे बनल रही? काबर कि तुमन मन मोर बिषय मे त कहथा कि एहर शैतान कर मदद ले अशुद्ध आत्मा मन ला हिकालथे। 19भला अगर मैहर शैतान कर सहायता ले अशुद्ध आत्मा मन ला हिकालथो, त तुमन मन कर संतान मन काकर सहयोग ले हिकालथे? एकरे बर ओहिच मन तुमन मन कर न्याय चुकाही। 20लेकिन अगर मैहर परमेश्वर कर सामर्थ ले अशुद्ध आत्मा मन ला हिकालथो, त परमेश्वर कर राएज तुमन जग मे आए पहुचिस आहे। 21जब बलवान लोग हर हथियार मन ला बाएध कर अपन घर कर रखबाली करथे, त ओकर संपत्ति हर बाचल रहेल। 22पर जब ओकर ले बईड़ के कोनो अउ बलवान चड़हई कईर के ओला जीत लेथे, त ओकर ओ हथियार जेमन मन पर ओकर भरोसा रहिस, लुईट लेथे, अउ ओकर सम्पत्ति लुईट के बाएट देथे। 23जेहर मोर संग मे नी है ओहर मोर बिरोध मे है, अउ जेहर मोर संग मे नी बटोरेल ओहर बगराएल।”
अशुद्ध आत्मा हर घर ला खोजथे
(मत्ती 12:43-45)
24“जब अशुद्ध आत्मा हर मैनसे मन ले हिकेल जाथे त झुरा जगहा मन मे बिश्राम खोजथे फिरथे, अउ जब नी पाथे तब कहेल ‘मय अपन ओहिच घर मे जिहा ले हिकले रहे फिर जाहू।’ 25अउ आए के ओला झाड़ल-बहारल अउ सजल सजाए पाथे। 26तब ओहर जाए के अपन ले बुरा सात अउ आत्मा मन ला अपन संग मे ले आथे, अउ ओमन मन ओमे घुईस के बास करथे, अउ ओ मैनसे के पाछू कर दशा आगू ले भी बुरा होए जाथे।”
27जब ओहर ये गोएठ मन ला कहत रहिस कि भीड़ मे ले कोनो महिला हर जोर अवाज ले कहिस, “धन्य हे ओ गर्भ हर जेमे तय रहे अउ ओ स्तन जेला तय पीए।” 28ओहर कहिस, “हव; लेकिन धन्य ओमन मन है जेमन मन परमेश्वर कर बचन सुनथे अउ मानथे।”
स्वर्ग के चिन्हा कर मांग
(मत्ती 12:38-42; मरकुस 8:12)
29जब बड़खा भीड़ जमा होत जात रहिस त ओहर कहे लागिस, “ये युग कर लोग मन बुरा है; ओमन मन चिन्हा खोजथे; लेकिन योना कर चिन्हा ला छोएड़ के कोनो अउ चिन्हा ओमन मन ला नी देहल जाही। 30जईसन योना हर नीनवे कर लोग मन बर चिन्हा ठहरिस, ओहिच नियर मैनसे कर बेटा हर भी ये युग कर लोग मन बर ठहरही। 31दक्खिन कर रानी न्याय कर दिन ये समय के लोग मन कर संग उईठ के ओमन मन ला दोषी ठहराही, काबर कि ओहर सुलैमान कर ज्ञान ला सुने बर दुनिया कर छोर ले अईस, अउ देखा, हिया ओहर है जेहर सुलैमान ले भी बड़खा है। 32नीनवे कर लोग मन न्याय कर दिन ये समय कर लोग मन के संग ठड़होए के, ओमन मन ला दोषी ठहराही; काबर कि ओमन मन योना कर प्रचार ला सुईन के मन फिरईन, अउ देखा, हिया ओहर है जेहर योना ले भी बड़खा है।
देह कर दीया
(मत्ती 5:15; 6:22-23)
33कोनोच लोग हर दीया ला जलाए के तलघर मे या पैमाने कर खाल्हे मे नी रखथे, लेकिन फुला पर रखथे कि भीतर आए बाला मन इंजोर ला मिले। 34तोर देह कर दीया तोर आएख हर है, एकरे बर अगर तोर आएख हर निर्मल है त तोर सबेच देह हर भी इंजोर होही; लेकिन जब ओहर बुरा रही त तोर देह हर भी अन्धार है। 35एकरे बर चवकस रहबे, कि जे इंजोर तुमन मन मे है ओहर अन्धार झिन होए जाही। 36एकरे बर अगर तोर सबेच शरीर इंजोर है अउ ओकर कोनोच हिस्सा हर अन्धार नी रही त सबेच कर सबेच एसन इंजोर होही, जईसन ओ समय होथे जे घनी दीया हर अपन चमक ले तोला इंजोर देथे।”
