परिवर्तन की पुकारनमूना
सत्य को गले लगाना
पीलातुस ने यीशु से पूछा, "सत्य क्या है?" क्योंकि वह (हमारी तरह) एक ऐसी दुनिया में रहता था जिसमें कहा गया था कि "सत्य वही है जिसे आप चुनते हैं!" दुख की बात है कि वह एक ऐसे व्यक्ति के सामने खड़ा था जो स्वयं ‘सत्य’ है और फिर भी उसे पहचान नहीं पाया। यीशु पिछले दो हज़ार वर्षों से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और विजयी हुआ है क्योंकि सत्य की हमेशा जीत होती है।
यदि हम सत्य से आंखें मूंद लेते हैं तो हम पश्चाताप नहीं कर सकते या परमेश्वर के साथ यात्रा शुरू नहीं कर सकते। हमें यह जानने की जरूरत है कि परमेश्वर सत्य और प्रकाश है और उसमें कोई अंधकार या झूठ नहीं है। हम उसकी आराधना आत्मा और सच्चाई से करते हैं, क्योंकि वह सत्य का आत्मा है। ईश्वरत्व का दावा करने वाले किसी भी आत्मा को इस एक गज की छड़ी से पता लगाया जा सकता है;कियह सत्य की आत्मा है या झूठ बोलने वाली आत्मा।
परमेश्वर झूठ नहीं बोल सकता, यह असंभव है! सत्य परमेश्वर का सार है और मसीहा इस सार का प्रतिबिंब है। इसलिए, जब हम अपने संकट में प्रभु को पुकारते हैं, तो हम उनसे झूठ बोलने वाले होंठों से छुड़ाने के लिए कहें;वे झूठ जो हम अपने आप से कहते हैं, वे झूठ जिनपर हमने विश्वास किया है और धोखापाया है, या वे झूठजो हम दूसरों को बताते हैं।
इस योजना के बारें में
बिना किसी बदलाव के जीवन ठहर जाता है और ख़ुद को प्रदूषित कर देता है। यह, व्यक्ति को आशाहीनता , मायूसी और पराजय की भावना के साथ छोड़ देता है। किसी भी आत्मा के लिए सबसे अच्छी आशा यह हैं की वे अपनी भीतरी निराशा और हताशा को पहचाने और उस से मुड़ने और परिवर्तित होने के लिए इश्वरीय सहायता प्राप्त करें।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए डोनाल्ड डा कोस्टा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/harvestofgracechurch/ |