सही दिशा में उठाये कदमनमूना

सही दिशा में उठाये कदम

दिन 1 का 3

बर्फ के गोले का प्रभाव

जब हम सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं,तो हम शान्ति लाते और जीवनों में परिवर्तन लाते हैं। घटनाओं के क्रम के साथ यह सिलसिला यूहन्ना बपतिस्ता देने वाले के द्वारा यीशु का परिचय परमेश्वर के मेम्ने के रूप में देने के साथ प्रारम्भ आगे बढ़ा दी गयी। यूहन्ना का सारा जीवन यीशु अर्थात अभिषिक्त मसीह,और परमेश्वर के पुत्र की ओर संकेत करतेः और खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हुए बीत गयी जिसके जीवन का मकसद केवल यह बताना था कि वह अर्थात यीशु कौन है। मैं ने अपने जीवन में केवल एक ही ऐसे व्यक्ति को देखा है जो इस बात से अति प्रसन्न था कि वह अर्थात प्रभु बढ़े और वह स्वयं घटे।

तुरन्त बाद,उसके दो चेले यीशु की बातों और उसकी आकर्षक उपस्थिति की वजह से प्रभावित होकर,उसके पीछे पीछे यह देखने के लिए गये कि वह कहां रहता है। उसके बाद इन्द्रियास ने प्रेरित होकर अपने भाई शिमौन को अपने जीवन परिवर्तन करने वाली प्रभु से हुई मुलाकात के बारे में बताया,और उससे कहा कि वह अपना जाल छोड़कर और अपने हाथों को डिटौल से धोकर,साफ कर लें और आकर अति विशेष जन से मिल लें। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। अगले दिन,यीशु स्वयं फिलिप्पुस को खोजने गये,और उसके बदले में उसे उसका दोस्त नतनएल मिल गया जो एक अंजीर के पेड़ के तले विश्राम कर रहा था। नतनएल पहले पहल तो बहुत चकित हुआ - मसीह को तो छोड़ो,क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है?लेकिन जब उसका सामना यीशु के साथ हुआ तो उसका सारा सन्देह सवेरे की ओस के समान गायब हो गया। ये लोग आगे बढ़ते गये और जैसे बर्फ के गोले में बर्फ चिपकती जाती है वैसे ही परिवर्तित जीवनों की संख्या बढ़ती गयी जो आने वाले पीढ़ी के लिए पदचिन्ह पीछे छोड़ते गये।

यीशु के पीछे पीछे क्रूस तक जाने वाली दुःखित महिला अपना मुंह ढांपे रोती रही,और वह किसी भी तरह से उस भयानक सताव में यीशु की मदद नहीं कर पा रही थी। उनके हृदय दुःख के कारण पिघल गये और वे निराश थे,लेकिन अन्ततः वे अपने अपने घरों को वापस हो गये। वे कर भी क्या सकते थे?लेकिन इसके बावजूद भी मरियम मगदिलीनी ने पौ फटने से पहले कब्र पर जाने का निर्णय लिया,जबकि वहां पर घना अन्धेरा था और पहरेदार भी पहरा दे रहे थे और कब्र पर बढ़ा पत्थर रखा हुआ था। ऐसा प्रतीत होता है कि वह गलत दिशा में,गलत स्थान पर,गलत समय में गयी,लेकिन उसका प्रतिफल यह हुआ कि वह मृत्यु में से जी उठे उद्धारकर्ता को देखने वाली पहली गवाह ठहरी।

अब आप जक्कई पर ध्यान दें। उसका गूलर के पेड़ पर उसकी बेल-बूटा का सहारा लेकर चढ़ना बेफायदा नज़र आता है,वह चढ़ते समय आधे में ही अटक गया,लेकिन यह काम गजब का था क्योंकि इसकी वजह से मसीह की नज़र उस पर पड़ गयी,और वह वहां से उन भेदने वाली आंखों को देख पाया जिसने उसके जीवन को प्रगट कर दिया। जो मार्ग का अन्त प्रतीत हो रहा था वास्तव में वही उसके लिए नये जीवन का प्रारम्भ ठहरा।

यदि आप किसी छोर पर खड़े हैं,तो याद रखें कि अगर किसी वजह से गिरे तो आपको सम्भालने के लिए नीचे यीशु खड़े हुए हैं।

दिन 2

इस योजना के बारें में

सही दिशा में उठाये कदम

यह जानना कि हमें क्या चाहिए और हमारे लक्ष्य की ओर बढ़ना कोई बुरी बात नहीं है, बेशर्ते हम परमेश्वर के वचन की ज्योति में चल रहे हों। बहुत से लोग सही दिशा में कदम उठाते हैं और उपलब्धि हासिल करने वाले बन जाते हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग किसी काम को करने की शुरूआत तो करते हैं लेकिन अन्त में पूर्ण विराम बन जाते हैं।

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हम यह योजना प्रदान करने के लिए Rani Jonathan को धन्यवाद देना चाहते हैं। और अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें: http://ourupsdowns.blogspot.com/