शास्त्री अउ फरीसी मन ला फटकार
(मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 20:45-47)
37जब यीशु हर गोठियात रहिस त कोनो फरीसी हर ओकर ले बिनती करिस, कि मोर जग भात खा। ओहर भीतर जाए के भात खाए बर बैठिस। 38फरीसी मन एला देख के अचम्भा करिन, कि ओहर भात खाए कर आगू हाथ-गोड़ ला नी धोए रहिस। 39प्रभु यीशु हर ओमन मन ले कहिस, “हे फरीसी मन तुमन मन कटोरा अउ छीपा ला उपर-उपर ले मांजथा लेकिन तुमन मन कर भीतर अन्धार अउ दुष्टता भरिस है। 40हे बिन बुईध कर मैनसे मन, जेहर बाहर कर हिस्सा ला बनईस, का ओहर भीतर कर हिस्सा ला नी बनईस? 41लेकिन हव, भीतर बाला चीज मन ला दान कईर देईहा, त देखा, सबेच हर तुमन मन बर शुद्ध होए जाही।
42पर हे फरीसी मन, तुमन मन पर हाए! तुमन मन पोदीने अउ सुदाब कर अउ सबेच नियर कर साग पात कर दसवां अंश देथा, लेकिन न्याय अउ परमेश्वर कर प्रेम ला टाएल देथा; चाहे रहिस कि एमन ला भी करत रहता अउ ओमन मन ला भी झिन छोड़ता। 43हे फरीसी मन, तुमन मन पर हाए! तुमन मन अराधनालय मन मे मुख्य-मुख्य आसन अउ बजार मन मे नमस्कार चाहथा। 44हाए तुमन मन पर! काबर कि तुमन मन छिपल कबर कर नियर हा, जेमन मन पर लोग मन चलथे लेकिन नी जानथा।”
45तब एक झन ब्यवस्थापक हर ओला जवाब देहिस, “हे गुरू, ये गोएठ मन ला कह के तय हमर निन्दा करथस।” 46ओहर कहिस, “हे ब्यवस्थापक मन, तुमन मन पर भी हाय! तुमन मन एसन बोझ हवा जेमन मन ला उठाए बर कठिन है, लोग मन पर लादथा लेकिन तुमन मन खुद भी ओ बोझ मन ला एगोठ उंगली ले भी नी छुथा। 47हाय तुमन मन पर! तुमन मन ओ अगमजानी मन कर कबर मन बनाथा, जेमन मन ला तुमनेच कर दाऊ-ददा मन माएर देहे रहिन। 48तले तुमन मन गवाह हवा, अउ अपन दाऊ-ददा कर मन कर बुता मन ले राजी होथा; काबर कि ओमन मन ला माएर देहिन अउ तुमन मन ओमन मन कर कबर मन ला बनाथा। 49एकरे बर परमेश्वर कर बुईध हर भी कहिस है, ‘मैहर ओमन मन जग अगमजानी मन अउ प्रेरित मन ला भेजहु, अउ ओमन मन, ओमन मन मे ले कुछ मन ला माएर देही, अउ कुछ मन ला सताही।’ 50तेकर बर जेतेक अगमजानी मन कर लहू जगत कर उत्पत्ति ले बहाल गईस है, सबेच कर लेखा ला ये युग कर लोग मन ले लेहल जाही: 51हाबिल कर हत्या ले ले के जकर्याह कर हत्या तक, जेहर बेदी अउ मन्दिर कर मांझा मे घात करल गए रहिस। मैहर तुमन मन ले सहिच कहथो, ये सबेच मन कर लेखा ये समय कर लोग मन ले लेहल जाही। 52हाय, तुमन ब्यवस्थापक मन पर! तुमन मन ज्ञान कर चाभी ला ले त लेहा, लेकिन तुमन मन खुद ही नी घुसा, अउ घुसे बाला मन ला भी रोएक देथा।”
53जब ले ओहर हुवा ले हिकलिस, त शास्त्री अउ फरीसी मन बुरी तरह ले ओकर पाछू मे पईड़ गईन अउ छेड़े लागिन कि ओहर बहुतेच गोएठ मन कर चर्चा करही, 54अउ ये घात मे लगे रहिन कि ओकर मुंह कर कोनो गोएठ ला पकड़ही।

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