परिवर्तन की पुकारनमूना

परिवर्तन की पुकार

दिन 4 का 5

मैं घर से बहुत दूर भटक गया हूँ!

जब हम महसूस करते हैं, कि हमारे भीतर ऐसे क्षेत्र और मुद्दे हैं जो परमेश्वर से उतने ही दूर हैं जितने कि इस्राएल मेशेक से है; तब हम अपने दयनीय अस्तित्व पर शोक मनाएंगे!

जब हमारे जीवन में ऐसे क्षेत्र या मुद्दे सामने आते हैं जो परमेश्वर और हमारे बीच अधर्मी दूरियों को दर्शाते हैं, तो हमें प्रार्थना और पश्चाताप द्वारा अपने सोच, मूल्यों, प्रथाओं और जीवन शैली में बदलावकरने की आवश्यकता है!

पश्चाताप की प्रार्थना हमें यह देखने में मदद करती है कि हम केदार के वीरान-भूमी में लक्ष्यहीन और भटकने वाले लोग नहीं हैं। पश्चाताप हमें पूरी तरह से मोड़ने और परमेश्वर की पवित्रता और भलाई की ओर बढ़ने में हमारीमें मदद करता है।

परमेश्वर के बुद्धिमान पुरुष या महिलाएं अपने दुख को पश्चाताप की जीवन शैली में निर्देशित करते हैं जो हमारे नैतिक दिवालियापन को पहचानती है और परमेश्वर के तरीकों और इच्छा को गले लगाने में मदद करता है।

थॉमस कार्लाइल; 19वीं सदी के एक प्रसिद्ध स्कॉटिश निबंधकार और दार्शनिक ने कहा: "मनुष्य के सभी कार्यों में पश्चाताप सबसे दिव्य है। सभी दोषों में सबसे बड़ा दोष यह है कि, किसी भी दोष के प्रति हम सचेत न रहें।"

इसलिए आइए और अपने संकट में सचेत रूप से अपने जीवन में कमियों और पापों की जाँच करें और परिवर्तन के लिए ईश्वर को पुकारें, यह जानते हुए कि हमारी प्रार्थना के दूसरे छोर पर परमेश्वर स्वयं हमें गले लगाने, पुष्टि करने और जवाब देने की प्रतीक्षा करते हैं।

दिन 3दिन 5

इस योजना के बारें में

परिवर्तन की पुकार

बिना किसी बदलाव के जीवन ठहर जाता है और ख़ुद को प्रदूषित कर देता है। यह, व्यक्ति को आशाहीनता , मायूसी और पराजय की भावना के साथ छोड़ देता है। किसी भी आत्मा के लिए सबसे अच्छी आशा यह हैं की वे अपनी भीतरी निराशा और हताशा को पहचाने और उस से मुड़ने और परिवर्तित होने के लिए इश्वरीय सहायता प्राप्त करें।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए डोनाल्ड डा कोस्टा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/harvestofgracechurch/