निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

दिन 15 का 365

दया के साथ न्याय?

समाचार पत्रों की मुख्य लाइनें अक्सर उन न्यायधीशों के प्रति आक्रोश व्यक्त करती हैं जो ‘अपराध के प्रति नरमी’ दिखाते हैं या ‘दया के साथ न्याय’ करते हैं और किये गए अपराध के लिए उचित दंड देने में नाकामयाब होते हैं. 

जब मैं एक वकील के तौर पर काम कर रहा था, तो मैंने देखा कि कानूनी पेशा उन न्यायधीशों का आदर नहीं करता जिन्हें बहुत ही दयालु समझा जाता था. हमारी अपेक्षा रहती है कि न्यायधीश न्याय करें. हम यह अपेक्षा नहीं करते कि न्यायधीश दयालु हों.

दूसरी तरफ, हम अपने व्यक्तिगत संबंधों में दया की अपेक्षा जरूर करते हैं. स्नेही माता-पिता अपने बच्चों के प्रति दयालु होते हैं. हम उम्मीद करते हैं दोस्त एक दूसरे के प्रति दयालु रहें. सामान्यत: न्याय और दया  एक साथ नहीं चलते . हम इन्हें एक विकल्प के रूप में देखते हैं. हम या तो न्याय की या फिर दया की उम्मीद करते हैं, लेकिन दोनों एक साथ में नहीं.

फिर भी परमेश्वर खराई से न्याय करते हैं, और परमेश्वर दयालु भी हैं. इन दो विपरीत गुणों को एक साथ कैसे मिलाया जा सकता है? उत्तर यह है कि यीशु के बलिदान ने इसे परमेश्वर के लिए संभव बनाया है कि वह दया और न्याय को एक साथ शामिल कर सकें.  

जब मैंने यीशु से मुलाकात की, तो इस उदाहरण ने मुझे समझने में मदद की, कि यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए क्या हासिल किया है: दो लोगों ने स्कूल और महाविद्यालय में एक साथ पढ़ाई की और गहरी दोस्ती बनाई. जिन्दगी चलती रही और वे अपने अपने मार्गों पर चले गए और उनका संपर्क टूट गया. एक न्यायधीश बनने चला गया, जबकि दूसरे का जीवन गिरता गया और अंत में वह एक अपराधी बन गया. एक दिन एक अपराधी न्यायधीश के सामने उपस्थित हुआ. उसने एक अपराध किया था जिसके लिए उसे दोषी पाया गया. न्यायधीश ने अपने पुराने दोस्त को पहचान लिया और असमंजस में पड़ गया, जैसा कि सच में परमेश्वर पड़ जाते हैं.   

 वह एक न्यायधीश था इसलिए उसे न्याय करना जरूरी था; वह उस व्यक्ति को यूँ ही जाने नहीं दे सकता था. दूसरी तरफ, वह दयालु बनना चाहता था, क्योंकि उसने अपने दोस्त से प्यार किया था. इसलिए उसने अपराध करने के लिए उस पर उचित जुर्माना लगाया. यह न्याय था. फिर वह न्यायधीश की अपनी पदवी से नीचे आया और जुर्माने की राशी की एक चेक लिख कर दी. उसने इसे अपने दोस्त को दिया, यह कहते हुए कि वह उसकी तरफ से जुर्माना भरेगा. यह दया, प्रेम और बलिदान था.      

यह वर्णन ठीक वैसा नहीं है. हमारा अपराध इससे भी बुरा था – और हमें दंड के रूप में मृत्यु का सामना करना पड़ता. पर यह संबंध और भी करीब है – इस संसार के माता-पिता अपने बच्चों से जितना प्यार करते हैं उससे कहीं ज्यादा स्वर्ग में आपके पिता आप से प्यार करते हैं. 

परमेश्वर अपराध के प्रति दया नहीं करते. परमेश्वर अपने न्याय में, हमारा न्याय करते हैं क्योंकि हम अपराधी हैं. फिर वह अपनी दया और प्रेम में अपने पुत्र, यीशु मसीह, के रूप में नीचे आए, और हमारे लिए वह दंड चुकाया. क्रूस पर यीशु के बलिदान के द्वारा, परमेश्वर न्यायी और दयालु दोनों हैं.     

भजन संहिता 9:13-20

परमेश्वर के न्याय पर भरोसा करें

 

दाऊद जानता है कि परमेश्वर, न्याय के परमेश्वर हैं: ‘परमेश्वर अपने न्याय द्वारा जाने जाते हैं’ (व.16). वह दया के लिए भी पुकारता है:  '  हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर...... ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूं, ' (वव.13-14).

इस भजन संहिता में, न्याय पाने की इच्छा और दया पाने की इच्छा एक साथ होती है. दाऊद प्रार्थना करता है कि परमेश्वर उसके शत्रुओं का न्याय करने के द्वारा उस पर दया करें: ‘उठ, हे परमेश्वर, जातियों का न्याय तेरे सम्मुख किया जाए’ (व.19).  

