“महज तु धरमगुरुसब आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब पुदिना, सोप आ जिराके दसांस त चरहाइचिही, महज बेबस्थामे रहल गहनगर बातसब नियाय, दया आ बिस्बास योग्य जखा बहौत असल बातसबके कुछो मतलब नै राखैचिही। महज करैके एहो छेलौ कि तुसब बेबस्थामे रहल बातसबके माने परतियौ।