परिवर्तन की पुकारनमूना
बहुत हो गया!
संघर्ष और असामंजस्य, पतन के समय, आत्म-उत्थान की चाहत करने वाले पुरुष और महिला का परिणाम था। प्रत्येक ने एक दूसरे को दोषी ठहराया और यहां तक कि शैतान और परमेश्वर को भी दोषी ठहराया। हर किसी और हर चीजमें गलती देखना और अपने किएकी जिम्मेदारी न लेने की आवश्यकता मानवीय स्वभाव के लिए स्थानिक है। यह वह कण है जो संघर्षों और युद्धों को प्रेरित करता है, और परिवारों में, हमारे समाजों और हमारे राष्ट्रों में संबंधों को नष्ट करता है।
जब हम अपने दिलों में बदलाव चाहते हैं तो यह हमारे रिश्तों में भी बदलाव लाएगा, चाहे वह करीबी और प्रिय परिवार, दोस्त, सामुदायिक रिश्ते और यहां तक कि हमारे क्षेत्रों और राष्ट्रों के लोग भी हों।
हमदूसरों को किस नजर से देखते है और उनके साथ कैसा व्यवहार करते है या इसके विपरीत, आत्मा के लिए एक महत्वपूर्णविषयहै जो हमारी वर्तमान स्थितिमें परिवर्तन की मांग करताहै ताकि हम परमेश्वर के समीप आजाए!
परिवर्तन हमें अपने संबंधों और सामाजिक पूर्वाग्रहों (पक्षपात) की जांच करने और हमारे साथ रहने वाले लोगों के साथ अपने संबंधों में अपनी सोच, दृष्टिकोण और पूर्वाग्रहों को बदलने के लिए बुलाएगा।
हमारे जीवन में बुने गए रिश्तों में शांति बहाल किए बिना परमेश्वर से प्यार करने का कोई ‘शॉर्टकट’ नहीं है। परमेश्वर से प्रेम करना और एक दूसरे से प्रेम करना यही दो बातें है जो सारी सृष्टि के परमेश्वर के साथ हमारा संबंध और विश्वास को मजबूत बनाए रखते है!
इस योजना के बारें में
बिना किसी बदलाव के जीवन ठहर जाता है और ख़ुद को प्रदूषित कर देता है। यह, व्यक्ति को आशाहीनता , मायूसी और पराजय की भावना के साथ छोड़ देता है। किसी भी आत्मा के लिए सबसे अच्छी आशा यह हैं की वे अपनी भीतरी निराशा और हताशा को पहचाने और उस से मुड़ने और परिवर्तित होने के लिए इश्वरीय सहायता प्राप्त करें।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए डोनाल्ड डा कोस्टा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/harvestofgracechurch/ |