निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना
हृदय से उमड़ना
बहुत वर्षों से मैं बिली ग्राहम से मिलना चाहता था, लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया। मैं स्वयं को बहुत सम्मानित महसूस कर रहा था जब मुझे पता चला कि वे ट्विटर पर मेरे फॉलोअर हैं। निःसंदेश मैं भी उन्हें फॉलो करने लगा। वे मेरे विश्वास के शूरवीरों में से एक हैं। वे मेरे जीवन काल के सबसे महान सुसमाचार प्रचारक हैं। मानव इतिहास में उन्होंने औरों से भी ज्यादा लोगों से यीशु के विषय में बातें की हैं।
मैंने बिली ग्राहम को कई बार सुना है। मैं जब भी उन्हें सुनता हूँ खुद को बहुत प्रोत्साहित महसूस करता हूँ। वे कहते हैं कि बोलने से पहले मैं अपने हृदय को भरना पसंद करता हूँ। वे पाँच बातों के विषय में पर्याप्त सामग्री इकट्ठी करना पसंद करते हैं, जिससे वे बहुतायत से बोल सकें।
यीशु के अनुसार, वास्तव में मन बहुत मायने रखता है। क्योंकि जो कुछ मन में भरा है, वही मुँह से बाहर निकलता है। (मत्ती 12:34) लेकिन आप अपने मन में अच्छी बातें कैसे संग्रह करते हैं?
नीतिवचन 2:1-11
परमेश्वर के वचनों को हृदय में संग्रहित करें
क्या आप काफी समय से परमेश्वर को अच्छी तरह से जानना चाहते हैं? क्या आप बुद्धिमान, गुणवान होने के साथ - साथ अधिक ज्ञान और समझ पाना चाहते हैं?
मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहता हूँ कि आप हर रोज परमेश्वर के वचनों को पढ़ने की आदत बनाएं।
नीतिवचन के लेखक जोर देकर कहते हैं, कि ‘तू मेरे वचन ग्रहण कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़, और बुद्धि की बात ध्यान से सुन, और समझ की बात मन लगा कर सोच; ... क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी’ (व. 1-2,10)
आपको क्या करना चाहिए?
आपको खुद के अंदर परमेश्वर के वचनों को भरना चाहिये। आपको वचन को ‘ग्रहण’ करने, (व. 1) ‘सुनने और लागू करने,’ (व. 2) ‘बोलने’ (व. 3) और ‘खोजने’ (व. 4) की जरूरत है। उसकी खोज कुछ इस प्रकार से करें, कि जैसे सोना निकालनेवाला सोने की खोज करता है, जैसे एक साहसी खजाने की खोज करता है (व. 4 एमएसजी)। इसमें समय और समर्पण लगता है। हर रोज नियमित रूप से बाइबल पढ़ने के लिए समय निर्धारित कीजिए और अपने कार्यक्रम की सूची में इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दीजिए।
यदि आप ऐसा करेंगे, तो परमेश्वर क्या वायदा करते हैं?
आपको ‘परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा‘ (व. 5)। क्योंकि यह परमेश्वर का स्वभाव है, कि वे बुद्धि और समझ देते हैं (व.6) और ‘जय’ (व.7) ‘सुरक्षा’ (व.8) और ‘विवेक’ भी देते हैं (व.11)। उन्होंने यह वायदा किया है कि परमेश्वर आपकी देखभाल करेंगे और बुराई के मार्ग पर चलने से या गलत करने से आपको बचाएंगे (व.8,12, एम एस जी)।
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं प्रतिदिन आपके साथ समय बिता सँक़ू। और मेरे जीवन के लिए बाइबल की शिक्षाओं को लागू कर सकूँ।
मत्ती 12:22-45
पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते जांए।
आप जो बोलते हैं, वे शब्द वास्तव में महत्व रखते हैं। ज़ॉयस मेयर लिखती हैं, कि ‘ प्रत्येक शब्द जो हम कहते हैं या तो वह निर्माण करने के लिए एक ईंट है या फिर नष्ट करने के लिए एक बुलडोजर है’। आपके मन में जो कुछ भरा है, वह अभी या फिर बाद में आपकी बातों से प्रकट होगा । आप देखने, पढ़ने और सोचने के बारे में सावधान रहें। अपने मन को अच्छी बातों से भर लें, जिससे आप अच्छा सोचेंगे, बोलेंगे और अच्छा फल लायेंगे (व.33)।
यीशु ने कहा है, ‘जो मन में भरा है, वही मुँह पर भी आता है। भला मनुष्य मन के भले भंडार से भली बातें निकालता है और बुरा मनुष्य बुरे भंडार से बुरी बातें ही निकालता है’ (व.34-35)।
