एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना
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अपने अंतःकरण को तेज करें
आज के लेखांश में यीशु प्रश्न पूछते हैं, ‘क्या उचित है.... भला करना या बुरा करना....?’
मैं एक नास्तिक हुआ करता था. मेरा मानना था कि हमारे शरीर, हमारा मन और परिस्थितियाँ जिसमें हम जन्में हैं ये सभी हमारे कार्य को निर्धारित करते हैं. तर्क संगत तरीके से, मुझे ऐसा लगता था कि कोई ईश्वर नहीं है और नैतिकता के लिए कोई आधार नहीं है. इसलिए इस तर्क को मानते हुए, कुछ भी ‘अच्छा’ या ‘बुरा’ नहीं है.
फिर भी, गहराई में, मैं जानता था कि ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ के रूप में ऐसी कोई चीज है. हाँलाकि मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता था, फिर भी मैं उन शब्दों का इस्तेमाल करता था. फिर भी जब तक मेरी यीशु से मुलाकात नहीं हुई थी, मैं जान गया था कि एक परमेश्वर हैं जिन्होंने एक नैतिक सृष्टि की रचना की है. पवित्र शास्त्र में और खासकर व्यक्तिगत रूप से यीशु मसीह में, अच्छे और बुरे की प्रकृति प्रकट होती है.
परमेश्वर ने हमें अंत:करण दिया है ताकि हम जान लें कि कुछ चीजें ‘अच्छी’ हैं और बाकी की ‘बुरी’ हैं. लेकिन हमारा अंत:करण धूमिल हो सकता है और उन्हें सत्य की वस्तुनिष्ठ द्वारा तेज किया जा सकता है.
नीतिवचन 5:1-14
बुराई से बचे रहें जो अच्छाई के रूप में छिपा होता है
हरएक पाप में एक तरह का भ्रम छिपा होता है. अक्सर भलाई के रूप में बुराई छिपी रहती है. इसमें एक ऊपरी आकर्षण होता है – ‘क्योंकि पराई स्त्री के होठों से मधु टपकता है, और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं’ (व.3). ‘परन्तु इसका परिणाम नागदौना सा कडुवा और दोधारी तलवार सा पैना होता है’ (व.4) ‘इसके पांव मृत्यु की ओर बढ़ते हैं (व.5अ) और उसके पग अधोलोक तक पहुँचते हैं’ (व.5ब).
ये वचन कामुक लालसा के आकर्षण और खतरे दोनों को बयान करते हैं. हम कामुकीकरण के बढ़ते हुए समाज में रहते हैं जिसमे हमारे चारों ओर इंटरनेट पर अश्लील चीजें और कामुक तस्वीरें पहले से ही मौजूद हैं और एक ऐसी सभ्यता जो हमें कामुकता को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है.
हमारी लैंगिकता परमेश्वर द्वारा दी गई एक आशीष है (उत्पत्ति 2:24 देखें), लेकिन जब हम गलत तरीके से इसकी इच्छा करते हैं तो यह विनाशकारी और नुकसान पहुँचाने वाली हो सकती है. ये वचन हमें लैंगिक पाप के आकर्षण के प्रति सावधान ही नहीं करते हैं, बल्कि इसके द्वारा बहक जाने के प्रति चेतावनी भी देते हैं.
‘तू अपने जीवन के अंतिम समय में पछतावे से भरा होना नहीं चाहता’ (नीतिवचन 5:11, एमएसजी). जॉयस मेयर लिखती हैं, ‘बुद्धि हमारी दोस्त है, यह हमें मदद करती है कि हम पछतावे या अफसोस में न जीएं. मुझे लगता है दुनिया में सबसे दु:खद बात यह होगी जब मैं बुढ़ापे में अपने जीवन के अतीत में झांकूँ और जो मैंने किया या जो मैंने नहीं किया उस पर पछताऊँ. बुद्धि हमें अभी निर्णय लेने में मदद करती है ताकि हम बाद में खुश रहें.’
खुद के उस मार्ग से दूर रखिये जिस पर आप पछताएं. ‘ऐसी स्त्री से दूर ही रह, और उसकी डेवढ़ी के पास भी न जाना’ (व.8). यदि हम इस सुझाव को अनदेखा करें, तो हम अपने जीवन को बरबाद कर सकते हैं और अपने जीवन के अंत में हम बहुत पछता सकते हैं. प्रलोभन से खतरा मोल मत लीजिये; प्रलोभन से दूर रहिये.
प्रभु, मुझे अपने जीवन में बुद्धिपूर्ण सावधानी लेने में मदद कीजिये ताकि मैं उन सभी से दूर रहूँ जो मुझे पाप में ले जाती हैं, ‘हमें परीक्षा में न डाल, बल्कि हमें बुराई से बचा’ (मत्ती 6:13).
मरकुस 2:18-3:30
यीशु के बारे में निर्णय लें: अच्छे या बुरे?
