एक वर्ष 2019 में बाइबलनमूना
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एक प्रेमी और बना रहने वाला संबंध
रॉक ग्रुप क्वीन के प्रमुख गायक फ्रेडी मर्क्युरी ने अपने आखिरी गीत में एक प्रश्न पूछा: 'क्या कोई जानता है कि हम किस लिए जी रहे हैं?'
अच्छा खासा ऐश्वर्य होने और हजारों लोगों को अपना प्रशंसक बनाने के बावजूद, फ्रेडी मर्क्युरी ने सन 1991 में अपनी मृत्यु से पहले यह कबूल किया कि वह बहुत ही अकेला था. उसने कहा, 'आपके पास दुनिया की सभी चीजें हो सकती हैं फिर भी आप सबसे अकेले व्यक्ति हो सकते हैं, और यह बहुत ही पीड़ादायक अकेलापन है. सफलता ने मुझे विश्व प्रसिद्ध बनाया और लाखों रूपये दिये, लेकिन इसने मुझे एक बात से रोके रखा जो हम सबके लिए जरूरी है – एक प्रेमी, बना रहने वाला संबंध.
केवल एक ही ऐसा संबंध है जो पूर्ण रूप से प्रेममयी और बना रहने वाला संबंध है जिसके लिए हम रचे गए हैं. इस संबंध के बिना हमें हमेशा अकेलेपन की भावना तथा अंतिम अर्थ और उद्देश्य की कमी महसूस होती रहेगी.
परमेश्वर के साथ संबंध मसीही विश्वास का केन्द्र है जहाँ हमें वह मिलता है जिसके लिए हम जी रहे हैं.
सृष्टि के रचयिता के साथ आप और मैं कैसे संबंध बना सकते हैं? हम व्यवहारिक रूप से परमेश्वर से बातचीत कैसे कर सकते हैं? इस संबंध का आधार क्या है?
भजन संहिता 28:1-9
प्रार्थना करने का तरीका विकसित करें
परमेश्वर के साथ संबंध विकसित करने के लिए उनसे बातचीत करने के द्वारा प्रार्थना एक मुख्य कुंजी है. ऐसा करने के लिए कोई निर्धारित पद्धति नहीं है. बाइबल में सैकड़ों तरह की प्रार्थनाएं हैं. कभी-कभी किसी खास पद्धति का पालन करना लाभकारी होता है (जैसे कि प्रभु की प्रार्थना). एक और तरीका जिसे मैंने मददगार पाया है और जिसे हम वचन में देखते हैं.
इस भजन का संदर्भ भय है – संभवत: मृत्यु का भय. दाऊद शायद बीमारी या गहरे दु:ख का सामना कर रहा था. उसे डर था कि त्यागे जाने के कारण वह कब्र में पड़ा रहेगा या 'पाताल में चला जाएगा' (व.1).
परमेश्वर से उसकी प्रार्थना इस प्रकार थी:
प्रभु मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ
'यहोवा धन्य हैं' (व.6अ); बल्कि ऐसी कठिन परिस्थिति में भी, दाऊद ने परमेश्वर की स्तुती करना चुना. चाहें जैसी परिस्थिति हो, परमेश्वर की स्तुती कीजिये - उसके लिए जो वह हैं और जो उन्होंने किया है. हम इसका एक और उदाहरण नये नियम के लेखांश में देखते हैं जब लोग यीशु की आराधना करते हैं (मरकुस 11:9-10).
मैं विनती करता हूँ
'तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले' (भजनसंहिता 28:2अ); आपने जो भी गलतियाँ की हैं उसके लिए परमेश्वर से क्षमा मांगिये. यह उन लोगों को क्षमा करने का भी समय है जिन्हें आपको क्षमा करना जरूरी है. जैसा कि यीशु आज के नये नियम के लेखांश में कहते हैं, 'जब कभी तुम खड़े होकर प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध, हो तो क्षमा करो: इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे' (मरकुस 11:25).
मैं आपको धन्यवाद दूँगा
'मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा' (भजन संहिता 28:7क). परमेश्वर अच्छे स्वास्थ्य, परिवार, दोस्तों आदि के लिए धन्यवाद. धन्यवाद देने का महत्व आज के पुराने नियम के लेखांश में भी देखा जा सकता है (लैवीयव्यवस्था 7:12-15).