यीशु की यह ‘शिक्षा’, जो मन में भरा है वही मुँह पर आता है यह पवित्र आत्मा (बुरी आत्मा का विरोध करने वाली आत्मा) के बारे में सिखाती है। आप अपने सोच विचार के तरीकों से खुद को कभी बदल नहीं सकते। आपको पवित्र आत्मा की जरुरत है – जो आपको उसके प्रेम और अच्छे फल से भरता है।
मैं यीशु के वचन 30-32 को लेता हूँ जिसका मतलब यह है, कि अपने जीवनकाल में पवित्र आत्मा का विरोध करना एक ऐसा पाप है जिसे कभी क्षमा नहीं किया जा सकता। अक्सर लोग चिंतित रहते हैं कि उन्होंने ऐसा पाप किया है, जो क्षमा के योग्य नहीं है’। फिर भी यदि आप इस विषय में चिंतित हैं हैं तो इसका अर्थ यह है कि आपने अब तक समर्पण नहीं किया है। यदि आप मन फिराए और परमेश्वर से क्षमा मांगें, तो ऐसा कोई पाप नहीं है जो क्षमा न किया जा सके। मन फिराने से और मसीह की ओर लौट आने से इंकार करना यानि अपने जीवन में पवित्र आत्मा का विरोध करना है, ये ऐसे पाप हैं जिन्हें क्षमा नहीं किया जा सकता।
यीशु एक दृष्टांत का उपयोग करते हैं कि कैसे दुष्टात्मा हमारे जीवन में कार्य करती है, यह चिताने के लिए कि जब दुष्टातमा हमें फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में ले जाती है, तो यह ‘एक साफ सुथरे घर में’ बहुत ही भयनाक कार्य करती हैं। यीशु हमें चेतावनी देते हैं कि जब लोग अपने पुराने पाप की ओर लौट जाते हैं तो वे अक्सर पहले से भी ज्यादा पाप करने लगते हैं (व.43) और उनकी बाद की दशा पहले से भी ज्यादा खराब हो जाती है (व.45)।
फरीसी और व्यवस्था के शिक्षक इसका अच्छा उदाहरण हैं (व.38)। उन्होने यीशु के कई चमत्कारों को देखा था, परंतु वे यह मानने से इंकार करते थे कि यीशु की सामर्थ पवित्र आत्मा का कार्य है। वे यीशु से कहते हैं ‘हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्ह देखना चाहते हैं’ (व.38 एमएसजी) इस प्रकार वे यीशु की परीक्षा कर रहे थे।
फिर भी, यीशु का जवाब ने उनकी स्थिति बदल दी। यीशु खुद की तुलना पुराने नियम के भविष्यवक्ता योना से करते हैं; और आगे होने वाली घटनाओं के बारे में - यानि उनकी मृत्यु और तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठने के बारे में - बताते हैं (व.39-40)। यीशु का फिर से जी उठना ही उनकी पुनरुत्थान असली पहचान है।
यीशु फरीसियों को पुराने नियम से दो घटनाओं द्वारा पर्याप्त गवाही देते हैं। पहला, नीनवे में योना का प्रचार सुनकर लोगों ने मन फिराया। यीशु योना से बढ़कर हैं। दूसरा, शीबा की रानी ने सुलेमान के ज्ञान को सम्मान दिया। यँहा यीशु का ज्ञान सुलेमान के ज्ञान से बढ़कर है। उन्हें और हमें कोई और प्रमाण की जरूरत नहीं है।
पवित्र आत्मा ही हैं जो हमें शैतानी शक्ति से मुक्ति देते हैं। (व.28)। हररोज बुराई का विरोध करने के लिए लड़ें और पवित्र आत्मा से भर जाने के लिए मांगें। आपका मन साफ है इसकी जाँच आपके मुँह से निकलने वाली बातों से होती है। इसलिए ‘जो कुछ मन में भरा है वही मुँह से निकलता है।’
यीशु उनसे कहते हैं कि ‘ तुम्हारा मन साँप के बिल के समान है। तुम स्वयं अशुद्ध मनवाले हो, तो यह कैसे मान सकते हो कि जो तुम कहते हो वह उचित है? यह आपका मन है, कोई शब्दकोष नहीं, जो आपके बातों का अर्थ बताए (व34. एमएसजी)। आप जो कहते हैं वे बातें उचित हैं या नहीं यह निर्धारित करने से पहले आप यह सुनिश्चत कर लें, कि आपका ह्रदय पवित्र आत्मा से भरा हो।
प्रभु, मैं आज प्रार्थना करता हूँ, कि आप मुझे एक बार फिर पवित्र आत्मा से भर दीजिए।
उत्पत्ति 32:1-33:20
प्रार्थना में परमेश्वर से कड़ा संघर्ष करें
क्या आप अपने जीवन में भय या चिंताओं का सामना कर रहे हैं?