यीशु कौन हैं? हम सबको यीशु के बारे में अपने मन को तैयार करना है: क्या वह बुरे थे? क्या वह पागल थे? या वह परमेश्वर थे? यह कोई नया सवाल नहीं है. यीशु के समय में भी लोग इन तीन विकल्पों में से किसी एक को नहीं चुन पाते थे.
यीशु एक महान धार्मिक गुरू नहीं थे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह उससे भी बढ़कर हैं. यीशु ने खुद के बारे में विस्मयकारी दावा किया था. बल्कि अपेक्षाकृत मरकुस के सुसमाचार के छोटे से भाग में भी हम ऐसे अनेक दावे देखते हैं.
सी.एस. लेविस ने बताया कि, ‘एक पुरूष जो एक साधारण मनुष्य था और यीशु की तरह उन बातों को कहता कि वह एक नैतिक शास्त्री नहीं है. तो या तो वह [पागल] था या फिर वह ‘नरक का शैतान’ था. आपको अपना चुनाव करना जरूरी है,’ लेकिन सी.एस. लेविस आगे लिखते हैं, ‘उनके महान शास्त्री होने के बारे में हम कोई कृपापूर्ण बकवास बातें न करें. उन्होंने इसे हमारे लिए खुला नहीं छोड़ा है. उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था.’ सच में केवल तीन विकल्प में हैं: या तो वह दुष्ट थे या पागल थे या फिर उनका दावा सही था.
क्या वह दुष्ट थे?
व्यवस्था के शास्त्रियों ने कहा कि, ‘उस में शैतान है, और यह भी, कि वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है’ (3:22). वे कह रहे थे, ‘कि उस में अशुद्ध आत्मा है’ (व.30ब).
क्या वह पागल थे?
लोग यीशु के बारे में कहते थे, ‘कि उसका चित्त ठिकाने नहीं है’ (व.21ब).
क्या वह परमेश्वर हैं?
यीशु ने जोर देकर कहा कि वह दूल्हा हैं (2:18-19 देखें). वह खुद का वर्णन ‘सब्त के दिन के स्वामी के रूप में’ करते हैं (व.28), बल्कि दुष्टात्माओं ने भी चिल्लाकर कहा ‘तू परमेश्वर का पुत्र है’ (3:11), यीशु ने इसका इंकार नहीं किया, बल्कि ‘उसने उन्हें बहुत चिताया, कि मुझे प्रगट न करना’ (व.12).
यीशु के बारे में हमारे निर्णय का बहुत बड़ा परिणाम होगा कि वह दुष्ट हैं, पागल हैं या परमेश्वर हैं.
उनके साथ तीन वर्ष बिताने के बाद, उनके शिष्य इस निर्णय पर पहुँचे कि वह सच में परमेश्वर के असाधारण पुत्र थे, वचन देहधारी हुआ, एक ऐसा मनुष्य जिसकी पहचान परमेश्वर थे (2:21-22). यीशु ने उन्हें बुलाया, वह हमें भी बुला रहे हैं, पहले ‘उनके साथ रहने के लिए’ और फिर दुनिया में उनका संदेश ले जाने के लिए (3:14-15).
जो उनका वर्णन दुष्ट के रूप में करते हैं उनसे यीशु कहते हैं, ‘जो कोई पवित्रात्मा के विरूद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगा’ (व.29). इस वचन ने काफी लोगों को दु:खी कर दिया. लेकिन जिस किसी ने भी इस बारे में चिंता की उसने कभी पाप नहीं किया. जो पश्चाताप करेगा वह क्षमा पाएगा. सच्चाई यह है कि वे अशांत थे (यानि वे पश्चाताप करने के लिए तैयार थे) जो इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने पाप नहीं किया था.
यहाँ पर जो संदर्भित किया जा रहा है वह सिर्फ वाक्य का उच्चारण नहीं करना है, बल्कि मन में निश्चय करना है. यीशु ने ऐसा नहीं कहा कि उन्होंने पाप किया है. ये शास्त्री परमेश्वर के लोगों से विधिवत मान्यता प्राप्त धार्मिक गुरू थे. वे लोग हरदिन परमेश्वर के संपर्क में रहते थे.
यह एक प्रवृत्ती है जो अच्छे को बुरे के रूप में और बुरे को अच्छे के रूप में समझती है. ऐसे व्यक्ति इस कदर डूब जाते हैं कि वे ना तो पश्चाताप कर पाते हैं और ना ही क्षमा प्राप्त करते हैं. इस श्रेणी में ‘यहूदा इस्किरियोती भी है जिसने उन्हें धोखा दिया था’ (व.19).
नये नियम हमें आश्वासन देता है कि जो पश्चाताप नहीं करेगा और यीशु की ओर नहीं मुड़ेगा, उसे क्षमा नहीं किया जाएगा.
यीशु आज मैं दूल्हे, मेरे प्रभु और परमेश्वर के पुत्र के रूप में आपकी आराधना करता हूँ.
