निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

दिन 10 का 365

जीवन के तूफानों का सामना करना

31 जुलाई 2003 को साहसिक बीयर ग्रिल्स ने हवा वाली एक छोटी मजबूत नाव में पाँच लोगों के दल की पूरे उत्तरी अटलांटिक सागर में अगुआई की. वे हॆलिफॅक्स, नोवा स्कोटिया से जॉनो ग्रोट्स, स्कॉटलैंड तक गए. 5 अगस्त, को एक बड़ा तूफान उठा. वहाँ पर 100 फुट ऊँची लहरें थीं. उनका सैटेलाइट से संपर्क टूट गया. उन्हें (और हमें) अपने जीवन का डर लगने लगा. कृतज्ञता पूर्वक कहानी बताते हुए, वे बच गए (बीयर ग्रिल्स द्वारा फेसिंग द फ्रोज़न ओशियन देखें).    

 

हम में से किसी को इस तरह के भौतिक तूफानों का सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन यीशु ने कहा है कि हम सभी को जीवन के तूफान का सामना करना पड़ेगा (मत्ती 7:27-27). जीवन आसान नहीं है. जीवन के तूफान कई हैं और ये अलग अलग हैं. जब हम आज का पद्यांश देखते हैं, तो अब्राहम, दाऊद और यीशु के शिष्य इन सभी ने अपने जीवन में तूफान का सामना किया था. हम उनके उदाहरण से क्या सीख सकते हैं? 

भजन संहिता 7:10-17

विश्वास की ढाल लें

 

तूफान के बीच में दाऊद कहता है, ‘मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है..... मैं यहोवा के धर्म के अनुसार उसका धन्यवाद करूंगा, और परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊंगा॥’ (वव. 10अ, 17). 

यदि हम सब अभिलाषा में गिर जाएं और इसका आनंद लेने लगें और इसे बढ़ाएं, तो दाऊद चेतावनी देता है कि, ‘दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएं हो रही हैं, उसको उत्पात का गर्भ है, और उससे झूठ उत्पन्न हुआ।’ (व.14). दूसरी कल्पना में ‘उसने गड़हा खोदकर उसे गहरा किया,  और जो खाई उसने बनाई थी उस में वह आप ही गिरा’ (व.15).  

 

प्रेरित पौलुस कहते हैं कि तुम्हें एक ढाल लेनी है जिससे तुम दुष्ट के सभी जलते हुए तीरों को बुझा सको (इफीसीयों 6:160. ढाल यानि ‘विश्वास की ढाल’ है या जैसे दाऊद यहाँ पर लिखते हैं, उसकी ढाल ‘परम प्रधान परमेश्वर हैं’ (भजन संहिता 7:10). शत्रु के आक्रमण के विरूद्ध यह सबसे अच्छी सुरक्षा है. 

 

प्रभु, मैं आपको धन्यवाद करता हूँ कि, मैं भजन लिखनेवाले के साथ कह सकता हूँ कि, ‘परम प्रधान परमेश्वर मेरी ढाल हैं.’

मत्ती 8:23-9:13

उद्धारकर्ता यीशु पर विश्वास करें

 

हमारे जीवन में कभी-कभी तूफान बिना किसी चेतावनी के आ जाता है. यीशु अपने शिष्यों के साथ नाव में सो रहे थे, ‘और देखो, बिना चेतावनी दिये, झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरों से ढंकने लगी;’ (8:24).

 

संभवत: शिष्य गलील के सागर में इन तूफानों के आदी हो चुके थे; पर वहाँ अचानक से तूफान आना एक खास बात थी, जिसमे 20 फुट ऊँची लहरें उठ रहीं थीं. फिर भी, यह तूफान खास तौर से गंभीर रहा होगा, क्योंकि शिष्यों ने यीशु को जगाकर कहा, ‘हम नाश हुए जाते हैं! ’ (व.25).  

 

तूफान के समय में घबरा जाना स्वाभाविक है (अवश्य ही, मैं घबरा जाता हूँ). कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि यीशु ‘सो रहे हैं’ (व.24). और ऐसा नहीं लगता कि वह हमारी परेशानियों के लिए कुछ कर रहे हैं. धन्यवादपूर्वक, हम सब कोशिश कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने कहा, ‘हे प्रभु, हमें बचा!’ (व. 25).   

 

तूफान के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया डर और सन्देह है. यीशु हमें बताते हैं कि तूफान के लिए प्रतिक्रिया में भरोसा होना चाहिये (‘हे अल्पविश्वासियों’, व.26अ) और यह कि आपको डरना नहीं चाहिये (‘तुम क्यों डरते हो?’, 26अ). यीशु तूफान को शांत करने में सक्षम हैं और उन्होंने ऐसा ही किया.

 

उन्होंने सारे तत्वों पर अपना नियंत्रण दिखाया (‘आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं! ’ (व. 27). यीशु धन संपत्ति के बजाय लोगों के बारे में ज्यादा चिंतित थे, उन लोगों से भिन्न जब उन्होंने यीशु से विनती की कि हमारे क्षेत्र से बाहर निकल जा॥ (व. 34).