याकूब ने बहुत ही चिंताजनक परिस्थितियों का सामना किया था। वह अपने भाई ऐसाव से पराजित हो गया और उसे यह भय था कि शायद ऐसाव उसको ढूँढ रहा है। ‘वह बहुत भय और संकट में था’ (व32.7)।
याकूब प्रार्थना करने वाला व्यक्ति था अपने पापों के बावजूद उसने अपने परमेश्वर को जाना था। उसने खुद की अयोग्यता को पहचाना, कि ‘आपने अपने दास पर जितनी भी भलाई और विश्वासयोग्यता दिखाई है मैं उसके बिल्कुल योग्य नहीं हूँ (व.10)।
उसने प्रार्थना की, विश्वास किया और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को दृढ़तापूर्वक कहा, ‘मेरी विनती सुनकर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा; आपने कहा है कि ‘मैं निश्च्य ही तेरी भलाई करुँगा और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करुँगा, जो बहुतायत के कारण गिने नहीं जा सकते; उसकी प्रार्थना का उत्तर उसे मिला जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता था।
प्रार्थना हमेशा आसान नहीं होती है। कभी-कभी हमें याकूब की तरह परमेश्वर के साथ संघर्ष करना पडना है (3:22-32, कुलुस्सियों 4:12)। यह ताकत और समय के संदर्भ में महँगा भी हो सकता है। यह दृढ़ निश्चय की अपेक्षा करता है। याकूब ने परमेश्वर से कहा ‘जब तक आप मुझे आशीर्वाद नहीं देंगे तब तक मैं आपको जाने नहीं दूँगा (32.26) ; लेकिन उसके बाद हम यह भी देखते हैं कि वह लंगडा कर चलता था (व31)।
नये नियम में इसकी सशक्त तुलना प्रेरित पौलुस के शब्द ‘शरीर में काँटे’ से की गई है (2 कुरंथियों 12.7), जिसे निकालने के लिए वह परमेश्वर से तीन बार कह चुके हैं। आपकी दुर्बलताएँ और कमजोरियाँ परमेश्वर को आपका उपयोग करने से रोक नहीं सकतीं। बल्कि परमेश्वर हमारी सामर्थ से ज्यादा हमारी दुर्बलताओं का उपयोग करते हैं। परमेश्वर ने पौलुस के शरीर से वह काँटा नहीं निकाला, बल्कि उन्होनें कहा ‘मेरी सामर्थ निर्बलताओं में सिद्ध होती है’ (व8)।
शायद आपको महसूस हो रहा होगा कि ‘आपके शरीर में काँटा लगा है या आप लंगडा के चल रहे होंगे’: आप में कुछ अतिसंवेदनशीलता या अपंगता होगी। जैकी पुलिंगर कहती हैं कि, वह उन पर भरोस नहीं करती जो लंगडाकर नहीं चलते। अक्सर कठिनाई, निराशा और संघर्ष के कारण हमारे मन बदल जाते हैं। परमेश्वर के साथ संघर्ष करने के बाद हम याकूब में परिवर्तन देखते हैं। अपने भाई के प्रति उसका व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है (उत्पत्ति33)।
प्रार्थना में विजयी होने के बाद सब कुछ अपने स्थान पर है ऐसा लगने लगा था। ‘ऐसाव याकूब से मिलने के लिए दौड़ा और उसको गले से लगाकर चूमा, फिर वे दोनों रो पड़े। यह पुनर्मिलन और सुलह बहुत ही अद्भुत है (व.4)।
एक दूसरे के प्रति उनका व्यवहार पूरी तरह से बदल गया था। ऐसाव ने कहा ‘हे मेरे भाई मेरे पास तो बहुत है जो तेरा है वह तेरा ही रहे (व.9)।
याकूब ने कहा ‘नहीं नहीं; यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मेरी भेंट ग्रहण कर क्योंकि मैंने तेरा दर्शन पाकर मानो परमेश्वर का दर्शन पाया है और तू मुझ से प्रसन्न हुआ है। इसलिए यह भेंट जो तुझे भेजी गई है, ग्रहण कर, क्योंकि परमेश्वर ने मुझपर अनुग्रह किया है, और मेरे पास बहुत है’ (व10-11)।
प्रभु, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आप प्रार्थनाओं का उत्तर देने वाले परमेश्वर हैं। हमारी सहायता कीजिए कि हम भी याकूब की तरह प्रार्थना में संघर्षकर सकें। प्रभु मैं प्रार्थना करता हूँ कि मसीह में जो हमारे भाई-बहन हं उनके साथ संबंधो में एक बार फिर से मेल मिलाप हो जाए। मेरे मुँह से शब्द मेरे हृदय की भरपूरी से निकलें।
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
उत्पत्ति 32:1-33:20
अपने माता-पिता, ससुर और भाई के साथ याकूब का संबंध उत्तमता से बहुद दूर हो चुका था। फिर भी हम उनके लिए परमेश्वर के प्रेम और प्रावधान को देखते हैं। प्रार्थना में परमेश्वर से संघर्ष करने के बाद हम याकूब नई विनम्रता देखते हैं। पहली बार हम देखते हैं कि वह लेने के बजाय देना चाहता था।
References
नोट्स:
जॉयस मेयर, लव आउट लाउड (होल्डर एंड स्टोटन, 2011)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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अपने दिन Bible in One Year के साथ शुरू करें जो कि निकी और पिप्पा गंबेल की टिप्पणी के साथ लंदन के HTB चर्च से एक बाइबल पठन की योजना है।. हम इस योजना को प्रदान करने के लिए निकी और पिपा गंबेल, एचटीबी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://alpha.org