निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना
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तेरा राज्य आए
महारानी एलिजाबेथ द्द्वितीय ने यूनाइटेड किंगडम पर 63 वर्ष तक राज किया था। ब्रिटिश सम्राट में उनका शासनकाल सबसे लंबे समय तक रहा है। प्रत्येक वर्ष, क्रिसमस के दिन, महारानी देश के लिए संदेश देती हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने कहा कि, ‘यीशु मसीह का जीवन, शांति के राजकुमार, जिनका जन्मदिन हम आज मनाते हैं, वे मेरे जीवन में प्रेरणा और भरोसा हैं’।
पिछले महीने यूहन्ना के सुसमाचार से उन्होंने कहा—यीशु की ज्योति वर्ष 2015 के अंधकार के क्षणों पर विजयी हुई है। यीशु की कहानी हमारी कल्पनाओं को आकर्षित करती है। और कभी न बदलनेवाले उनके संदेश हमें प्ररित करते हैं। बदले और हिंसा के लिए नहीं बल्कि हर कहीं और हर समय हम प्रेम का प्रसार कर सकते हैं।
यूनाइटेड किंगडम की महारानी किसी और ही राज्य की ओर संकेत कर रही थीं, वह राज्य जिसे स्थापित करने के लिए यीशु आए, और उस राज्य पर शासन करने वे फिर आएंगे। यीशु ने हमें प्रार्थाना करना सिखाया, ‘तेरा राज्य आए’ (मत्ती 6:10) परमेश्वर का राज्य, परमेश्वर का शासन और परमेश्वर की प्रभुता है।
भजन संहिता 10:12-18
समाज के परिवर्तन के लिए विनती करें
‘परमेश्वर अनंतकाल के लिए महाराजा हैं’ (व. 16अ)। परमेश्वर इस सृष्टि का अंतिम नियंत्रण हैं। फिर भी भजनकार परमेश्वर की दोहाई देते हैं: उठने का समय, ‘ हे यहोवा, उठ;’ (व. 12अ)। वह प्रभावशाली प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर का राज्य इस धरती पर आएगा जब परमेश्वर उठते हैं, ‘आतंक का शासनकाल समाप्त हुआ, ईश्वरों के समूह का शासन करना जाता रहा। (व. 18ब, एम.एस.जी)
भजनकार अनेक समूह के लोगों के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना करते हैं। वह उनके लिए प्रार्थना करते हैं जो:
मजदूर हैं (व. 12)
परेशान हैं (व. 14)
दु:खी हैं (व. 14)
पीड़ित हैं (व. 14)
अनाथ हैं (व. 14-18)
बेघर हैं (व. 18 एम.एस.जी)
दबे हुए हैं (व. 18)
यदि आप परमेश्वर के राज्य को आते हुए और समाज को बदलते हुए देखना चाहते हैं, तो ये ही वो लोग हैं जिनके विषय में आपको निश्चय ही चिंतित होना है।
प्रभु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आप महाराजा हैं। जो मजदूर, परेशान, दु:खी, पीड़ित, अनाथ, बेघर, दबे हुए हैं उनके लिए मैं आपको ऊँचा उठाता हूँ। आपका राज्य आए।
मत्ती 13:18-35
यीशु की बारे में लोगों से कहना जारी रखें
हर समय जब आप किसी को यीशु के बारे में कहते हैं और सुसमाचार बताते हैं, आपने उसके मन में बीज ‘बोया’ है। बीज बोने वाले के दृष्टांत से हमें यह पता चलता है कि प्रत्येक बीज जिसे हम बोते हैं वह फल नहीं लाता। कुछ बीज इस तरह के अस्थायी परिणाम उत्पन्न करते हैं। ‘चिंता’ या ‘जीवन की परेशानियाँ’ और ‘धन के धोखे’ से हम परमेश्वर से दूर हो जाएंगे’ (व. 21-22)।
फिर भी यदि बीज अच्छी तरह बढ़ता है तो यह दृष्टांत हमें दर्शाता है कि आप प्रभावशाली हो सकते हैं। ‘जो बीज अच्छी भूमि में बोया गया यह वह व्यक्ति है जो सुनता है और उस पर ध्यान देता है, और यह बीज उसकी कल्पना से भी ज्यादा फसल उत्पन्न करता है’ (व. 23, एम.एस.जी)।
जब मैं उन लोगों के जीवन को देखता हूँ जिन्होंने पाँच दस या पंद्रह वर्ष पहले आल्फा किया था, वे विशाल रूप से प्रभावशाली हैं। उनमें से कुछ ने तो सेवकाई भी शुरु कर दी है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया में पड़ रहा है।
यीशु बहुत से दृष्टांतों द्वारा परमेश्वर के राज्य के विषय में कहते हैं। (‘स्वर्ग का राज्य’ मत्ती का मुख्य शब्द रूप है, यहूदियों की व्यवस्था का नियमित अनुपालन करते हुए यीशु सम्मान पूर्वक ‘परमेश्वर’ के बजाय ‘स्वर्ग’ कहते हैं)।
