परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रानमूना

परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रा

दिन 12 का 13

तीतुस - दोहरी पकड़

हम उन शक्तिशाली धर्मनिरपेक्ष प्रभावों को कैसे संतुलित करते हैं जो लगातार हमारे दिमागों पर हमला कर रहे हैं, साथ ही हमारी आत्मिक बुलाहट हमें एक अलग दिशा में ले जा रही है? पौलुस अपने एक साथी तीतुस को एक अच्छी "दोहरी पकड़" पाने के लिए प्रोत्साहित करता है - खुद पर एक अच्छी पकड़ और संदेश पर एक अच्छी पकड़ (तीतुस 1:8,9)।

कहावत "कार्य शब्दों से अधिक ज़ोर से बोलते हैं" आत्मिक जीवन पर लागू होता है। अपने अभिवादन में पौलुस "सच्चाई का ज्ञान जो भक्ति के अनुसार है" (तीतुस 1:1) की बात करता है।

मूलरूप से जैसे-जैसे हमारा जीवन धार्मिकता में बढ़ता है, वैसे-वैसे परमेश्वर के बारे में हमारा ज्ञान भी बढ़ता है। दूसरी ओर, कलीसियाओं में ऐसे लोग हैं जो अपने कार्यों से यीशु का इन्कार करते हैं (तीतुस 1:11,16)।

मसीह ने हमें "कर्मों के आधार पर नहीं" 1:5 बचाया। हालाँकि इसका परिणाम यह होना चाहिए कि "जिन्होंने परमेश्वर पर विश्वास किया है, वे भले कामों में लगे रहने में चौकसी करेंगे" (तीतुस 1:8)

मसीह हम में काम कर रहा है “हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में उत्साही हो।" तीतुस 2:11,14

पौलुस की सलाह सभी प्रकार के लोगों को संबोधित करती है।

जिम्मेदार को जगाना

वह इन्हें विशेष सलाह देते हैं:

अध्यक्ष (तीतुस 1:6-9) वचन पर स्थिर रहे , सबसे पहले अपने परिवार के बच्चों के जीवन में निवेश करें और जिन के लड़के विश्वासी हों , परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष हों, क्रोधी न हों और न नीच कमाई के लोभी हों।

बूढ़ों को (तीतुस 2:2) बूढ़े पुरूष, गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और धीरज पक्का हो

बूढ़ी स्त्रियाँ (तीतुस 2:3) चाल चलन पवित्र, अच्छी बातें सिखानेवाली हों

जवान स्त्रियाँ (तीतुस 2:4,5) अपने पतियों से प्रेम करें और उन के अधीन, पवित्र और मेहनती हों

जवान पुरूष (तीतुस 2:6) आत्मसंयमी हों

दास (तीतुस 2:9) स्वामी के आधीन, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न करने वाले और ईमानदार हों

प्रतिघाती को डांट

हमेशा कुछ ऐसे लोग होते हैं जो दूर होते जाते हैं। हम अक्सर हस्तक्षेप नहीं करना चाहते; हमें लगता है कि पवित्र आत्मा या पादरी को इससे निपट ने देना पर्याप्त है। लेकिन हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनसे अधिकार से बात करें ताकि वे विश्वास में वापस आएं। (तीतुस 1:13, 2:15)

विद्रोहियों को अस्वीकार करें

हम सहनशीलता के युग में रहते हैं। वस्तुतः हर चीज़ को स्वीकार किया जा रहा है। हालाँकि, कलीसिया में, जो लोग इसे तोड़ रहे हैं है और बाधित कर रहे हैं, उनसे गंभीरता से निपटना होगा। हमें इसमें शामिल लोगों को पहचानने की जरूरत है:

बेईमानी (नीच कमाई) से प्राप्त लाभ (तीतुस 1:10,11)

सत्य से भटकने द्वारा धोखा (तीतुस 1:14)

कामों से उसका इन्कार (तीतुस 1:16)

विवादों द्वारा अवज्ञा (तीतुस 3:9-11)

क्या हम धार्मिकता प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? परमेश्वर हमें किन "अच्छे कार्यों" पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर रहा है? हम वचन और कार्यों की यह "दोहरी पकड़" कैसे हासिल कर सकते हैं?

पवित्र शास्त्र

दिन 11दिन 13

इस योजना के बारें में

परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रा

क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/