मेरी याचना सुन लें
'...... जब मैं तेरी दोहाई दूं' (भजनसंहिता 28:2अ). खुद के लिए, अपने दोस्तों के लिए और दूसरों के लिए प्रार्थना कीजिये. दिलचस्प तरीके से दाऊद कहता है, ' तेरे पवित्र स्थान की भीतरी कोठरी की ओर अपने हाथ उठाऊं' (व.2ब). यह प्रार्थना का लगभग समानार्थक अर्थ नजर आता है. प्रार्थना में हाथों को उठाना आधुनिक विचार नहीं है; वास्तव में यह प्रार्थना का सबसे प्राचीन तरीका है.
प्रभु मैं आपकी तारीफ करता हूँ. मैं आपकी आराधना करता हूँ. प्रभु को स्तुती मिले..... प्रभु मैं अपने पापों को कबूल करता हूँ..... दया के लिए मेरी विनती सुन लीजिये और मेरे पापों के लिए मुझे क्षमा कीजिये.
मैं आपको धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप भले हैं. मेरी विनती सुनने के लिए धन्यवाद प्रभु. आज मैं आपसे मदद की विनती करता हूँ.....
मरकुस 11:1-25
विश्वास में प्रार्थना करें
नये नियम का ज्यादा जोर परमेश्वर के साथ विश्वास से संबंध बनाए रखना है. हम परमेश्वर के साथ संबंध बनाने का अधिकार कमा नहीं सकते; यह विश्वास से प्राप्त किया गया एक वरदान है. इस लेखांश में हम उस महत्व को देखते हैं जो यीशु ने विश्वास पर रखा है. उन्होंने कहा है, 'परमेश्वर पर विश्वास रखो' (व.22). वह कहते हैं ' जो कोई इस पहाड़ से कहे; कि तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो मैं कहता हूँ वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा' (व.23).
यीशु का परमेश्वर के साथ संबंध, विशेषकर प्रार्थना के द्वारा, उन सभी घटनाओं का मुख्य केंद्र है जिन्हें हम आज के लेखांश में पढ़ने जा रहे हैं. उन्होंने पुकारा 'होशाना' (वव.9-10), जो कि मूल रूप से खुशी से चिल्लाना और मदद के लिए पुकार दोनों थी, इसका अर्थ है 'उद्धार के लिए हम प्रार्थना करते हैं' या 'अब मुझे बचा'.
यरूशलेम में पहुँचने पर, यीशु लेन-देन करने वालों को बाहर भगा देते हैं, क्योंकि वह परमेश्वर के भवन में पवित्रता चाहते थे. वह कहते हैं, ' क्या यह नहीं लिखा है कि, "मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है"' (व.17).
यह लेखांश अपने शिष्यों को यीशु की शिक्षा से समाप्त होता है कि 'क्षमा प्राप्त न करना' प्रार्थना में और परमेश्वर के साथ अपने संबंध में रूकावट पैदा कर सकता है. वह कहते हैं, 'जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध, हो तो क्षमा करो: इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे' (व.25).
यीशु कहते हैं कि हमें किसी के विरूद्ध कुछ भी पकड़े नहीं रहना चाहिये. क्षमा करने की कोई सीमा नहीं है. क्षमा की कमी आपके संबंधों को खराब कर सकती है.
कभी-कभी क्षमा करने में बड़े साहस की जरूरत होती है, लेकिन यह संबंधों को बहाल करता है और आनंद लाता है. ऐसा कहा गया है कि, 'पहले क्षमा मांगने वाला सबसे बहादुर होता है. सबसे पहले क्षमा करने वाला शक्तिशाली होता है. पहले भूलने वाला सबसे खुश होता है.'
इन सभी घटनाओं में हस्तक्षेप करते हुए, अंजीर के पेड़ के दृष्टांत में यीशु प्रार्थना की सामर्थ को प्रदर्शित करते हैं. इससे वह अपने शिष्यों को विश्वास और परमेश्वर के साथ हमारे संबंध के परिणाम का महत्व सिखाते हैं.
अंजीर के पेड़ में पत्ते थे लेकिन उसमें कोई फल नहीं था. यीशु इसमें कहते हैं: 'अब से कोई तेरा फल कभी न खाए' (व.14). जिस तरह से जॉयस मेयर इस दृष्टांत को लागू करती हैं वह मुझे अच्छा लगा: 'यदि आपका जीवन चर्च के आसपास घूमता रहे, लेकिन कोई फल नहीं लाए, तो हम विश्वास से नहीं जी रहे हैं.' हम अपनी बाइबल पढ़ सकते हैं, चर्च में प्रचार सुन सकते हैं और प्रार्थना सभा में जा सकते हैं, लेकिन 'यदि किसी की मदद करने या दया दिखाने के लिए हमारे पास समय नहीं है, तो हम अंजीर के उस पेड़ के समान हैं जिसमें पत्ते तो हैं लेकिन कोई फल नहीं है...... यदि हम में पत्ते हैं, तो हम में फल भी होना जरूरी है.'