राज्य ‘अब’ और ‘अब तक नही’ दोनों ही है। यीशु जंगली बीज द्वारा राज्य के विषय में भविष्य का दृष्टिकोण बताते हैं। इस समय गेहूँ और जंगली बीजों को साथ-साथ बढ़ने दो। एक दिन कटनी और न्याय होगा। जब यीशु लौटेंगे, तब परमेश्वर का राज्य अपनी पूर्णता के साथ आएगा (व. 24-30)।
यीशु कहते हैं, स्वर्ग का राज्य राई के बीज के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने लेकर भूमि में बोया। यद्यपि यह बीज सबसे छोटा होता है; परंतु जब यह बढ़ जाता है तब बाग के सभी पौधों से बड़ा होता है और ऐसा पेड़ बन जाता है कि पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं (मत्ती 13:31-32)।
डालियों पर पक्षियों का चित्रण, पुराने नियम में कुछ समय प्रकट होता है, जो यह दर्शाता है कि सारे देशों से लोग परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बन रहे हैं (यहेजिकल 17:22-24; 31:3-14 देखें; दानिय्येल 4:9-23 देखें)। यीशु अपने सुननेवालों को यह स्मरण दिलाते हैं कि स्वर्ग का राज्य केवल एक देश के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण जगत के लिए है।
यहाँ पर पौधे लगाने के अनेक प्रकार हैं। उदाहरण के लिए एक छोटा समुह एक दूसरे को रोपता है और ‘वह बढ़ता है’ (मत्ती 13:32)। फिर ‘कलीसिया स्थापित करना है। जो बोया जा रहा है, वह थोड़ा छोटा होता है—राई के बीज की तरह। लेकिन बोने के बाद... वह बढ़ता है’ (व. 31-32)।
मैं आस-पास के ‘कलीसिया के पौधों’ को अपनी स्थानीय कलीसिया जैसा देखता हूँ और मैंने उनका प्रभाव उस क्षेत्र में देखा—‘आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं (व. 32)। परमेश्वर के राज्य में, जिनमें आशा न थी ऐस्री अन्यजाजियाँ विश्वासीयों के रूप में यहूदी देश में आते हैं। हम सारे जगत में ‘कलीसिया के पौधों’ का प्रभाव देख रहे हैं। जैसा कि कलीसिया को बढ़ानेवाले विशेषज्ञ पीटर पॉगनेर ने कहा है, ‘स्वर्ग के नीचे कलीसिया स्थापित करना सुसमाचार प्रचार करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।
यीशु स्वर्ग राज्य के विषय में कहते हैं कि यह खमीर की तरह है जो पूरे गूँथे हुए आटे को खमीर बना देता है (व. 33) आपकी प्रभुता बढ़ सकती है — आपके घर, परिवार, विद्यालय, यूनीवर्सिटी, कारखाने में या ऑफिस में। इस तरह से समाज में बदलाव आता है।
प्रभु मेरी सहायता कीजिए कि मैं ज्यादा से ज्यादा बीज बो सकूँ, जिससे मैं यीशु का सुसमाचार अपने संसार में बढ़ा सकूँ। आपका राज्य मेरे शहर में, देश में और पूरी दुनिया में आए।
उत्पत्ति 36:1-37:36
राजाओं के राजा के सामने घुटने टेकें
आज हम यूसुफ की कहानी का प्रारंभ करते हैं। इस्राएल के अन्य पुत्रों से बढ़कर यूसुफ को प्यार किया गया था (37:3) और उसके भाई उससे जलने लगे थे (व. 4)। यूसुफ ने प्रसिद्ध स्वप्न देखा (व. 7ब)। उसने देखा कि उसके भाई उसके सम्मुख घुटने टेक रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि परमेश्वर स्वप्न के द्वारा बात करते हैं—उन्होंने निश्चित रूप से इसी प्रकार यूसुफ से बात की है (व. 5ब)। भविष्य में होनेवाली बातें और परमेश्वर उसके जीवन का उपयोग किस तरह से करेंगे इसके बारे में यूसुफ ने स्वप्न द्वारा झलक देखी थी।
फिर भी, इसमें बुद्धिमानी नहीं है कि आप अपने जीवन के विषय में स्वप्न और दर्शन को हरएक व्यक्ति को बताएं। यूसुफ सत्रह वर्ष का हो गया था (व. 2)। उसे कोई अनुभव नहीं था। उसने अपना स्वप्न हरएक व्यक्ति को बताकर गलती की थी। यहीं उसके लिए घृणा और ईर्ष्या बन गई (व. 11) उसके भाइयों ने कहा—(व.58) क्या तेरा मकसद हम पर शासन करना है? क्या वास्तव में तू हम पर राज्य करेगा? (व. 8अ) उन्हें यूसुफ के राजा बनने के विचार से घृणा होने लगी।
उसके बाद उसने एक और स्वप्न देखा जिसमें वे सभी प्रभावशाली रूप से उसके सामने घुटने टेक रहे हैं (व. 9)। उसके पिता बुद्धिमानी से से उस पर सोचविचार करने लगे जो यूसुफ ने देखा था (व. 11 एम.एस.जी)। स्वप्न और दर्शन जिसे आप सोचते हैं कि यह परमेश्वर की ओर से उसका उत्तर देने के बारे में यदि आप अनिश्चित हैं, तो उस बारे में साधारण रूप से अपने मन में सोचना ही बुद्धिमानी से उत्तर देना है (लूका 2:19 देखें)।