निर्गमन 21:1-22:31
अच्छाई को बढ़ाएं और बुराई को रोकें
परमेश्वर के लोगों ने अपने समाज के लिए नियम तैयार किये थे. इनमें से कुछ नियम हमें बहुत अजीब और कठोर लग सकते हैं. फिर भी, यदि हम उनकी तुलना प्राचीन लोगों के नियमों से करें तो ये असाधारण रूप से मानवीय हैं और कुछ सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं.
ये नियम बुराई को सीमित करने के लिए बनाए गए थे. उदाहरण के लिए आत्मरक्षा का अधिकार, लेकिन आत्मरक्षा में अत्यधिक बल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये (22:2-3). हिंसा को बढ़ावा देने के विरूद्ध भी मनाई है और इसके लिए बराबर का दंड का भी प्रावधान है – ‘जीवन के बदले जीवन, आँख के बदले आँख......’ इत्यादि (21:23-25).
यह नियम स्पष्ट रूप से न्यायधीशों के लिए बनाए गए थे ना कि निजी व्यक्तियों के लिए (व्यवस्थाविवरण 19:18-21 देखें). यह न्यायधीशों के लिए दंडाज्ञा का मार्गदर्शन था. ऐसा जरा भी इरादा नहीं था कि लोग व्यक्तिगत रूप से इस तरह से बदला लें. वास्तव में, निश्चित रूप से मुख्य अपराधिक मामलों के अलावा इसे कभी नहीं माना गया. नियम में ज्यादा से ज्यादा दंड देने का ध्यान रखा गया था. सामान्य रूप से जुर्माने को आर्थिक दंड और क्षतिपूर्ति से बदल दिया गया था.
पुराने समय के पाठकों के लिए दासों के अधिकारों पर जोर देना परिवर्तनवादी रहा होगा. स्वामियों को ज्यादा से ज्यादा छ: सालों के बाद अपने दासों को मुक्त करना पड़ता था (निर्गमन 21:2), और दासों के साथ बुरा व्यवहार करने के विरूद्ध सख्त नियंत्रण था (वव.20, 26-27). महिला दासियों का विशेष रूप से ध्यान रखा गया था, जो पुराने समय की दुनिया में ज्यादा असुरक्षित होती थीं. उनके साथ पुरूष दासों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता था (व.7), लेकिन या तो उन से शादी कर ली जाए या फिर उन्हें छुड़ा लिया जाए (वव. 8-11).
उसी समय पर, प्राचीन इस्राएल के नियम के द्वारा अच्छाई को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया. परमेश्वर ने कहा, ‘तुम मेरे लिये पवित्र मनुष्य बनना’ (व.22:31अ). तो वहाँ ‘विदेशियों’ की सुरक्षा के लिए भी नियम थे (व.21), हम देखेंगे कि वहाँ गरीबों को उचित न्याय मिलने के लिए भी नियम बने थे (23:6). हरएक व्यक्ति को सिखाया गया था कि ‘पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना’ (लैव्य व्यवस्था 19:18).
उन नियमों ने ऐसे समुदाय को बनाने में मदद की जिसका आधार आपसी निर्भरता और भाईचारा था. हरएक अद्भुत नियमों ने लोगों को एक दूसरे का होने में और एक दूसरे की देखभाल करने में मदद की. यह पाठ हम सभी को सीखना चाहिये, खासकर 21वीं सदी के स्वतंत्र और अलग पर्यावरण में. हम कानून और नियमों को इसलिए नहीं मानते क्योंकि इन्हें मानना जरूरी है, बल्कि इसलिए कि ये किसी के साथ अच्छा व्यवहार करने में हमारी मदद करते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के स्वरूप में बनाये गए हैं.
प्रभु, मेरी मदद कीजिये कि मैं अपने जीवन में बुराई न करूँ बल्कि भलाई ही करूँ. मेरी मदद कीजिये कि मैं जिन लोगों के संपर्क में हूँ उनसे अच्छा व्यवहार करूँ क्योंकि उन्हें परमेश्वर के स्वरूप में – प्रेम, निष्ठा और आदर से बनाया गया है.
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
यीशु सब्त के दिन चंगा करते हैं (मरकुस 3:4-5) यह दर्शाता है कि उन्होंने पुराने नियम का अर्थ कितने शानदार तरीके से निकाला. इसके साथ-साथ निर्गमन 21 और 22 भी पढ़ें. < It is just as well having read Exodus 21 and 22.>.
इसके अलावा कामुक अभिलाषाओं को रोकने के लिए व्यवहारिक सुझाव द जीसस लाइफ स्टाइल, अध्याय 5 में पाया जा सकता है: ‘हाऊ टू अंडरस्टैंड सेक्स इन द 21 सेंचुरी’ :
https://shop.alpha.org/product/182/jesus-lifestyle-nicky-gumbel
References
नोट्स:
सी.एस. लेविस, मीअर क्रिश्चियनिटी, (हार्पर कोलिन्स, 2001), पन्ना 50
जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013), पन्ना 965
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में

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