यीशु अतिशयोक्ति का इस्तेमाल करते हैं यह समझाने के लिए कि हमें विश्वास से प्रतिक्रिया करने के लिए परमेश्वर की तत्परता में पूरी तरह से भरोसा रखना चाहिये. रबिनिक साहित्य में कभी-कभी 'पहाड़' को अवरोध के रूप में दर्शाया जाता है. यीशु ऐसा कहना चाह रहे थे कि विश्वास की प्रतिक्रिया में असंभव नजर आने वाली रूकावटों को दूर करने के लिए आएंगे. वह कहते हैं, ' इसलिये मैं तुम से कहता हूँ, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा' (व.24).
प्रभु मुझे वह व्यक्ति बताइये जिसे मुझे क्षमा करने की जरूरत है. क्षमा करने में मेरी मदद कीजिये. आपके इस अद्भुत वायदे के लिए धन्यवाद कि 'जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा' (व.24). प्रभु आज मैं मांगता हूँ कि........
लैव्यव्यवस्था 7:11-8:36
यीशु के द्वारा परमेश्वर तक पहुँचें
पुराने नियम में परमेश्वर के पास याजक के द्वारा पहुँचा जाता था. पाप के कारण मनुष्य के साथ सीधे संबंध नहीं रख सकते थे. उन्हें याजक के द्वारा जाना पड़ता था और खासकर के उन्हें महा याजक की जरूरत पड़ती थी.
इस लेखांश में हम देखते हैं कि इस कार्य के लिए हारून किस तरह से अभिषेकित किया गया था. 'मूसा ने अभिषेक के तेल में से कुछ हारून के सिर पर डालकर उसका अभिषेक करके उसे पवित्र किया' (8:12). हारून यीशु मसीह का पूर्वज था. मसीह शब्द का अर्थ है 'अभिषेकित'. हारून की याजिकाई अविश्वसनीय थी; उसे लोगों के साथ-साथ खुद के पापों के लिए बलि चढ़ानी पड़ी. यीशु महा याजक हैं. यीशु के द्वारा हम विश्वास से परमेश्वर के साथ संबंध बना सकते हैं और उनके साथ सीधे संबंध स्थापित कर सकते हैं.
जैसा कि इब्रानियों पुस्तक के लेखक लिखते हैं, 'सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तब भी निष्पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।' (इबानियों 4:14-16).
वास्तव में, आपके पापों के लिए यीशु के बलिदान के कारण, आप पुराने नियम के याजकों से भी बेहतर स्थिति में हैं (इब्रानियों 10:22 की तुलना लैव्यव्यवस्था 8:30 से करें). पश्चाताप करने और क्षमा पाने के द्वारा परमेश्वर के साथ आपके संबंध पूरी तरह से बदल गए हैं और आप सीधे परमेश्वर की उपस्थिति में जा सकते हैं, जैसा कि पुराने नियम में याजक जाया करते थे जब वे मिलाप के तंबू में होते थे. 'तो आओ; हम सच्चे मन से, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं' (इब्रानियों 10:22).
प्रभु आपको धन्यवाद कि यीशु के द्वारा मैं साहस से अनुग्रह के सिंहासन के पास जा सकता हूँ और दया और कृपा पा सकता हूँ. मैं जो भी कहूँ या करूँ उन सब में आपसे दया और अनुग्रह मांगता हूँ. आपके समीप बने रहने में और आपके साथ प्रेमपूर्वक संबंध में बने रहने में और चलने में मेरी मदद कीजिये।
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
भजन संहिता 28:6-9
मुझे यह संयोजन पसंद है कि, परमेश्वर हमारी ताकत हैं और सुरक्षा हैं और वह एक नम्र चरवाहा हैं जो हमें सदा लिये फिरते हैं.
References
नोट्स:
जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013) पन्ना 1583
क्वीन, 'द शो मस्ट गो ऑन', पार्लोफोन, 1991, संगीत © EMI Music Publishing
शॅरोन फेंस्टीन, सनडे मैगेज़ीन. फ्रेडी मर्क्युरी – 'रॉक ऑन फ्रेडी' (मई 1985)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में
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