 

कभी-कभी हम न्याय को नकारात्मक रूप में सोचते हैं, मुख्यत: एक दंड के रूप में. लेकिन न्याय गंभीरतापूर्वक सकारात्मक भी है. इब्रानियों में न्याय के लिए शब्द (मिश्पात) है जो चीजों को खराई से समझने के बारे में है. परमेश्वर के न्याय के कारण दाऊद को विश्वास था कि, ' दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे, और न तो नम्र लोगों की आशा सर्वदा के लिये नाश होगी ' (व.18).

 

प्रभु आपको धन्यवाद, कि आप न्यायी परमेश्वर हैं. आपको धन्यवाद कि एक दिन आप सीरिया, इराक, इरान, अफगानिस्तान, जिम्बाबवे, सूड़ान, दक्षिणी कोरिया, इरीट्रिया और अन्य स्थानों का न्याय करेंगे जहाँ आजकल हमारी दुनिया में अन्याय हो रहा है. आपको धन्यवाद कि एक दिन जरूरत मंदों और दलित लोगों का न्याय किया जाएगा. 

मत्ती 12:1-21

यीशु की दया प्राप्त कीजिये

 

कभी-कभी हम पार्सल पर इन शब्दों को चिपकाकर भेजते हैं ‘नाजुक – सावधानी से हैंडल करें’. क्या कभी आपने खुद के लिए इन स्टीकर्स की जरूरत महसूस की है?   

 

यीशु ने फरीसियों के कर्मकांडवाद का सरासर विरोध किया (वव.1-2), होशे की भविष्यवाणी का उद्धरण और इसका पूरा होना: ' मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं '(मत्ती 12:7; होशे 6:6). न्याय और कर्मकांडवाद एक ही नहीं हैं – बिल्कुल वे विपरीत हो सकते हैं. यीशु ने सबत के दिन एक व्यक्ति को चंगा करके फरीसियों के कर्मकांडवादी नियमों को तोड़ा जो कि दया, प्रेम और करूणा का महान कार्य था (मत्ती 12:13-14).   

 

यीशु न्याय और दया  को एक साथ लाते हैं. उन्होंने अन्य जातियों के प्रति परमेश्वर का न्याय लाने के द्वारा पुराने नियम के सभी वायदों को पूरा किया. यहाँ मत्ती यशायाह की भविष्यवाणी का उद्धरण करता है (यशायाह 42:1-4); जिसे यीशु ने पूरा किया (मत्ती 12:18-21). ' वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। ' (व.18क) और ' न्याय को प्रबल कराएगा ' (व.20क).

 

 फिर भी वह दया, प्रेम और करूणा से भरे हुए हैं: ' वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धुआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, ' (व.20). जीवन में ऐसा समय भी आता है जब हम ' कुचले हुए सरकण्डे' या 'धुआं देती हुई बत्ती ' की तरह शारीरिक, भावनात्मक या आत्मिक रूप से कमजोर हो जाते हैं.       

 

जब हम कमजोर और नाजुक थे, तब अनेकों के विपरीत, यीशु हम पर दया, प्रेम और करूणा करते रहे. जब हम कमजोर होते हैं तो यीशु हमें सावधानी से संभालते हैं.

 

यीशु यशायाह 40-55 में से ‘सेवक के एक गीत’ का वर्णन करते हैं. ये गीत सेवक के उन कष्टों के बारे में है जो अपने पापों की क्षमा पाने के लिए अपने जीवन का बलिदान करता है (यशायाह 52:13-53:12). 

 

इन ‘सेवक के गीतों’ में परमेश्वर का न्याय और दया एक साथ आती है. दुनिया सही की जाती है; अन्याय और दमन का अंत होता है और जरूरमंदों और टूटे हुए लोगों को मुक्त किया जाता है. फिर परमेश्वर खुद का बलिदान करते हैं, जो हमारे पापों के परिणामों और दंड को अपने ऊपर लेते हैं. परमेश्वर के न्याय द्वारा कुचले जाने के बजाय, आपको इससे आजाद किया गया है. क्रूस पर, दया और न्याय एक साथ मिलते हैं.

 

यीशु आपको धन्यवाद कि, आप एक पीड़ित सेवक के रूप में आए. आपको धन्यवाद कि क्रूस पर बलिदान के द्वारा आपने दया और न्याय को एक साथ मिलाया. 

उत्पत्ति 31:1-55

परमेश्वर के बलिदान में आनंद मनाएं

क्या आपने कभी पदोन्नती के वायदे का अनुभव किया है जो कभी पूरा नहीं हुआ या बिना लाभ वाले कुछ कामों को पूरा करने के लिए देर तक काम करते हुए अनगिनत घंटों को बेकार करने का अनुभव किया है? क्या आप कभी ईर्ष्या, गलत दोष या पूरी तरह से छल कपट का शिकार हुए हैं? 