यीशु आगे कहते हैं कि चंगाई से ज्यादा महत्वपूर्ण क्षमा है. लेकिन चंगाई महत्वहीन नहीं है. यीशु ने दोनों किया. उन्होंने लकवे के मारे व्यक्ति पर प्रार्थना करके बीमारी और विकलांगता पर अपनी सामर्थ दिखाई (9:1-2).  ‘लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है॥’ (व.8, एमएसजी). 

 

तूफान के बीच में शांति के पल भी आते हैं. आज का पद्यांश ऐसे क्षण के साथ समाप्त होता है जिसमे यीशु मत्ती से कहते हैं मेरे पीछे हो ले. यीशु को मत्ती के घर पर भोजन करने का आमंत्रण मिला है.

 

‘बहुतेरे महसूल लेने वाले और पापियों को देखकर फरीसी अचंभित हो गए’ (व.10, एमएसजी) और उन्होंने कहा, ‘तुम्हारा गुरू महसूल लेने वालों और पापियों के साथ क्यों खाता है? ’ (व.11, एमएसजी).

 

यीशु का सुनना, और जवाब देना, “वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक हैं। सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धमिर्यों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं॥ ” (वव 12-13). 

 

परमेश्वर की दया उन लोगों के प्रति उसकी कृपा और क्षमा है जिसके वे योग्य नहीं है. आज ही, उनकी दया पाइये और आनंद मनाइये और दूसरों के प्रति दयालु रहिये. 

 

प्रभु, आपको धन्यवाद कि जीवन के सभी तूफानों में मैं आपको पुकार सकता हूँ, ‘प्रभु, मुझे बचाइये’. ऐसे समय में आप पर भरोसा करने और भयभीत न होने में मेरी मदद कीजिये. 

उत्पत्ति 21:1-23:20

परमेश्वर को उनके प्रावधान के लिए धन्यवाद दें

 

 निश्चित ही अब्राहम ने अपने जीवन में तूफान का सामना किया. आज के पद्यांश के लिए संघर्ष से भरा, लेकिन यह तूफान के बीच शांति के अद्भुत पल से शुरू होता है. ‘परमेश्वर ने सारा की सुधि लेकर उसके साथ अपने वचन के अनुसार किया। ’ (21:1). हमारे जैसा उन्हें भी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन अंत में परमेश्वर की वाचा पूरी हुई. इंतजार के दौरान परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है.   

 

‘सो सारा अब्राहम से गर्भवती हो कर उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्त समय पर जो परमेश्वर ने उसके लिए ठहराया था एक पुत्र उत्पन्न हुआ। ’ (व.2). यह बड़े आनंद का पल था. सारा ने कहा, ‘परमेश्वर ने मुझे प्रफुल्लित कर दिया है; इसलिये सब सुनने वाले भी मेरे साथ प्रफुल्लित होंगे।’ (व.6).

 

लेकिन जल्दी ही अब्राहम ने अपने परिवार में तूफान का सामना किया. इस्माएल ने इसहाक की हंसी उड़ाई (व.9) और इसके कारण उसके परिवार में विभाजन हुआ (व.10). दु:खद रूप से हाजरा और इस्माएल चले गए (व.14). यह विभाजन अब्राहम के पहले पाप का परिणाम था जो उसने, अपने विश्वास में कमी के कारण कि सारा एक पुत्र जनेगी, अपनी दासी हाजरा के साथ किया था.  

 

 

कभी-कभी जीवन की सबसे मुश्किल स्थिति हमारी ही बनाई हुई होती है. लेकिन फिर भी, परमेश्वर अब्राहम के साथ थे (वव. 12-13), और उन्होंने देखा और हाजरा और इस्माएल को आशीष दी (वव. 17-18). यह एक और आश्चर्यजनक कहानी है जिसे समझना मुश्किल है, लेकिन इसके द्वारा हम पापमय स्थिति में भी परमेश्वर की दया कृपा को देख सकते हैं.

 

अब्राहम के जीवन में सबसे बड़ा तूफान आनेवाला था: ‘परमेश्वर ने, उसकी परीक्षा की’ (22:1).

 

परमेश्वर कभी-कभी हमें परीक्षा में डालते हैं. व्यक्तिगत रूप से, मुझे नहीं लगता कि परमेश्वर ने कभी सोचा होगा कि अब्राहम को अपने पुत्र इसहाक की बलि चढ़ानी होगी. परमेश्वर हमेशा बच्चों की बलि से घृणा करते हैं. लेकिन वह अब्राहम की प्राथमिकताओं को स्थिर करना चाहते थे.  

 

नया नियम हमें याद दिलाता है कि इसहाक के बारे में अब्राहम को परमेश्वर की वाचा मिलने के बाद ही यह परीक्षा हुई (इब्रानियों 11:17-19), और इसलिए अब्राहम के विश्वास और प्राथमिकता दोनों की परीक्षा हुई. 

