पहाड़ी उपदेश नमूना
![पहाड़ी उपदेश](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fimageproxy.youversionapistaging.com%2Fhttps%3A%2F%2Fs3.amazonaws.com%2Fyvplans-staging%2F16621%2F1280x720.jpg&w=3840&q=75)
यीशु और उनकी आशीषों को प्राप्त करने के बाद , यीशु मसीहों में दो बातों को पसंद करते हैं – नमक और ज्योति । नमक का क्या काम होता है और वह किस काम के उपयोग में लाया जाता है ? और ज्योति का क्या काम होता है ? नामक सर्वप्रथम स्वाद के लिए उपयोग किया जाता है । नमक के बिना भोजन स्वादहीन होता है । इसी प्रकार हमें अपने स्वाद से इस स्वादहीन संसार को स्वाद निहित बनाना है । नमक को सड़ने और ख़राब होने से बचने के लिए भी उपयोग किया जाता है । इसलिए परमेश्वर ने मसीहों को भी इस संसार में इसलिए रखा है कि वे भी नष्ट होते संसार को बचाने का काम करें । नमक के सेवन से लोगों को प्यास भी लगती है। इसी प्रकार जब लोग हमारे सम्पर्क में आते हैं तो हमारे द्वारा उनके अन्दर परमेश्वर के जीवित वचन के लिए प्यास उठनी चाहिए ।
हमको ध्वनि नहीं लेकिन ज्योति से तुलना करने का अर्थ है कि हमारे कामों की ज्योति हमारे कामों के शब्दों की तुलना में अधिक तेज़ी से चले । स्मरण करिए , यीशु ने कहा , “तुम्हारा उजियाला दूसरों पर चमके जिससे कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर....” उसने ऐसा नहीं कहा “ तुम्हारा शब्द दूसरों के सामने गूंजे जिससे कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर......”
ज्योति में एक और विशिष्ट बात है कि जब ज्योति की एक सफ़ेद किरण त्रिकोणीय प्रिज्म से होकर गुज़रती है तो वह अनेक रंगों में फ़ैल जाती है । इसी प्रकार जब हमारा जीवन परमेश्वर की त्रिएकता के प्रिज्म से होकर गुज़रता है तो वह इस रंगहीन संसार में अनेकों रंगों में फ़ैल जाता है ।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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इस क्रम में पहाड़ी उपदेशों को देखा जाएगा (मत्ती 5-7)। इससे पाठक को पहाड़ी उपदेश को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलेगी और उससे जुड़ी बातों को रोज़मर्रा के जीवन में लागू करने की समझ भी प्राप्त होगी ।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए RZIM भारत को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://rzimindia.in/