टेस्टिंग, टेस्टिंग, टेस्टिंग: एक सुरक्षा जांचनमूना
घर पर मैंने पूर्वी यूक्रेन से एक बहुमूल्यउपहार दिखाया,जो मुझे कई साल पहले दिया गया था।पिछले संघर्ष के दौरान उस युद्धग्रस्त क्षेत्र में अपने जीवन को बख्शा जाने के बाद,एक पादरी ने अपनी छत से लकड़ी ली, जिस पर बम गिरा थाऔर सुरक्षा कि प्रतिज्ञा लिखी: "मैं शान्ति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा;क्योंकि,हे यहोवा,केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है" (भज. 4:8)। खराब लकड़ी मुझे दिन-रात सांत्वना देते हुए प्रभु पर भरोसा करने के लिए याद दिलाती है।मै आपको भजन सहिंता मे समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ- सुरक्षा के लिए यह मेरा पहला उपाय और सबसे अच्छा अनुस्मारक है।इस्वरीय सत्य और मानव समानता के अनुभव के कारण,आप अपनी व्याकुलता को पुराने संतों के साथ बाँट सकते हैं जो इसे आपके साथ ले जायेंगे।
अपने खोज यंत्र मेभरोसा के भजनढूंढे। अपनी खोज मेंधन्यवाद के भजनोंको जोड़ें,मननकरने के लिए और भी बहुत कुछ होगा। आप न केवल अगले जीवन के लिए,बल्कि आज के लिए भी इस्वरीयसुरक्षा की अविश्वसनीय घोषणाओं से अभिभूत हो जाएंगे।शांत प्रतिबिंब के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार प्रसिद्धभजन संहिता 46है। परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है,संकट मेअति सहज से मिलनेवाला सहायक।मेरी स्थितियों में परमेश्वर की उपस्थिति मेरे लिए अटल सुरक्षा का अंतिम स्रोत है। जैसे ही राजा और राज्य हमेशा के लिए गिर जाते हैं,सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा अपने लोगों की रक्षा करता है।
पद 10 के पिछ्ले भाग को नज़रअंदाज़ न करें:“चुप हो जाओ,और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान् हूँ। मैं पृथ्वी भर में महान् हूँ”(इटैलिक जोड़ा गया)।विश्वासियों को शांत रहना है,चिंता में प्रयास करना बंद करना है और हमारे परमेश्वर के वायदों में सुरक्षा प्राप्त करना है,जो इस वैश्विक तबाही के माध्यम से ऊंचा उठाया जाएगा।त्रिएकता-आधारित आत्मिकता जीवन को पिता की,पुत्र की और पवित्र आत्मा की ओर उन्मुख करती है।हम पिता की महिमा के लिए परिपक्व होते हैं। वह हमारे अस्तित्व का कारण है। आत्मिक वयस्कों ने पिता के प्रति सम्मान बढ़ाना सीख लिया है। जब वे परीक्षाओं के बीच में परमेश्वर की दुहाई देते हैं तो वे उसकी विधि—उसकी भलाई,शक्ति और ज्ञान—को प्रप्त करते हैं।भक्ति में परिपक्व होने का मतलब है कि हम जिस भी परिस्थिति में हैंपिता परमेश्वर को महिमा देते हैं ।
हम पुत्र के नाम पर परिपक्व होते हैं। वह हमारी सहायता और हमारा आदर्श है। यूहन्ना की पुस्तक के महान अंश,विशेष रूप से यूहन्ना 15 में लिखा है कि मसीह के बिना हम कुछ नहीं कर सकते।जब तक हम उसमें बने न रहें,तब तक कोई स्थायी फल नहीं होगा। मसीहियों को भी यीशु की तरह परिस्थितियों से गुजरना चाहिए - नम्रता से,सेवा और बलिदान के अवसरों की तलाश करते हुए। हम पिता को पुत्र के नाम से पुकारते हैं,,अन्यथा वो हमें नहीं सुनेगा।हम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब उसका नाम हर नाम से ऊपर पहचाना जाएगा - यहां तक कि महामारियों और युद्धों के नामसे भी।जितना अधिक हम यीशु के नाम के साथ पहचान करते हैं,हम उतने ही अधिक परिपक्व और अधिक मसीही होते हैं।हम आत्मा की शक्ति से परिपक्व होते हैं। वह हमें मसीह के समान बनने में सक्षम बनाता है। हम घोषणा करते हैं कि हम आपदा से निपटने के लिए अपर्याप्त हैं।आत्मा के बिना,आत्मिक जीवन शक्ति असंभव है। हम कठिन परिस्थितियों का उपयोग देह को सांचे में ढालने के बहाने के रूप में नहीं कर सकते।पवित्र आत्मा के साथ तालमेल आत्मिक परिपक्वता की ओर ले जाता है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
तीन-भागों की श्रृंखला के अंतिम भाग में, डॉ रमेश रिचर्ड, जो RREACH (वैश्विक स्तर पर सुसमाचार सुनाने वाली सेवकाई) के अध्यक्ष और डालास थियोलोजिकल सेमिनरी के आचार्य हैं,अंतिम "जांच" की चर्चा करते हैं, कि विपत्ति और व्यवधान एक विश्वासी को - एक "सुरक्षा जांच” प्रदान करते हैं । अंततः त्रिएक मसीही विश्वास की छाया और सशक्तिकरण के तहत हमें अपना जीवन जीने की स्वतंत्रता है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए रमेश रिचर्ड इवेंजेलिज़्म और चर्च हेल्थ को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://rreach.org/