 

उसके विश्वास की परीक्षा, क्योंकि यह उसे विश्वास करने की चुनौती देता है कि परमेश्वर इसहाक के बारे में अपनी वाचा पूरी कर सकते हैं, जबकि अब्राहम उसे बलि चढ़ाने के लिए तैयार था. अब्राहम को विश्वास करना पड़ा कि चाहें जो हो जाए, उसे इसहाक की पुनर्प्राप्ति होगी (व.19).

 

फिर भी यह अब्राहम की प्राथमिकताओं  की परीक्षा थी. परमेश्वर के साथ आपका संबंध जीवन की सबसे पहली प्राथमिकता के लिए बना हुआ है – बाकी के सभी प्रेम से ऊपर, परमेश्वर ने आपके जीवन के लिए दर्शन दिया है, और आपके सबसे करीबी मानव संबंधों से भी ऊपर. इसकी चाहें जो भी कीमत हो, अब्राहम परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार था. उसकी सबसे बड़ी ताकत यह थी कि उसने किसी भी चीज या किसी भी व्यक्ति से ज्यादा परमेश्वर से प्रेम किया था. 

 

धन्यवादपूर्वक, परमेश्वर ने उस बलि को उपलब्ध कराया जो कि जरूरी था (‘परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा’, उत्पत्ति 22:8). यह पहले से  प्रकट होता है कि परमेश्वर आपके लिए एक महान बलि तैयार करनेवाले हैं. जब आप अब्राहम के बारे में सोचें कि उसे कैसा लगा होगा जब उसे अपने एकलौते पुत्र की बलि देनी थी, तब आप उस कीमत की कल्पना कर सकते हैं जिसे परमेश्वर को आपके लिए और मेरे लिए अपने एकलौते पुत्र के रूप में देनी थी (यूहन्ना 3:16).     

 

यीशु ‘परमेश्वर का मेमना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है’ (यूहन्ना 1:29). जब परमेश्वर आपकी सबसे बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ बलि देते हैं, क्या वह आपकी सारी जरूरतों को पूरा नहीं करेंगे? यहाँ पर अब्राहम परमेश्वर को ‘यहोवा-जायरा’ या ‘प्रभु जरूरत को पूरी करता है’ कहता है (उत्पत्ति 22:14). वह मान लेता है कि परमेश्वर का प्रावधान उनकी विशेषता का एक हिस्सा है.

 

परमेश्वर महान पूर्तिकर्ता है. अक्सर, मैंने इसे अपने जीवन में और अपने समाज में सही पाया है. परमेश्वर अपने वायदे के पक्के हैं. जैसा कि प्रेरित पौलुस लिखते हैं, ‘मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।’ (फिलिप्पियों 4:19).

 

हमारा काम है परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना (‘पहले उसकी और उसके राज्य की खोज करना’ मत्ती 6:33अ) फिर वह वादा करते हैं कि जब हम ऐसा करेंगे, तो वह हमारी सारी जरूरतों को पूरा करेंगे (‘तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। ’, (व.33ब). 

 

परमेश्वर की आशीष और प्रावधान अविश्वसनीय रूप से महान हैं (उत्पत्ति 22:16-18). इसमे यह भी शामिल है: ‘और तेरे वंश [यीशु] में धरती की सारी जातियाँ आशीष पाएंगी’ (व. 18, एएमपी).

 

प्रभु, आपको धन्यवाद कि आप एक ढाल हैं, एक उद्धारकर्ता और एक आपूर्तिकर्ता. मेरी मदद कीजिये कि मैं अपना विश्वास आप में बनाए रखूँ और कभी न डरूँ. अपने जीवन में आपको सबसे पहले प्राथमिकता देने में मेरी मदद कीजिये. 

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मत्ती 8:223-9-13

आज का नये नियम का पद्यांश हमें यीशु पर भरोसा करने के महत्व को याद दिलाता है चाहें चीजें बढ़िया नहीं दिख रही हों तब भी. सबसे कठिन परिस्थिति को भी हल करने में वह सामर्थी हैं (8:26,32; 9:5-6).

References

नोट्स:

 

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।         

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

 

 

 

 

संपादकीय नोट:

ओसवाल्ड चैम्बर्स लिखते हैं, ‘बड़ी लहरें जो सामान्य तैराक को डरा देती हैं, वे एक सर्फर में अत्यधिक रोमांच पैदा करती हैं जिसका उन पर संपूर्ण नियंत्रण है’. ‘आइये हम इसे अपनी परिस्थितियों पर लागू करें. जिन चीजों को हम रोकते हैं जिनके विरूद्ध लड़ते हैं – कष्ट, तकलीफ और सताव – ये वही चीजें हैं जो हमारे अंदर अत्यधिक आनंद पैदा करती हैं’.

(ओसवाल्ड चैम्बर्स, स्माई अटमोस्ट फॉर हिज हाइएस्ट, 7 मार्च के लिए प्रवेश).      

दिन 9दिन 11

इस योजना के बारें में

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।

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