सच्ची कहानी, यीशु की जुबानीनमूना
1967 की सुपर हिट फिल्म 'उपकार’ में मनोज कुमार ने, मेरे देश की धरती, इस सदाबहार गीत को गाया था ,जो आज भी पसंदीदा है। हर भारतीय ऐक किसान की भावना को समझ सकता है और यही कारण था इस गीत का इतना लोकप्रिय होना। कई सदियों बाद, लगान नामक फ़िल्म बनी, जिसमें कुछ बहादुर किसानों की कहानी दिखाई गई हैं,जिन्होनें एक बेतुके भूमि कर को चुकाने से इन्कार कर दिया और इसके बजाय क्रिकेट के खेल में, पराक्रमी ब्रिटिश साम्राज्य को हरा दिया! किसोनो की मेहनत और साहस रंग लाती है, और गाँव में आनन्द और नृत्य के साथ कहानी का अंत होता है!
यीशु ने भी दृष्टांत में ऐसी कहानी का जिक्र किया। लूका 10:2 में, यीशु संसार की तुलना खेत से और लोगों की तुलना फसल से करता हैं। अच्छी खबर यह हैं कि है; फसल बहुत है (अपने आसपास देखें, हम 135 करोड़ आबादी वाले देश में रहते हैं !) परमेश्वर ने कई लोगों के हृदयों को तैयार किया है, की वह यीशु को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता स्वीकार कर सके। और वही है,जो किसी के हृदय को बदल सकता हैं और उद्धार के कार्य को शुरू कर सकता है।
फिर भी परमेश्वर हमें इस कार्य,में शामिल करता हैं, कि हम फसल इकट्ठा करे। तो परमेश्वर ही हैं जो खेत में फल ले आता हैं, और इसे इकठ्ठा करना, हमारी जिम्मेदारी है।
लेकिन एक समस्या है जिसे सुलझाने की ज़रूरत है। फसल को इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त मजदूर नहीं हैं। दोस्तों, हम वे मजदूर हैं जिन्हें बाहर निकलने और फसल ले आने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं।
प्रभु हमें आमंत्रित करता हैं कि हम फसल ले आने में उसके सहकर्मी बने। हम या तो एक आलसी या तो एक वफादार और मेहनती मजदूर हो सकते हैं। मत्ती २५:१४-30 में मेहनती सेवक को ईमानदारी से मेहनत करने के लिए अपने मालिक से ‘शाबाशी’ मिलती हैं लेकिन दुष्ट सेवक को एक कड़ी फटकार। दिलचस्प बात यह है कि उस सेवक ने कोई पाप नहीं किया था फिर भी उसे दुष्ट कहा गया। जो पाप करते हैं केवल वही नही, पर जो सही बातों को नहीं करते हैं उन्हें भी शास्त्र में दुष्ट कहा गया हैं।
सुसमाचार बाटने की परमेश्वर की बुलाहट की हम कैसी प्रतिक्रिया देते हैं, वह निर्धारित करता है कि न्याय के दिन वह हमें कैसी प्रतिक्रिया देगा। मैं 'शाबाश' सुनने के लिए तैयार हूँ... और आप?
इस योजना के बारें में
एक ज़बरदस्त कहानी किसे पसंद नहीं आती? एक्शन हो या रोमांस, सस्पेंस या थ्रिलर, हम भारतीयों को हमारी फिल्में और उनसे जुड़ी कहानियां बहुत पसंद हैं। यीशु को भी कहानियां पसंद थीं! एक बात को साबित करने के लिए उन्होंने अक्सर सनसनीखेज कहानियां सुनाईं। अगले चार दिनों में, हम ४ ऐसी कहानियों को समझेंगे और दूसरों के साथ परमेश्वर के प्रेम को बांटने की प्रेरणा पाएंगे।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए हां में धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://yhm2h.app.goo.gl/NqrH