 

इस पद्यांश में हमारे दैनिक जीवन को समझाया गया है. हमारे हरदिन की व्याकुलता और दु:ख की स्थिति में, यह जानना आश्वस्त प्रदान करता है कि प्रभु का शब्द हमेशा अंतिम है.  

 

इस पद्यांश में हम एक खराबी देखते हैं जो कि एक पारिवारिक व्यवसाय में था. शायद लाबान ने अपने दामाद का फायदा उठाया था. अवश्य ही याकूब को लगा कि उसकी सद्भावना का फायदा उठाया गया है. उसने महसूस किया कि लाबान का व्यवहार ऐसा नहीं है जैसा कि पहले था (व.2). उसने अपने काम में 100% प्रयास किया था – उसने अपनी पूरी सामर्थ से काम किया था: ‘मैं ने तुम्हारे पिता की सेवा पूरी सामर्थ से की है’ (व.6).  

 

याकूब की नौकरी करने की शर्ते काफी सख्त थीं. उसका ससुर एक निर्दयी मालिक था. चोरी या अपघात की वजह से हुए किसी भी नुकसान की भरपाई याकूब को ही करनी पड़ती थी. उसके काम करने की स्थिति बहुत ही असंतोषजनक थी (व.40).

 

इसके अलावा, उसे लगा कि उसके साथ छल किया गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि लाबान ने उसकी मजदूरी बढ़ाने के बजाय दस बार कम कर दी थी. राहेल और लिआ को लगा कि उनका कुछ अंश नहीं बचा है. उन्हें याकूब को बेच दिया गया और फिर उन्होंने देखा कि उनके पिता उनके पति की सफलता से ईर्ष्या करते हैं. (वव.14-16).

 

यह साफ जाहिर है कि उन्होंने लाबान के प्रति नाराजगी महसूस की. फिर भी उनकी प्रतिक्रिया बहुत कृपापूर्ण नहीं थी. जब लाबान काम पर गया था वे सभी भाग गए. उन्होंने उसे अपने बच्चों और नाती-पोतों को अलविदा करने का मौका भी नहीं दिया (वव.26,28). इन सबके अलावा, किसी अबोध्य कारण से, राहेल ने अपने पति को बिना बताए अपने पिता के यहाँ चोरी की.    

 

इन सबके बावजूद, परमेश्वर याकूब को आशीष देते हैं: ‘परन्तु परमेश्वर ने उसको [लाबान को] मेरी हानि करने नहीं दिया’ (व.7). वह लाबान से ज्यादा सम्रृद्ध हो गया. परमेश्वर ने ही याकूब को इसहाक के घर वापस जाने के लिए कहा था और उससे वादा किया था कि, ‘मैं तुम्हारे साथ रहूँग़ा’ (व.3). हालाँकि याकूब सही चीज कर रहा था, लेकिन जिस तरह से वह कर रहा था वह सही नहीं था. फिर भी, परमेश्वर ने सपने में लाबान से उसकी तरफ से बात की (व.24). लेकिन इसके लिए, शायद याकूब को खाली हाथ भेजना पड़ा होता (व.42).  

 

अंत में, उन्होंने संतोषजनक समझौता किया. इस पद्यांश के बीच में हम आनेवाले समय का पूर्वाभास देखते हैं. याकूब और लाबान दोनों ने न्याय के लिए परमेश्वर की दोहाई दी (व.53). फिर वहाँ पर  बलि दी गई (व.54).

 

जब उन्होंने परमेश्वर से न्याय पाना चाहा और यह बलि दी, तो हमें एक बार फिर क्रूस की याद आती है जहाँ परमेश्वर का न्याय और दया एक साथ मिलते हैं.  

 

 पिता, आपको धन्यवाद देना और आपकी स्तुती करना मैं कैसे भूल सकता हूँ. आपको धन्यवाद कि आप न्यायी और दयालु हैं. यीशु के बलिदान के लिए आपको धन्यवाद. धन्यवाद कि अन्याय के समय में, मैं आपकी दया और सुरक्षा पा सकता हूँ. जैसे आप मुझ पर दयालु हैं वैसे ही मुझे भी दयालु बनने के लिए मेरी मदद कीजिये.

Pippa Adds

पीपा विज्ञापन

 

 उत्पत्ति 31:32

 

 

अपने पिता के घराने के देवताओं को चुराकर राहेल क्या कर रही थी? और अपने घराने के देवताओं के साथ लाबान क्या करने वाला था?

उनके दूसरे देवता थे ओर राहेल ने उसे चुराया था, झूठ बोला और अपने पिता का अपमान किया....... इसमें कोई शक नहीं कि परमेश्वर को दस आज्ञाएं देना जरूरी था.  

 

References

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।         

 

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

 

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है। 

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निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

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