फिर भी, अपने पूरे परिवार को फिर से बता कर यूसुफ ने गलती की। उसके भाई उससे और भी जलने लगे (उत्पत्ति 37:11)। उन्होंने षडयंत्र रचा कि यूसुफ को नाश करें (व. 18)। यूसुफ को मिद्यानी के हाथ बेचा गया, जिन्होंने मिस्र में पोतिपर को बेच दिया, जो फिरौन का अधिकारी था, और सेना का प्रमुख भी था (व.26)। यूसुफ मिस्र के महाराजा के अधीन हो गया।
यूसुफ ने मूर्खतापूर्ण अपने भाइयों से अपने स्वप्नों को बताया था जिसका परिणाम यह हुआ कि उसे वर्षों तक के कठोर परिश्रम और समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ा। परमेश्वर ने इसका उपयोग उसका चरित्र विकसित करने और उसके जीवन के कार्यों के लिए तैयार करने में किया।
पुराने नियम में हम जिन शासक के विषय में पढ़ते हैं वह नए नियम में परमेश्वर के राज्य का पुर्वानुमान है। आज के पद्यांश में हम अलग अलग तरह के शासक देखते हैं — सोदोम के राजा और अधिकारियों से लेकर (36:31-43), मिस्र के फिरौन तक (37:36) उत्पत्ति के इन समापन अध्यायों में महत्वपूर्ण संदेश यह है कि परमेश्वर ऊपर सारे मानव शासकों के ऊपर और पीछे हैं। यह विशेषकर यूसुफ की कहानी के द्वारा दर्शाता है।
कहानी में एक मोड़ और बदलाव का आना कभी कभी आनोखा और अनियमित प्रतीत होता है। फिर भी, शुरु से अंत तक हम परमेश्वर की सहभागिता को पढ़ते हैं। (जैसे कि यूसुफ के स्वप्न में) और अंत में हमें यह पता चलता है कि यह सब कुछ परमेश्वर के उद्देश्य के प्रति कार्य कर रहा था (50:20)।
यूसुफ ‘मसीह’ का एक प्रकार है। दूसरे शब्दों में, उसका जीवन यीशु के जीवन के लक्षण को बताता है। (जैसा कि हम आनेवाले दिनों में देखेंगे) लेकिन यहाँ पर आरंभ में हम एक अंतर देखते हैं। यीशु भी जानते थे कि परमेश्वर उनका उपयोग कैसे करनेवाले हैं, लेकिन वे दूसरों से कहने में बहुत सावधान रहते थे। बल्कि वे यहाँ तक सावधान रहते थे कि लोग अब ‘मसीही रहस्य’ के बारे में बातें करते हैं।
हम इस पथ में यूसुफ और यीशु के बीच समानता का आरंभ देखते हैं। एक दिन, लोग यूसुफ के सामने घुटने टेकेंगे (37:7,9)। और एक दिन हर एक घुटना राजा यीशु के सामने टिकेगा (फिल्लिपियों 2:10; प्रकाशितवाक्य 19:4-6)।
यह तब होगा जब आप स्वेच्छा से यीशु के सामने घुटने टेकेंगे, और उन्हें अपने जीवन में सर्वोच्च राजा के रूप में मानेंगे, जिससे आप विभिन्न प्रकार की सामर्थ्य के परिणाम के बारे में चिंतित नहीं होंगे जो अन्य लोगों के लिए कार्य करती है और जो आपके जीवन में मौजूद हैं (उदाहरण के लिए, शिक्षक, बॉस, सरकार)।
प्रभु यीशु मसीह, राजाओं के राजा, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि जब मैं आपका अनुसरण करने लगा, तब मैं आपकी प्रभुता के आधीन हो गया। आज मैं आपके सम्मुख घुटने टेकता हूँ और स्वीकार करता हूँ कि आप ही प्रभु हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आपका राज्य मेरे जीवन में और मेरे आस-पास के लोगों के जीवन में आए।
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
याकूब द पैरेंटिंग बुक का उपयोग कर सकता था. अपने किसी एक बच्चे का ज्यादा समर्थन करने से परेशानी खड़ी हो सकती है। लेकिन परमेश्वर अपने उद्देश्यों के लिए हमारी गलतियों का भी उपयोग करते हैं।
References
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी, MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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अपने दिन Bible in One Year के साथ शुरू करें जो कि निकी और पिप्पा गंबेल की टिप्पणी के साथ लंदन के HTB चर्च से एक बाइबल पठन की योजना है।. हम इस योजना को प्रदान करने के लिए निकी और पिपा गंबेल, एचटीबी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://alpha.org